कोरोना की इस दूसरी लहर मे कई अपनों ने खोया अपनों को

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रितेश गुप्ता, थांदला

कोरोना की दूसरी भयावह लहर ने कहीं अपनों से अपनों को छीन लिया। कोरोना की दूसरी लहर की चपेट में आए कई नगरवासी एवं अंचल वासी कोरोना से जंग हार गए, तो कई ऐसे भी लोग हैं जो कोरोना को मात देकर उन्हें अपने परिवार में लौट आए। परंतु कोरोना की इस दूसरी लहर में नगर के एवं अंचल के बुजुर्ग से लेकर युवाओं तक को अपना शिकार बना लिया। कई समाजसेवी, कई नामचीन एकई ऐसी हस्तियां कोरोना की इस दूसरी लहर में अपनों का साथ छोड़ कर चली गई।

अब्दुल हक खान _ कोरोना की चपेट में आए जन हितेषी एवं लोकप्रिय शिक्षक 57 वर्षीय अब्दुल हक खान जोकि भोलासर के नाम से जाने जाते थे इंदौर में उपचार के दौरान कोरना से जंग हार गए। लगभग एक माह तक इन्होंने कोरोना से जंग लड़ी। अब्दुल्ला खान शिक्षक होने के साथ में अच्छे संचालक, समाज सेवक को समाज के प्रत्येक वर्ग में अपनी एक विशेष पहचान रखने वाले व्यक्तित्व थे।

आशीष कारा _ नगर के युवा एग्रीकल्चर व्यापारी एवं सोशल मीडिया जगत में अपनी विशेष पहचान रखने वाले 42 वर्षीय आशीष कारा अपने पूरे परिवार को कोरोना से सुरक्षित रखते रखते हुए संक्रमित हो गए, व इंदौर में उपचार के दौरान इनका निधन हो गया।

संजय राठौर _ नगर के प्रसिद्ध किराना व्यापारी एवं हंसमुख मिलनसार 45 वर्षीय संजय राठौर कई दिनों तक बड़ोदरा में उपचार प्राप्त करते रहें, उनकी कोरोना रिपोर्ट भी नेगेटिव हो गई परंतु हृदयाघात होने से इनका निधन हो गया।

रुस्तम सिंह चरपोटा _ संघ के एक कर्तव्यनिष्ठ स्वयंसेवक भाजपा में अपनी विशेष पहचान रखने वाले 38 वर्षीय रुस्तम सिंह चरपोटा का रतलाम में कोरोना उपचार के दौरान निधन हो गया । भाजपा के युवा नेता के रूप में उभर रहे इस समाजसेवी युवा ने आदिवासी समाज मैं अपनी विशेष पहचान बनाई।

समरथमल तलेरा_ समाज सेवा एवं मानव सेवा के पर्याय जिले के प्रथम रक्तदाता, एवं जिले के प्रथम देवदान करने वाले समाजसेवी समरथ मल तलेरा भी कोरोना के इस दौर में हृदयाघात के शिकार हुए। श्री तलेरा ने पूरे अंचल में कई ऐसे लोग होंगे जिन्हें स्वास्थ्य सेवा हैतू कई प्रकार से मदद कर मुश्किल वक्त में सहयोग किया। स्वास्थ्य की सुविधा उपलब्ध कराना हो ,चाहे मुफ्त में इलाज करवाना हो या फिर रोगी को अपने उचित स्थान पर पहुंचा कर उपचार उपलब्ध करवाना हो हर तरह से आमजन की मदद करना इनके स्वभाव में था।

मांगीलाल मेहता _ नगर के प्रसिद्ध एवं जाने-माने सेठ जो की मांगा सेठ के नाम से जाने जाते थे लंबे समय तक इंदौर के अस्पताल में उपचार प्राप्त करते रहे, परंतु वह भी अंत में कोरोना से जंग हार गए। मांगीलाल मेहता का हर वर्ग के व्यक्ति के साथ मिलन सरिता थी , जिनका जाना कई लोगों स्तब्ध कर गया।

बसंती लाल पाटीदार _ विपणन सहकारी संस्था के प्रबंधक बसंती लाल पाटीदार भी कोरोना के इस चक्रव्यू की चपेट में आ गए।

गौर सिंह वसुनिया _ सहकारीता का के एक बड़े नेता व भाजपा के वरिष्ठ नेता गौर सिंह वसुनिया, जो कि 10 वर्षों से भी अधिक तक सीसीबी चेयरमैन के पद पर आसीन रहे, भाजपा के प्रत्याशी बनकर एक बार कुशलगढ़ वह एक बार थांदला से विधानसभा चुनाव की लड़े। लंबे समय तक कोरोना से जंग लड़ते रहे, परंतु 8 मई को वह भी कोरोना से जंग हार गए।

बिशप फादर बसील भूरिया _ कैथोलिक मिशन में लंबे समय तक थांदला नगर एवं अंचल को फादर के रूप में अपनी सेवाएं देने वाले, व यही से पदोन्नति प्राप्त कर, बिशप के पद पर आसीन होकर, पूरे झाबुआ जिले में सेवा देने वाले बिशप बसील भूरिया का थांदला ग्राम वासियों एवं नगर वासियों से विशेष जुड़ाव था। उनका यकायक कोरोना की चपेट में आकर निधन हो जाना पूरे अंचल एवं कैथोलिक समाज जनों में शोक की लहर छोड़ गया।

राकेश पाठक _ युवा अधिवक्ता एवं पत्रकार राकेश पाठक का भी गुजरात के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। राकेश पाठक ऐसे अधिवक्ता थे जो आमजन के कई ऐसे गंभीर मुद्दों पर अपनी आवाज उठा चुके थे , जो कि समाज एवं नगर के लिए हितकारी थे।

इनके अलावा ढोली गली निवासी रमिला चौहान, मनोहर लाल भाटी, अनुसूचित जनजाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष कल सिंह बाबर की माता लखमा भाबर, इनके ही भाई बहादुर सिंह भाबर,
मानक लाल धानक, चर्च मोहल्ला निवासी सेवानिवृत्त अध्यापिका मारिया अगस्तिन कटारा, काशी सेवानिवृत्त अध्यापिका शीलू एंब्रोस पारगी  सहित कई ऐसे लोग हैं जिन्होंने कोरोना के इस काल में अपनों का साथ छोड़ दिया।

झाबुआ लाइव आप से अपील करता है कि कोरोना के इस काल में आप सोशल डिस्टेंसिंग सहित कोरोना के समस्त नियमों का पालन करें यही इन सभी मृत आत्माओं के लिए सच्ची शोकांजलि होगी ।