भावनात्मक के अभाव में जीवन का सर्वांगीण विकास नहीं हो सकता – मुनिश्री

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झाबुआ लाइव के लिए बामनिया से लोकेंद्र चाणोदिया की रिपोर्ट
संतुलित शिक्षा से ही जीवन का यथेष्ठ परिणाम संभव है। परिवार और विद्यालय की शिक्षा के साथ संस्कारों से ही छात्र-छात्राओं के भविष्य का निर्माण होता है, संस्कारों की पहली शर्त है- बड़ों का सम्मान, जो बालक अपने माता-पिता और गुरूजनों का सम्मान करते हैं, विनम्रता रखता हैं। वहीं जीवन में उनका आशीर्वाद पा सकता है। आज की शिक्षा पंगु नजर आ रही है क्योंकि उसमें शारीरिक और बौद्धिक विकास पर बल दिया जा रहा है, जबकि मानसिक और भावनात्मक के अभाव में जीवन का सर्वांगीण विकास नहीं हो सकता, आवश्यकता है जीवन विज्ञान के प्रयोगों से बालकों के सर्वांगीण विकास की ओर ध्यान दिया जाए। यह बात आचार्य महाश्रमण के सुशिष्य मुनिश्री पृथ्वीराज जसोल ने कन्या विद्यालय में छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कही। इस दौरान 750 से अधिक छात्र-छात्राओं व 35 अधिक शिक्षक-शिक्षाकाएं मौजूद थे। मुनिश्री चैतन्य कुमार अमन ने कहा कि विद्यार्थी जीवन का महत्वपूर्ण पक्ष है ज्ञान और आचरण आज के युग में पुस्तकीय ज्ञान तो बहुत बढ़ा है परंतु गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का अभाव हो रहा है। विद्यार्थियों की शक्ति सृजनात्मक कार्यो में नहीं लगकर विध्वंसक प्रवृत्तियों मे व्यय हो रही है। कहना चाहिए विद्यार्थियों का पाशविक मस्तिष्क ज्यादा काम कर रहा है जबकि मानवीय मस्तिष्क सो रहा है, जिसका परिणाम क्रोध, घृणा, यौनवासना, ईष्र्या में प्रयुक्त होना, क्षमा, संतोष, सेवा, सौहार्द्र और सहनशीलता घट रही है। अध्यात्म की दिशा में प्रवेश करने वाला विद्यार्थी सुपर माइंड की दिशा में विकास करे और राष्ट्र की सेवा में योगभूत बनने का प्रयास करें।
मुनिश्री अतुलकुमार ने कहा कि विद्यार्थी ज्ञान और ज्ञानी का सीखे, अपने भीतर पलने वाली दुर्भावना को छोड़कर सद्भावना की ओर बढऩे का प्रयास करे, 2जी 3जी और 4जी के युग में माताजी, पिताजी व गुरूजी को नहीं भूले, अपनी संकल्प शक्ति और इच्छाशक्ति का विकास करे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से सीखे, कि हम भी अपनी संकल्प शक्ति के बल पर स्वयं के साथ राष्ट्र की तस्वीर को बदल सकते है।
इस अवसर पर विद्यालय के प्राचार्य एचआर यादव ने मुनिवृंद का स्वागत अभिनंदन किया। तेरापंथ सभा के अध्यक्ष पंकज मेहता, सत्यनारयाण शर्मा आदि ने भी विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में भंवरलाल बाफना, राकेश मेहता, मयूर मेहता, सुभाष मेहता, महेंद्र मेहता, नोहित मेहता, सुधीर मेहता, रतलाम से हेमंत निपुण कोठारी आदि उपस्थित थे।