दुनिया में आत्म विजय सर्वोनरि दुनिया में सर्वोपरि विजय है आत्म विजय

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झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़ की रिपोर्ट-
दशहरे पर विशेष वचन की आयोजन दुनिया में आत्म विजय सर्वोनरि दुनिया में सर्वोपरि विजय है आत्म विजय। जिसने अपनी आत्मा पर विजय प्राप्त कर ली उसके लिए कोई विजय प्राप्त करना शेष नही रहती। दशहरे के दिन लोग बुराई के प्रतीक रुप में रावण का दहन करते है। वस्तुत: रावण का दहन करने का उसी को अधिकार है जो राम हो, किन्तु जो रावण का दहन करते है उनके भीतर कितने रावण बैठे है जबतक भीतर के रावण को समाप्त नहीं करते तब तक पुतले के दहन से कुछ नहीे। उस रावण ने माता सीता क अपहरण किया था किन्तु आज तो धर-धर गली-गली में इतने रावण है तथा वे क्या नहीं करते। आवश्यकता विषय-कषाय रुपी रावण को समाप्त करे तभी विजय-दशमी मनाने की सार्थकता होगी। यह विचार आचर्यश्री महाश्रमण के सुशिष्य मुनि पृथ्वीराज जसोल ने विजय दशमी पर अपने विशेष पवचन में धमेसभा में कहे। मुनि चैतन्य कुमार अमन ने कहा-भारतीय परंपरा में एक आदर्श नाम है श्री राम। मर्यादा पूजे तम राम का नाम पूरा विश्व आदर के साथ लेता है किन्तु नाम साथ भवना निष्काम हानी चाहिए। जब तक भवनाए दूषित रहेगी तब तक केवल दशहरा मनाना की कोई सार्थकता नहीं हो सकेगी। रावण पर राम की विजय असत्य पर सत्य की. भैतिक शक्ति पर आध्या त्मिक शक्ति की विजय है। आध्यात्मिक शक्ति सर्वोपरि होती है। आध्यात्मिक शक्ति के समक्ष दूसरी शक्ति हतशा बोनी सावित होती है। अत: अध्यात्मिकता को बढावा देना होगा। मुनि अतुल कुमाार ने कहा-विषय कषाय और अविश्वास रुपी रावण पर विजय पान के लिए राम बनना होगा। रावण के मैं अहंकार थ। उसी अहंकार के कारण उसका संहार हुआ। राम का जीवन हर स्थिति में शांत था। उनके मन में माता-पिता के पति तथा अपने भाईयों के प्रति जो विशुद्ध पेम था। आज अगर ऐसा होजाय तो फिर सारे रगड.-फगड़े समाप्त हो जाय पर हो नही रहा हैं ऐसा। इसीलिए संसार अशांत है और मानव मन बेचैन है। 14 अक्टूबर को भक्तामर का विशेष अनुष्ठान तथा 16 अक्टूबर को समण संस्कूति संकाय लाडनू राजस्थान द्धारा आई जिल जैन विधा की परीक्षा की आयोजना डालिम विहार में दोपहर एक बजे होगी।