औद्योगिक क्षेत्र में स्थित निजी स्कूल की मनमानी देर रात तक उत्सव कार्यक्रम आयोजित, नियम के विरुद्ध देर रात तक आयोजन,प्रशासन बना मूकदर्शक -मीडिया पर प्रतिबंध

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भूपेंद्र बरमंडलिया, मेघनगर

निजी स्कूल की मनमानी जिले से लेकर कस्बों की कहानी है।कभी फीस के लिए बच्चों को खड़ा रखना तो कभी बस्ते रखवाकर छोटे बालक बालिकाओं को क्लास से अलग बैठाना… तो कभी उंगलियों में फैक्चर हो जाने के बाद भी परिजनों को जानकारी नहीं देना। कभी ठिठुरते ठंड में भी 300 से ₹500 सिर्फ कार्यक्रम की सहभागिता के अतिरिक्त लेकर पालक को परेशान करना संचालको व प्राचार्य की नीति बना है। एक और सरकारी स्कूलों में देर शाम शाम 5 बजे के बाद कार्यक्रम करने की प्रशासनिक अनुमति नहीं मिलती है व सुरक्षा कारणों के चलते स्कूल प्रबंधन ऐसे आयोजन दिन में 10 से शाम 5 बजे तक ही संपन्न करते हैं किंतु ठीक इसके विपरीत प्रशासन व शिक्षा की विभाग की मुक दर्शिता कहें या इन संचालकों का दबाव प्रभाव देर शाम आयोजित शासकीय आयोजनों में बिना सुरक्षा एवं प्रशासन से परमिशन लिए बिगर देर रात यह आयोजन संचालित किए जाते हैं। यहां तक तो ठीक है इस निजी स्कूल की मनमानी इतनी है कि स्कूल के आयोजनों में भी राजनीतिक रंग दिया जाता है व नगर के प्रादेशिक समाजसेवी एवं विधायक के साथ शिक्षा विभाग के बीआरसी , बी.ओ अधिकारी को भी अतिथि नहीं बनाए जाते उनको पूछा भी नहीं जाता। पलकों की गाढ़ी कमाई की फीस लेकर बच्चों के आयोजन में पालक को में से किसी प्रतिष्ठित व प्रभावशाली पालक को नजर अंदाज कर राजनीतिक दल के जुड़े लोगों को मंचासीन कर विद्यालय के राजनीति का अखाड़ा बना दिया जाता है। विद्यालय के कई कारणों में पूर्व में अखबारों में प्रकाशित हो चुके हैं विद्यालयों में कभी बच्चे के टिफिन से प्याज पर प्रतिबंध तो कभी आलू पर प्रतिबंध जैसे तुगलकी फरमान भी बच्चों पर लाद दिए जाते। इस निजी स्कूल में अंधा बांटे रेवड़ी अपने अपनों को दे कि तर्ज पर अपने ही यार दोस्त और बिजनेस पार्टनर एवं परिवार के बच्चो की ग्रेड बढ़ाकर सम्मानित कर मियां मिट्ठू बनाया जाता है व परिवारवाद को बढ़ावा देते हुए घर के लोगों को ही सम्मान के साथ अपनी ही खिचड़ी में ढोल लिया जाता है। इतना ही नहीं वार्षिक उत्सव या फिर किसी भी आयोजन में मीडिया को भी प्रतिबंधित कर अभिव्यक्ति की आजादी को रोका जा रहा है जो ना सिर्फ निंदनीय है अपितु चिंतनीय भी है इन मोटे फीस वाली चमड़ी कितनी मोटी हो गई है सरकार चाहे किसी भी भी हो इनकी तुगलकी निर्णय जनप्रतिनिधि व प्रशासनिक अफसर की कुंभकरण होकर देख रहे हैं। मेघनगर में गत दिनों जिस पब्लिक स्कूल में मीडिया कर्मियों को फोटो नहीं खींच सकते कह कर संचालक ने दो टूक जवाब दे दिया जो घोर निंदनीय है उक्त जवाब की सूचना पत्रकार जगत भर्त्सना करता है। अपितु जिला देर शाम तक आयोजन पर चुप्पी साधने पर उनकी निंदा करता है ।चौथे स्तंभ की अवहेलना कर संचालक की मनमानी की पुनरावृति दोबारा ना हो इस हेतु स्कूल शिक्षा विभाग को ही ठोस कठोर कार्रवाई के कदम उठाना पड़ेंगे। यह वही स्कूल है जो देशभक्ति की बड़ी-बड़ी बातें करता है लेकिन देशभक्ति के 15 अगस्त देश आजादी वर्षगांठ उत्सव के शासकीय आयोजनों से ही नदारद रहता है। अब नगर के प्रतिष्ठित लोगों एवं मीडिया ने इस स्कूल की मनमानी के खिलाफ शिकायत को लेकर उच्च शिक्षा मंत्री तक जाने का मन बना लिया है। लेकिन एक बात समझ से परे है यदि आप पाक साफ हैं तो मीडिया से डर कैसा……?

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