पुराने नोटों से नहीं दी अंतिम संस्कार के लिए सामग्री

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झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़ की रिपोर्ट-
500 और 1000 के नोटबंदी का विपरीत प्रभाव नगर में शुक्रवार को एक परिवार में मृत्यु होने के बाद देखा गया। चौहान परिवार में एक बुजुर्ग महिला रामकुंवरबाई का निधन हो गया, जिनके अंतिम संस्कार के लिए सामग्री खरीदने के लिए जब परिजन बाजार में गए तो किसी ने भी पुराने नोट नहीं लिए, जिसके लिए परिजनों ने पोस्ट ऑफिस में भी जाकर नोट बदलवाने की गुहार लगाई किन्तु कोई सहयोग नहीं किया गया। इस संबंध में एसडीएम से भी गुहार लगाई गई किन्तु उन्होंने सिर्फ इतना कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया कि इस संबंध में हमारे पास भी कोई आदेश नहीं है। आखिर परिजनों ने नगर के नागरिेकों से सहयोग लिया और सामान उधारी में लाए जिसके बाद मृतिका का अंतिम संस्कार हो सका। मृतक परिवार के सदस्यों का कहना है कि हम तो नगर में थे और हमारे कई परिचित थे जिनसे हम उधार लिए किन्तु यदि कोई अन्य इस मुसीबत में फंसे तो उसकी मदद के लिए कुछ इंतजाम करना चाहिए।
किसान भी परेशान-
वहीं नोटबंदी का सर्वाधिक नुकसान किसानों को उठाना पड रहा है। इस समय मंडी बंद हो चुकी है। सोयाबीन की फसल बेचने का समय है। किसानों को मजबूरी में अपनी फसल 2000 रुपए के भाव में बेचना पड़ रही है। नगर में कई व्यापारी समय का लाभ उठा कर सोयाबीन और कपास जैसी नकद फसल कम भाव में ले रहे हैं और जरूरतमंद किसानों को फसल बेचना भी पड़ रही है। इस प्रकार के कई केस आ रहे है जिसमें किसानों को अपनी फसल सस्ते दाम में बेचना पड रही है। क्योंकि मंडी में कोई लेने देने नहीं हो रहा है। मंडी प्रशासन ने चेक से भुगतान करने का फरमान निकाला है किन्तु यह बात व्यवहारिक रूप से नहीं हो पा रही है अधिकांश कृषक अपनी फसल का नकद भुगतान ही चाहते है जिस कारण मंडी भी नहीं चल पा रही है। वहीं इतनी अधिक मात्रा में व्यापारियों के पास खुल्ले पैसे भी नहीं है जिससे उनकी फसल का नकद भुगतान कर सके जिसका लाभ कुछ लोग उठा रहे है और किसानों की फसल सस्ते भाव में खरीद रहे है।