पारणोत्सव के पहले दिन दीक्षा-प्रतिष्ठा का माहौल : मुनि विद्वतरत्न विजयजी ने कहा कि भगवान से धर्मरूपी माल मांगो से खत्म नहीं होगा

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राज सरतलिया, पारा

 नगर जैन समाज द्वारा आयोजित 3 दिवसीय पारणोत्सव ने पुण्य सम्राट आचार्य देवेश श्रीमद विजय जयंतसेन सूरीश्वरजी की निश्रा में वर्ष 2014 में नगर के आदिनाथ-शंखेश्वर-सीमंधर धाम जिन मंदिर प्रतिष्ठा पर हुए आयोजन की यादें ताज़ा कर दी। शारीरिक रूप से भले ही गुरुदेव हमारे बीच उपस्थित नहीं है पर उनका असीम आशीर्वाद सदैव पारा श्रीसंघ पर बरस रहा है। त्रिदिवसीय के आयोजन की जानकारी देते श्रीसंघ अध्यक्ष प्रकाश तलेसरा एवं परिषद प्रचारमंत्री सुशील छाजेड़ ने बताया की वर्तमान गच्छाधिपति नित्यसेन सूरीश्वरजी की निश्रा में आयोजित इस कार्यक्रम में पहले दिन रविवार को सुबह से ही धर्ममय माहौल बना हुआ है। भक्तामर,गौतम इक्कीसा, गुरु गुण इक्कीसा, गुरु गुणानुवाद तथा जयंतसेन पाठ के बाद मुख्य बाजार स्थित जिन मंदिर में विराजित भगवंतों की अष्टप्रकारी पूजन की गई। बोरी रोड़ में बनाये गए पेपराल नगरी में नवकारसी का आयोजन किया गया जिसका लाभ श्रेणिक,राजेन्द्र, सुनील कुमार पगारिया परिवार द्वारा लिया गया। स्वामी वात्सल्य के लाभार्थी सुरेश, राहुल भंडारी के घर से बेंड बाजों के साथ गुरुदेव की निश्रा में एक शोभायात्रा निकाली गई जो बोरी रोड़ पर बनाई गई हस्तिनापुर नगरी में जाकर एक धर्मसभा में बदल गई। गुरुदेव के मंगलाचरण के पूर्व सुश्रावक राजेन्द्र कोठारी ने सामूहिक गुरुवंदन करवाया। श्रीसंघ एवं परिषद की ओर से लाभार्थी अतुल भंडारी परिवार, नरेंद्र व्होरा परिवार, दिलीप कोठारी परिवार एवं सुभाष कांकरिया परिवार द्वारा नवकारसी एवं सुबह- शाम स्वामीवत्सल्य के लाभार्थियों के साथ पहले दिन दोपहर में हुई पुण्य सम्राट की पूजन के लाभार्थी प्रकाश छाजेड़ परिवार एवं शाम को आंगी एवं संगीत के लाभार्थी सुरेश कोठारी परिवार का बहुमान किया गया।

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कर्मों ने तीर्थंकरों तक को नहीं छोड़ा

मुनि विद्वतरत्न विजयजी ने अपने प्रवचन में वर्षीतप का महत्व बताते कहा कि कर्मों ने तो तीर्थंकर परमात्मा भगवान आदिनाथ को तक नहीं छोड़ा था। लेकिन हम मंदिर जाकर भी अपने घर- परिवार और धंधे के बारे में ही भगवान से मांगते हैं जबकि हमे धर्म रूपी माल मांगना चाहिए।
आपने प्रवचन देते कहा कि धन और सत्ता तो आती जाती रहती है पर यह मनुष्य जीवन और उसमें भी जिन शासन अनंत भवों के पुण्योदय के बाद मिला है।
धन संपत्ति तो कइयों के पास होती है पर उनके जाने के बाद कोई याद नहीं करता जबकि जिन्होंने अपना जीवन, अपनी संपत्ति और अपना सर्वस्व जिन शासन को समर्पित कर दिया आज वो अमर हो गए।
प्रवचन के बाद श्रीसंघ अध्यक्ष प्रकाश तलेसरा ने बाहर से आये संघों के प्रतिनिधियों के प्रति आभार प्रकट किया। कार्यक्रम का संचालन संघ महामंत्री प्रकाश छाजेड ने किया।
इसके बाद पेपराल नगरी में स्वामीवत्सल्य का आयोजन किया गया। दोपहर में श्रीराजेंद्र सूरी गुरु ज्ञान मंदिर में पुण्य सम्राट की पूजन पढ़ाई गई। शाम को नरेंद्र कुमार, प्रतीक, प्रियांश व्होरा परिवार द्वारा स्वामिभक्ति का लाभ लिया गया। पारा की बहन – बेटियों ने लिया बड़ा लाभ

गुरुदेव के मंगल प्रवेश पर आयोजन स्थल पर बनाई गई पेपराल नगरी की बोली लगाई गई जिसका नगर की 50 से अधिक बहन – बेटियों ने सामूहिक रूप से बोली लेकर लाभ लिया। ज्ञातव्य है कि दीक्षा प्रतिष्ठा के अवसर पर भी नगर जैन समाज की बहन – बेटियों ने बड़ा लाभ लिया था। त्रिदिवसीय आयोजन में जैन समाज की बहन बेटियों की उपस्थिति से कार्यक्रम में रौनक छा गई। बहन – बेटियां सभी आयोजनों में बढ़ – चढ़ कर हिस्सा ले रही है।