अनिवार्य सेवानिवृत्ति आदेश को निरस्त करने की शिक्षक कर्मचारी संयुक्त मोर्चा ने उठाई मांग, विभिन्न मांगों को लेकर सौपा ज्ञापन
पियुष चन्देल, अलीराजपुर
शिक्षा विभाग द्वारा मुख्यतः रीवा, सतना, सिंगरोली एवं अन्य जिले के 16 शिक्षकों को 20-50 फार्मूले के अन्तर्गत अनिवार्य सेवानिवृत्त दे दी गई है, जो कि सर्वधा अनुचित है। शिक्षक कर्मचारी संयुक्त मोर्चा द्वारा प्रदेश के 16 शिक्षकों को बरखास्त करने के विरोध में और उन्हें बहाल करने की मांग को लेकर आज शिक्षक कर्मचारी संयुक्त मोर्चा ने जिलाध्यक्ष राजेह आर. वाघेला के नेतृत्व में मुख्यमंत्री के नाम जिलाधीश को एस.डी.एम. श्री पाण्डे के माध्यम से ज्ञापन सौपा।
ज्ञापन में प्रदेश स्तरीय मांगो के साथ-साथ जिला स्तरीय मांगो को भी शामिल किया गया। ज्ञापन का वाचन जिलाध्यक्ष राजेश आर. वाघेला द्वारा किया गया। ज्ञापन में मुख्य रूप से निम्न बिन्दु है :- 20-50 का फार्मूला अध्यापक शिक्षक विरोधी है, इसे सरकार स्तर से वापस लिया जावें। अनिवार्य सेवा निवृत्ति नियम म.प्र. पेंशन नियम 1970 के अंतर्गत है, जिससे आधे वेतन के बराबर पेंशन जिसमें समय-समय में वृद्धि होती रहती है, की सुविधा रहती है, जिससे कर्मचारी जीवन यापन कर सकता है। लेकिन शिक्षण संवर्ग के शिक्षकों के लिए पेंशन नियम 1976 लागू नहीं है। सेवानिवृत्ति देने के लिए जिस परीक्षा को आधार बनाया गया है, वह अव्यवस्थाओं के बीच लापरवाही के साथ आयोजित की गई है, अर्थात परीक्षा विश्वशनीय नहीं है। कुछ शिक्षक 30 प्रतिशत से कम परीक्षा परिणाम की श्रेणी में नहीं आते थे, उन्हें जबरन परीक्षा में बैठाया जा रहा था, जिसके चलते कुछ शिक्षकों ने परीक्षा नहीं दी, जबकि कुछ ने बेमन से दी। वर्तमान में एक और विद्यालय में शिक्षकों की भारी कमी है, वही दुसरी और विभागीय योजनाओं की भरमार है, इसके साथ ही जबरन गैरशिक्षकीय कार्यो में शिक्षकों को संलग्न किया जा रहा है। इसके चलते परीक्षा परिणाम में अपेक्षित सुधार नहीं हो रहा है। इन शिक्षकों को अपनी दक्षता सुधारने का प्रर्याप्त अवसर नहीं दिया गया है, साथ ही कारण बताओं सूचना-पत्र भी जारी नहीं किया गया। अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने की कार्यवाही के पूर्व प्रकरणो की गहन छान-बिन नहीं की गई है। अनिवार्य सेवानिवृत्ति नियम के अनुसार पूरे सेवाकाल का रेकार्ड देखना चाहिए, जो नहीं देखा गया। बेस्ट ऑफ फाईप पद्धति तथा 80 अंको के प्रश्नपत्र मण्डल परीक्षा के प्रति भय तो दूर करता है, किन्तु विद्यार्थीयों को गुणवत्ता युक्त परिणाम के लिये प्रेरित नहीं करता, इसके लिये शिक्षको को दोषी नहीं माना जा सकता। इस अवसर पर ट्राईबल वेल फेयर शिक्षक एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष अनुज त्रिवैदी, दृष्टिहींन शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष रतनसिंह