सकल तीरथ म्हारा सदगुरू चरणे जैसे भजनों के साथ श्रीजी पाद स्पर्श महोत्सव संपन्न

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सलमान शैख/पेटलावद

गुरूदेव चले आओ भक्त तुम्हे पुकारते है। के भावों के साथ द्वादशम श्री जी पाद स्पर्श महोत्सव गुरूवार को संपन्न हुआ। जिसमें तीन दिवसीय अखंड संकिर्तन की पूर्णाहुति हुई और श्री जी पादुका पूजन का आयोजन रखा गया। इसके साथ ही विशाल महाप्रसादी भंडारे का भी आयोजन किया गया।।तीन दिवसीय आयोजन के समापन अवसर पर सुबह 11.30 बजे महाआरती का आयोजन रखा गया। जिसमें हजारों की संख्या में भक्तगण उपस्थित रहे।
आयोजन में इस बार भक्तों ने उत्साह के साथ भाग लिया। नगर सहित राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र व प्रदेश सहित जिले के अनेको शहरों व गांवो से भक्तगण धर्मलाभ लेने के लिए उपस्थित हुए।

पादुका पूजन हुई

सुबह मंगला आरती और तीन दिवसीय अखंड किर्तन की पूर्णाहुति के बाद मां अन्नपूर्णा की पूजन के पश्चात पादुका पूजन का दौर प्रारंभ हुआ। जिसमें भक्तों ने गुरूदेव की पादुका पूजन कर आर्शीवाद प्राप्त किये। गुरूदेव के नगर में प्रथम आगमन की याद को चिरस्थाई बनाए रखने के लिए गुरूभक्तों द्वारा प्रतिवर्ष गंगा दशमी के दिन पादुका पूजन का आयोजन किया जाता है। जिस क्रम में पादुका पुजन के लिए दूर दूर से हजारों भक्तगण आए। पादुका पूजन का क्रम सुबह 9 बजे से प्रारंभ हुआ जो की दोपहर 1 बजे तक चलता रहा। प्रथम पादुका पूजन का लाभ समिति के अध्यक्ष ओमप्रकाश भट्ट ने लिया। वहीं अन्नपूर्णा पूजन का लाभ विपुल रखबचंद्र सोलंकी ने लिया। इस मौके पर थांदला वैंकुठ धाम आश्रम प्रभारी भूदेव जी आचार्य व अन्य सदस्य विशेष रूप से उपस्थित रहे। महाआरती पेटलावद गुरूद्वारा आश्रम प्रभारी पं. अरविंद भट्ट के द्वारा की गई। आयोजन में कन्या पूजन का लाभ आकाश मुकुट चौहान के द्वारा लिया गया।

अभिषेक से पूर्णाहुति

अखंड संकिर्तन की पूर्णाहुति पर गुरूद्वारा समिति के सदस्यों ने वेद मंत्रो से पुष्प वर्षा करते हुए अखंड कीर्तन के आयोजन को सफल बनाने वाले भक्तों का अभिषेक किया। पंडितों ने वेद मंत्रो का पाठ किया तो सदस्यों ने पुष्प वर्षा की।

आंसूओं से दी विदाई

विभिन्न प्रदेशों से आए गुरू भक्तों को तीन दिवसीय आयोजन के समापन अवसर पर जब विदाई का मौका आया तो सदस्यों की आंखो से आंसू सहज ही निकल आए। क्योंकि आयोजन के दरम्यान गुरूभक्तों के द्वारा भजनों की शानदार प्रस्तुति और गुरू के प्रति अगाध श्रद्वा देख कर हर कोई भाव विभोर हो उठा। जब विदाई हुई तो उन्ही क्षणों को याद कर बरबस ही आंखो से अश्रुधारा बहने लगी। गुरूभक्तों ने चार टीमों में बंट कर अखंड किर्तन का आयोजन संपन्न किया। लगातार हो रहे बारह वर्ष के इस आयोजन में इस बार भक्तों की संख्या सर्वाधिक थी। भजन मंडली के ही 150 सदस्य गुजरात से पेटलावद पहुंचे थे। इसके साथ ही वेज आश्रम, कुकरमुंडा, नंदुरबार आदि स्थानों से भी भजन मंडली आई।

एक से एक कलाकार आए

गुरूभक्तों के समागम में ऐसे कई कलाकार आए जिन्होंने अपनी आवाज व वाद्य यंत्रों को बजाने की कला से सभी को मोह लिया।ऐसे ही एक गुरूभक्त सुरदास जो की आंखो से देख नहीं सकते किंतु तबला बजाना ,हारमोनियम बजाना आदि में ऐसी निपुणता है की कोई आंख वाला भी नहीं बजा सकता। इन भक्तों को देख कर हर कोई भाव विभोर हो गया।

महिलाओं ने भजनों के साथ गरबों की प्रस्तुति दी

महिला मंडल की सदस्यों ने गुरूदेव के भजनों के साथ प्रति दिन गरबा नृत्य कर गुरूदेव के प्रति अपनी श्रद्वा आस्था और भक्ति का परिचय दिया। लगातार इस आयोजन में महिलाओं ने भी सहयोग दे कर आयोजन को सफल बनाया।

महाप्रसादी का लाभ लिया

गुरूभक्तों सहित नगर की धर्मप्रेमी जनता ने आयोजन की महाप्रसादी भंडारे का लाभ लिया।महाप्रसादी का आयोजन दोपहर 12 बजे से प्रारंभ हुआ जो देर शाम तक चलता रहा। जहां पर हजारों भक्तों ने प्रसादी का लाभ लिया। आयोजन समिति के द्वारा सफल आयोजन के लिए गुजरात के गुरूभक्तों, वैंकुठ धाम थांदला के सदस्यों,सहयोगी गुरूभक्तों और धर्मप्रेमी जनता के प्रति आभार व्यक्त किया।