जानलेवा हुई शहर की सड़कें, खतरनाक हुए चौराहे, जिम्मेदार बैठे आंख मूंदे, फिर  बड़े हादसे के इंतजार में प्रशासन….?

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सलमान शैख़, पेटलावद

शहर के चौराहे डेंजर जो में तब्दील होते जा रहे है। जो सीधे तौर पर हादसों की तरफ इशारा कर रहे है। कई दुर्घटनाएं भी सामने आ चुकी है। वाहनो की अंधी दौड़ भी रफ्तार कारण बी हुई है। सारी कोशिशे करने के बाद भी इस व्यवस्था में कोई परिवर्तन नहीं आया है। उधर ऐसा ही हाल अव्यवस्थित पार्किंग का भी है। न तो पुलिस और प्रशासन ने अभी तक पार्किंग का कोई हल तलाशा है और न ही इस लचर व्यवस्था को सुधारने में कोई कवायदें कर रहा है। वाहनो के बढ़ते दबाव का असर सडक़ो पर देखा जा सकता है।

जो स्पीड ब्रेकर लगाए, वह 2 माह भी नही टिक सके:
शहर के प्रमुख मार्ग डिवायडर पर चौराहो पर झेबरा क्रासिंग नही हैं। यहां पर कही भी सूचना व संकेतक बोर्ड भी नही लगाए गए हैं। जो स्पीड ब्रेकर नपं द्वारा लगाए थे वह गुणवत्ताहीन लगाए गए, जिसके कारण वह एक दो माह भी नही टिक सके। इस कारण चालक किसी भी दिशा में वाहन मोड देते हैं। शहर के तिराहो व चौराहो पर ऐसा नजारा बार-बार देखा जा सकता हैं।

सडक निर्माण कंपनी की थी जवादारी, नही की पूरी:
सडक निर्माण कंपनी दिलीप बिल्डकॉन की इस कार्य को करने की जवाबदारी थी। लेकिन कंपनी अधूरा काम ही छोडकर चली गई। कई स्थानों पर नाली निर्माण नही किया गया तो प्रमुख चौराहों पर झेबरा क्रासिंग ओर आवश्यक स्थानों पर गति अवरोधक भी बनाना था। लेकिन इस कार्य को किए बिना ही चली गई। इस ओर एमपीआरडीसी विभाग की जिम्मेदारी बनती हैं लेकिन वो भी मौन सब कुछ देख रहा हैं।

नही हुआ कुछ तो आंदोलन करेंगे:
नगर के वरिष्ठ प्रबोध मोदी, पूर्व पार्षद राकेश मांडोत, विनोद बाफना ने बताया डिवायर के प्रमुख चौराहो पर डामर के ही गतिवरोधक ओर रिफलेक्टर नही लगाए गए तो आंदोलन किया जाएगा।
डिवायडर के प्रमुख चौराहों की यह हैं स्थिति-

गांधी चौक चौराहा:
यहां रायपुरिया, रूपगढ के अलावा शहर के गांधी चौक, राजापुरा ईलाके से आने वाले वाहनों का फ्लो रहता हैं। इसी चौराहे के आसपास निजी ओर शासकीय विद्यालय भी हैं। बच्चों का आवागमन भी अधिक रहता हैं। यहां बाइक चालक किसी भी दिशा में वाहन मोड़ देते है
अस्पताल चौराहा:
शासकीय कार्यालय ओर अस्पताल जाने के लिए यही एकमात्र रास्ता हैं। यहां शासकीय वाहनों के अलावा एम्बूलेंस आदि बार-बार गुजरती रहती हैं। यहां वाहनों का आपस में टकराना आम बात हो चुका हैं। रोज यहां एक-दो बाइक सवार आपस में टकरा जाते है और गिरकर घायल हो जाते है।

पुराना बस स्टेंड चौराहा:
नगर का सबसे व्यस्तम् चौराहा कहे जाने वाले इस स्थान पर तो दुर्घटना में कई लोग मौत के मुहं में भी समा चुके हैं। इस चौराहे को नगर का ह्रदय कहे जाने के साथ नगर का ट्रॉफिक भी यही से क्रास होता हैं। यहां गतिवरोधक के साथ झेबरा क्रासिंग की अत्यंत आवश्यकता हैं। यहां वाहनों के टकराने का नजारा एक आध घंटे में देखा जा सकता हैं।

