पीएम आवास योजना मे गडबडी के आरोप मे पंचायत सचिव पर एफआईआर दर्ज ; 11 लाख 95 हजार की हेराफेरी का आरोप

- Advertisement -

चंद्रभानसिंह भदोरिया @ चीफ एडिटर

विगत एक पखवाडे से अधिक समय से इलाके मे सुर्खियां बन चुके राणापुर जनपद पंचायत के ” बन ग्राम पंचायत ” मे हुऐ पीएम आवास घोटाले के मामले मे आज प्रशाशन ने पंचायत सचिव झीतरा डामोर के खिलाफ IPC की धारा 409 , 420 , 467 & 468 मे एफआईआर दर्ज करवाई है एफआईआर राणापुर जनपद के सीईओ योगेंद्र सिंह ने करवाते हुऐ जांच प्रतिवेदन के आधार पर आरोप लगाया कि पंचायत सचिव मे कुल 11 पीएम आवास के हितग्राहियो को पीएम आवास का भुगतान ना करते हुऐ 11 अन्य लोगो को जियोटैग के जरिए भुगतान कर दिया गया । एफआईआर मे सीईओ ने आरोप लगाया कि अगर सरपंच ने दबाव बनाया हो तो सचिव का यह दायित्व बनता है कि वह शाशन ओर प्रशाशन को अवगत करवाता लेकिन उसने ऐसा नहीं कर गडबडी की ।

इन लोगो की जगह इन फर्जी लोगो को मिल गयी राशि
===========================
एफआईआर मे जांच प्रतिवेदन के आधार पर फरियादी बने सीईओ योगेन्द्र ने सचिव झीतरा पर आरोप लगाया कि उसने पीएम आवास योजना के वास्तविक 11 हितग्राहियो पांगली पिता हमीर ; गेंदा गलियां ; संजय प्रकाश चोहान ; रतन पांगला चोहान; रामू भुचर; सवला मगन ; नाना मकना ; नर्मदीबाई जंगलिया डामोर ; प्रमिला रमेश सिंगाड ; अमित मडिया ; संजय जोहरसिंह इन 11 पीएम आवास हितग्राहियो को भुगतान ना करते हुऐ दूसरे 11 फर्जी लोगो को भुगतान कर दिया । जिन फर्जी लोगो को भुगतान गया उनमे सुमली भुचर सिंगाड ; परम शैतान वसुनिया निवासी पुआला ; सजन हरजी सिंगाड ( बन) ; राजेश सिंगाड ( बन ) ; भुचर नानसिंह सिंगाड ( बन ) ; गमीर सवला सिंगाड ( बन ) ; सरमा प्रेमचंद्र ( बन ) ; सविता राजु सिंगाड ( बन ) ; सकुडी रमेश सिंगाड ( बन ) मडिया निनामा ( बन ) अर्जुन भुरिया सिंगाड ( बन ) शामिल है एफआईआर मे सीईओ ने इन फर्जी नामो को भुगतान हेतु जियोटैग के फर्जीवाडा करने का आरोप भी सचिव झीतरा पर लगा है ।

अभी भी कई बडे सवाल ; सरपंच को राहत क्यो ?
===========================
मामले मे मीडिया अटेंशन ओर बन के ग्रामीणो की जागरुकता ओर आक्रोश के बाद झुके प्रशाशन ने एफआईआर तो दर्ज करवाई लेकिन सरपंच को नामजद नही किया गया जबकि एफआईआर मे फरियादी सीईओ कह रहे है कि सरपंच के दबाव मे यह घोटाला हुआ है फिर सरपंच को राहत क्यो ? यह बडा सवाल है दूसरा शुरुवाती खबरो के अनुसार कुल 20 हितग्राहियो के साथ ठगी हुई है ओर एफआईआर मे जांच के हवाले से 11 हितग्राहियो के साथ ही छलावा करने की बात कही गयी है बाकि का क्या हुआ ? क्या जियोटैग मे छेड़खानी ओर फर्जी लोगो के खातो मे राशि डालना इकलोता सचिव का ही काम था ? बैंक की भूमिका पर एफआईआर खामोश है ।

अब आगे क्या ?
===========
मामले मे सचिव की गिरफ्तारी होगी ओर सचिव किसी अन्य की भूमिका की गवाही या सबूत पेश करता है तो अन्य लोग भी आरोपी बनेंगे । सचिव के खिलाफ लगाई गयी धाराऐ ऐसी है जिनमे जमानत नही है ।