भैरवनाथ मवेशी मेले पर छाये आचार संहिता के काले बादल, मेले में न सर्कस आया, न मौत का कुँआ ,कैसे होगा मनोरंजन, आधे अधूरे हैं मेले के बाजार….?

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सलमान शैख़,पेटलावद

विधानसभा चुनाव की आचार संहिता के चलते शहर में सांस्कृतिक एवं धार्मिक महत्व का श्री भैरवनाथ मवेशी पारंपरिक मेले के आयोजन पर ग्रहण लग गया है। मेले में अब सिर्फ एक दिन बाकी है। लेकिन यहां मेले का कोई पता नहीं है। नपं प्रशासन ने कल 8 दिसम्बर से शुरू करने का दावा तो किया है, लेकिन मेले की तैयारियां अभी भी अधूरी हैं। न तो दुकानें लग पायी है और न ही सर्कस, मौत का कुँआ, ब्रेक डांस, गणेश झूले आदि आये है।
बता है कि मेला सिर्फ एक मेला नहीं बल्कि यह कई वर्षों पुरानी ऐसी डोर है, जिससे पूरा अंचल जुड़ा हुआ है। यहां के हर शख्स के जहन में इस मेले की हजारों सुनहरी यादें हैं। आसपास पूरे क्षेत्र में यह मेला ऐतिहासिक रहता है, लेकिन इस बार इसका रंग अभी तक फीका है।
परंपरागत मेला प्रतिवर्ष नगर परिषद के तत्वावधान में आयोजित होता आया हैं। लेकिन इस बार यह मेला कई आयोजनों से वंचित रहने वाला है। चुनाव आचार संहिता लागू होने से जिम्मेदार मेला शुरू कराने को लेकर बेबसी जता रहे हैं। आचार संहिता में जनप्रतिनिधि मेले में सामान्य नागरिक के तौर पर तो प्रतिभाग कर सकते हैं, लेकिन बतौर जनप्रतिनिधि नहीं।
मेले के आयोजन पर मंडराते संकट के बादल को देखते हुए संस्कृति प्रेमियों में मायूसी है।

कई प्लाट खाली, नही आये ज्यादा व्यापारी:
मेले की शोभा माना जाने वाला फैंसी बाजार, जिसमें दुकान पाने को मारामारी रहती थी। इस बार आधा भी नहीं भर पाई है।
कभी यहां मेला शुरू होने के पहले ही व्यापारियों और ग्राहकों का जमघट शुरू हो जाता था। अब हालात ये हैं कि कई जगह मेला परिसर सुनसान पड़ा हुआ है। कल से मेले का शुभारंभ हो जाएगा, लेकिन जो व्यापारी हर वर्ष यहां आते थे, इस वर्ष उन्होंने यहां आना गंवारा नही समझा। पिछले दो दिन के भीतर बाहर से आने वाले कुछ दुकानदारों ने अपनी दुकानें तो लगा ली हैं, लेकिन उन्हें डर है कि कहीं व्यापार नही हुआ तो उनका प्रतिदिन का खर्च निकलना भी मुश्किल हो जाएगा।

न तो सर्कस आया,न ब्रेक डांस और मौत का कुँआ:
हालात यह है कि अभी तक सर्कस, मौत के कुंए के आने की सूचना तक नहीं है। इस बार मेले में दूर दूर से दुकानें लेकर पहुंचे व्यापारियों को भी खासी परेशानी उठानी पड़ सकती है। दुकानदारों ने अभी दुकान नहीं लगाई हैं। कई तरह की सुविधाओं का काम भी अधूरा पड़ा है।

मेले में अभी तक यह लगे झूले-चकरी:
इस बार मेले में तीन बड़ी नाव, दो टेड़े झूले, एक ऊंचा झूला, जादू, सहित बच्चो के मनोरंजन के मिक्की मायूस, चकरी सहित बच्चों के मनोरंजन के लिए छोटे झूले व दुकाने लगी है।

 

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