पेटलावद में पंपावती नदी के गहरीकरण की उठ रही मांग; युवाओं ने संभाली कमान, एसडीएम और नगर प्रशासन से आंस …

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सलमान शैख@ झाबुआ Live
पेटलावद से होकर गुजरने वाली पम्पावती नदी आज नदी का स्वरूप बदलकर नाले का रूप ले चुुकी हैं। एक समय था जब यह नदी पेटलावद ओर सभी ग्रामों से सटे आबादी वाले ग्रामों की पेयजल की आवश्यकता की पूर्ति तो करती ही थी बल्कि सिंचाई से लेकर निस्तार तक के सारे काम इसी नदी के जल से यहां के निवासी पूरा करते थे। आज वही नदी मरणासन्ना स्थिति में है। अब इस नदी के सौंदर्यीकरण की मांग नगर में उठने लगी है। 5 सालों में वर्तमान नगर परिषद ने इस और कोई ठोस कदम नहीं उठाए। नदी के गहरीकरण की कोई भी योजना नहीं बनाई, जिसकी वजह से 15 साल पहले जो नदी गहरी हुआ करती थी वह पूरी तरह से भरा चुकी हैं।
दरअसल, नगर से निकली पंपावती नदी इन दिनों नाला बनकर रह गई है। इसके सौंदर्यीकरण की कितनी योजनाएं बनी, लेकिन सभी अधर में रह गई। राजनेता और समाज के सृष्टि वर्ग के लोग नदी की मौत पर थोडा भी चिंतित नहीं है। चिंता की बात यह है कि जिस नदी में 12 महीने स्वच्छ जल उपलब्ध होता था लोग झिरी खोदकर साफ पेयजल प्राप्त करते थे, इसके तट पर नहाने और कपड़े धोने जैसी जरूरतें पूरी होती थी। आज वहां नाली का गंदा बदबूदार पानी नदी की ओर गिर रहा है। पनघट खत्म हो गए हैं, नदी किनारे के पेड़ उजड़ गए हैं और सौंदर्यीकरण के नाम पर नदी के एक किनारे पर सीमेंट कांक्रीट की दीवार खड़ी कर दी गई है। अब ना तो नदी के घाटों पर नहाने वालों का मेला जुटता है और ना पनि हारिन की बकरियां सुनाई पड़ती है। यहां सामाजिक क्षेत्रों में यह सवाल पूछा जा रहा है कि आखिरकार इस नदी की मौत का जिम्मेदार कोन है।
युवावर्ग आ रहे आगे, उठ रही गहरीकरण की मांग-
आज पेटलावद में कई सामाजिक संगठन सक्रिय है, लेकिन कोई भी नदी की इस दशा को लेकर आवाज नहीं उठा रहा। ऐसे में अब युवा वर्ग को आगे आना पड़ रहा है। नगर के युवा विक्रम, राहुल अटकान, अशोक प्रजापत, मोंटी पंवार आदि ने नगर प्रशासन से बारिश के पूर्व नदी के गहरीकरण की मांग की है। उन्होंने बताया कि अगर नदी का गहरीकरण होगा तो नदी में बारिश के बाद भी पानी टिकेगा। जिससे नदी की सुंदरता बड़ेगी। उन्होंने एसडीएम आईएएस शिशिर गेमावत से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है ताकि जल्द से जल्द नदी का गहरीकरण हो सके और पंपावती नदी को एक नया जीवन मिल सकें। इसके लिए वे जल्द ही एसडीएम और नप सीएमओ से मिलेंगे और पूरी वस्तुस्थिति से अवगत कराएंगे। उन्होंने बताया कि अगर हमारी इस मांगों को अनसुना किया गया तो फिर हम आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।
आसपास के 25 गांवों को स्पर्श करती है
रायपुरिया के पास ग्राम बनी में बने बांध का वेस्ट वेअर इस नदी में मिलता हैं ओर यही इसका उद्गम स्थल हैं। इसके बाद यह नदी 32 किमी का सफर करती हुई पहले लाड़की नदी ओर फिर माही नदी में मिलती हैं। इसका कैचमेंट एरिया 47 हजार 487 हैक्टेयर हैं लेकिन वर्तमान में नदी रीती हैं। नदी 10 ग्राम पंचायत और एक नगर परिषद की सीमाओं के 25 गांवों को छुती हैं। पेटलावद के पास से गुजरने वाली पम्पावती नदी में अब वो बांकपन नहीं रहा जिसके लिए यह नदी पहचानी जाती रही है। पंपावती नदी बुरी तरह प्रदूषित हैं और अब तो जैसे नाम भर की ही नदी बची हैं।