प्रधानमंत्री के आव्हान के बाद स्वदेशी व लोकल वस्तुओं की बड़ी मांग

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रितेश गुप्ता थांदला,
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा स्वदेशी वस्तुओं की ब्रॉन्डिंग एवं ‘लोकल को वोकलÓ करने हेतु देशवासियों से कि गई मांग असर दिखाने लगी है। प्रधानमंत्री के आह्वान पर अमल करते हुए बाजार में स्वदेशी निर्मित वस्तुओं की मांग बड़ी है। लॉकडाउन के दौरान ही होम डिलेवरी के मैसेज के साथ ग्राहकों को स्वदेशी वस्तुओं की मांग शुरू कर दी थी। खासकर लोकल वस्तुओं की मांग रोजाना उपयोग में आने वाली वस्तुओं जैसे टूथपेस्ट, साबुन, हेयर ऑयल एवं किराना सामग्री में स्वदेशी प्रोडक्ट मांग की जा रही है। वही नगर के युवा वर्ग द्वारा स्वदेशी एवं विदेशी प्रोडक्ट की पहचान करे एवं कैसे हमारे लोकल लघु या कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहित कर उनके उत्साह को बढ़ाए जिससे वे विदेशी उत्पाद का मुकबला कर अपने बाजार का विस्तार कर सके।

किराना व्यापारियों की जुबानी

मनीष चोपड़ा- किराना व्यापारी, स्वदेशी प्रोडक्ट की मांग जरुर बड़ी है परन्तु ग्रामीण जनों में भी स्वदेशी व विदेशी वस्तुओं में अन्तर बताने हेतु एवं स्वदेशी क्यो आवश्यक है इस हेतु जागरुकता लानी होगी।

सचिन पिंडारमा – किराना व्यापारी, भले ही बाजार आज से खुला है मगर होम डिलेवरी के समय से ही कई ग्राहकों की पहली मांग स्वदेशी वस्तुए रही । मांग रोजाना उपयोग में आने वाली वस्तुओं जैसे टूथपेस्ट, साबुन, हेयर ऑयल में स्वदेशी प्रोडक्ट मांग की जा रही है। आजकल ग्राहक पूछने लगे है कि कौन सी सामग्री स्वदेशी है कौनसी विदेशी।

कमल पीचा – किराना व्यापारी, 50 प्रतिशत तक मांग स्वदेशी वस्तुओं की जा रही है।चूंकि किराना व्यापार में बहुसख्ंय कम्पनियों के प्रोडक्ट है तो हम व्यापारियों को भी ग्राहकों को स्वदेशी प्रोडक्ट दिखाकर एवं उसके बारे मे बता कर प्रेरित करना होता है।

नीज भट्ट – स्वदेशी स्टोर्स संचालक : बीते कुछ समय से स्वदेशी उत्पादों की जबरजस्त मांग रही है परन्तु जब से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्थानीय एवं स्वदेशी वस्तुओं की ब्रॉन्डिंग का आह्वान किया है बिक्री में ओर अधिक बढ़ोतरी हुई है। कुछ उत्पादों की तो कमी लगने के कारण ऑर्डर भी बढ़ा कर करने पढ़ रहे है।

युवा सोच
ऋषि भट्ट-कर सलाहकार- चूंकि प्रत्येक व्यक्ति को इस बात का अंदाजा नही होता कि कौनसा उत्पाद या वस्तु स्वदेशी है एवं कौनसा विदेशी । कई विदेशी प्रोडक्ट्स के नाम पढऩे से स्वदेशी लगते है तो ऐसे स्थिति में या तो स्वदेशी उत्पादक कोई टैग लगाए या दुकानदार स्वयं स्वदेशी वस्तुओं का प्रचार करे।

धवल अरोड़ा – समय की मांग है कि हम ब्रांड की परिकल्पना को छोड़े विज्ञापनों के दिखावे को छोड़कर ,अधिक से अधिक ऐसी वस्तुओं का उपयोग करें जो हमारे पास ग्रामीण स्वरोजगार लघु एवं कुटीर उद्योग ग्रामोद्योग को प्रोत्साहित करती है यह गांधी जी कि वह परिकल्पना है जो उन्होने हिन्द स्वराज में व्यक्त कि है -स्वदेशी स्वावलंबन स्वाभिमान करे राष्ट्र का नवनिर्माण।