डावर, समग्र शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष मदनमोहन जाटव, उच्च माध्यमिक शिक्षक संघ जिलाध्यक्ष अरविन्द बघेल, महिला मोर्चा अध्यक्ष प्रिति डावर, जिला सचिव लालसिंह डावर, शरद क्षिरसागर, गुलसिंह सोलंकी, इन्दरसिंह मण्डलोई, हमिदा खांन, बसन्ती चौहान, केरमसिंह जमरा, थानसिंह डिमच, वेंकेट मूर्ती, निलम गेहलोत, गायत्री वाघेला, स्वरूप डुडवे, पुलीन भट्ट, शौहबतसिंह मिनावा सहित बड़ी संख्या में शिक्षकगण उपस्थित थे।
ये है, जिला स्तरीय समस्याए
जिले के अध्यापक संवर्ग जिनका शिक्षक सेवा योजनान्तर्गत शिक्षा विभाग में संविलियन किया जा चूका है, का सातवे वेतनमान निर्धारण कर सातवे वेतनमान अनुसार शिघ्र वेतन भुगतान किया जावें। ऐसे गुरूजी जो वर्षो से अपनी सेवाये ग्रामीण क्षेत्र में दे रहे है, ऐसे लगभग 12 गुरूजीयों के प्रकरण जिला खण्ड स्त्रोत समन्वयक कार्यालय में संविदा शिक्षक के पद पर शामिल करने हेतु दो वर्षो से लम्बित पढ़े है, उन्हें अविलम्ब संविदा शिक्षक का दर्जा देने हेतु आदेश प्रसारित किये जाय। इस आदेश के अभाव में वे शिक्षक मात्र 3600 रूपये प्रतिमाह में अपना जीवन यापन करने के लिये मजबुर है। इस संबंध में अनकों बार उक्त कार्या. में सम्पर्क किया गया किन्तु कोई संतुष्टीप्रत जवाब नहीं मिल रहा है। प्रकरण में किसी प्रकार की कोई गति नहीं है। जिले के ऐसे शिक्षक (अध्यापक) जिन्हें कर्मोन्नति के आदेश प्राप्त हुवें लगभग 3 माह हो चूके है किन्तु आज दिनांक तक खण्ड शिक्षा कार्यालय की सुस्त कार्यप्रणाली के चलते कहीं भी कर्मोन्नति वेतनमान न तो निर्धारण किया गया है, ना ही लगाया गया है, ऐसे शिक्षकों का तुरन्त क्रमोन्नत वेतनमान लगाया जाय। जिले के ऐसे शिक्षक जिनके कर्मोन्नति के आदेश हेतु फाईल जिला पंचायत में लम्बित है, उन्हें शिघ्र जारी किया जाय। जिले के शिक्षकों के लम्बित डी.ए. का शिघ्र भुगतान किया जाय। जिले के जिन संकुलो में छठवे वेतनमान की प्रथम व द्वितीय किश्त नहीं दी गई है , उन्हें अविलम्ब देने का कष्ट करें। कक्षा 9 वी में ब्रिज कोर्स के अन्तर्गत प्रशिक्षण आयोजित कर मोबाईल के माध्यम से परीक्षा लि गई थी, ऐसे लगभग 154 शिक्षक जिन्हें तकनिकी समस्या के चलते 0 अक प्राप्त हुवें थे, एवं जिनकी वेतन वृद्धि रोकी गई है, इस संबंध में दिनांक 17.09.2011 को श्रीमान जिलाधीश महोदय, के नाम जिला शिक्षा अधिकारी के माध्यम से ज्ञापन भी सौपा गया था, किन्तु उसपर किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं हुई । वेतन वृद्धि रोके गये शिक्षकों के वेतन वृद्धि रोकने के आदेश को तुरन्त निरस्त कर आयुक्त महोदय, निर्देशानुसार कारण बताओं सूचना-पत्र जारी किया जावे ताकी सहीं स्थिति का पता चल सकें। सोण्डवा विकासखण्ड के अतिथि शिक्षकों का वेतन भुगतान शिघ्र किया जाय।
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