नया बस स्टेंड चौराहा:
यहां तो हादसों का रिकार्ड बन गया हैं। थांदला-बदनावर स्टेट हाईवे से जुडे होने के कारण पूरे दिन बडे वाहनों का आवागमन जारी रहता हैं। घुमावदार अंधा चौराहा होने के कारण सामने से आने वाले वाहन दिख ही नही पाते। यहां कोई संकेतक भी नही लगे हैं। यहीं नही यहां अस्थाई बस स्टैंड होने की वजह से पैदल राहगीरो का खूब आना-जाना रहता हैै और बसो के खड़े रहने के कारण सामने वाले वाहन को रोड़ पर कुछ नही दिखता है। जिसके कारण कई बार यहां दर्दनाक हादसे हो चुके है जिसमें लोगो को अपनी जान गंवानी पड़ी है।

आखिर कौन होगा घटना का जिम्मेदार???
आए दिन चौराहो पर जाम लगते है व तेज गति से आने वाले वाहनो से दुर्घटनाएं होती रहती है। जिस ओर न तो प्रशासन ध्यान देता है न दंबंग अधिकारी। गिने चुने पुलिसकर्मी से न तो यातायात व्यवस्था सुधार की जा सकती है। न ही सुचारू बनाने कोई गंभीर प्रयास किया जा रहा है। शहर में रोज एक न एक घटना घटित हो रही है और प्रशासन है कि आंख मूंदे बैठा है। घटना होने के बाद प्रशासनिक अधिकारी पहुंचते है और मामले को रफा-दफा करने में लग जाते है।
प्रशासन के इस सुस्त रवैये से पेटलावद की जनता में आक्रोश है। शहरवासीयो का कहना है कि भारी वाहनो के कारण कोई न कोई व्यक्ति अपनी जान खो रहा है। आखिर इन मौतो का जिम्मेदार कौन है? नागरिको की कई बार शिकायत करने के बाद भी नगर परिषद और पुलिस व प्रशासनन ध्यान नही दे रहा है। नपा और पुलिस व प्रशासन के अधिकारी एक-दूसरे पर ढोलकर जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ रहे है।

सुबह 7 से शाम 7 बजे तक भारी वाहनो पर है प्रवेश निषेध:

आश्चर्य की बात तो यह है कि शहर के इस आंतरिक मार्ग पर सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे तक भारी वाहनो का प्रवेश निषेध है, लेकिन फिर भी इस मार्ग पर बेधडक़ भारी वाहन रोजाना निकलते रहते है, जिससे पैदल राहगीरो को दुर्घटना का डर सताता रहता है। बावजूद इसके जिम्मेदारो द्वारा इन वाहनो पर चालानी कार्रवाई नही की जाती है। इस मार्ग से भारी वाहनो के निकलने का एक बड़ा कारण यह है कि शहर से गुजरे थांदला-बदनावर स्टेट हाईवे पर उन्नई के समीप टोल बेरियर स्थित है। जहां इन भारी वाहनो को टोल देना पड़ता है और टोल बचाने के चक्कर में यह वाहन आंतरिक मार्ग से होते हुए रायपुरिया व्हाया झाबुआ या फिर रूपगढ़ व्हाया झाबुआ होकर निकलते है।
और अंत में…ऐसा निकाला जा सकता है हल:
शहर के वे तिराहे और चोराहे जहां हादसों की संभावना हमेशा बनी रहती है, उन जगहो का विस्तार करने के साथ साइन बोर्ड लगाया जाना जरूरी है। इसके साथ ही खरनाक मोड़ पर पुलिस के जवानों की तैनाती होना चाहिए। इसके साथ ही शहर में वाहनो की गति का निर्धारण किया जाना जरूरी है। जहां तिराहे छोटे है, कि वहां मौजूद अतिक्रमण को हटाने के बाद सडक़ो का विस्तार किया जाए। पार्किंग के लिए नपा को शहर में अलग-अलग जोन बनाए जाना जरूरी है। इस प्रक्रिया को अपनाए जाने के बाद ट्रैफिक व्यवस्था में काफी हद तक सुधार लाया जा सकता है।

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