SPECIAL: कांग्रेस में ‘गृहयुद्ध’ के हालात, सब कुछ देखकर भी ‘सेनापति’ मौन

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राजनीति में सेनापति पथ प्रदर्शक होता है तो साथ ही कहा जाता है कि संगठन में शक्ति होती है। कांग्रेस पार्टी तो कम से कम इस बात पर कतई अमल करती नहीं दिख रही है। बात हो रही है कभी कांग्रेस के सबसे मजबूत गढ़ रहे झाबुआ और अलीराजपुर अंचल की। पार्टी में यहां गुटबाजी चरम पर है। नेता विरोधियों के बजाए अपनों को ही पटखनी देने में जुटे है तो कार्यकर्ताओं की शक्ति इसमें खत्म हो रही है कि वह किसे अपना नेता माने और किसी बात पर अमल करें। इन सब पर प्रदेश अध्यक्ष अरूण यादव की चुप्पी से राजनीतिक गलियारों में अलग-अलग मायने तलाशे जा रहे है। पेश है झाबुआ आजतक की ख़ास पेशकश।

पंचायत चुनाव लोकतंत्र का आधार है लेकिन देश की सबसे बडी पार्टी कांग्रेस झाबुआ और  खासकर अलीराजपुर जिले मे आपसी कलह  का सबसे अधिक शिकार हो रही है। झाबुआ में जहां पूर्व विधायक “जेवियर मैडा ओर वालसिंह मैडा ने तो अलीराजपुर मे महेश पटेल-सुलोचना रावत ने कांतिलाल भूरिया की कांग्रेस में सर्व मान्यता को चुनौती देना शुरु कर दिया है। यही कारण है कि कांग्रेस ने जहाँ कांतिलाल भूरिया की इच्छा अनुसार जिला एंव जनपदो मे कांग्रेस के उम्मीदवारों की अधिकृत पैनल जारी कर दी वही झाबुआ मे जेवियर एंव वालसिंह मैडा ने तो अलीराजपुर मे महेश पटेल ने अलग से पैनल जारी कर खुद को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष द्वारा इसके लिऐ अधिकृत करना बताया। वहीं पीसीसी लिखित मे कोई सूची जारी नही कर रही है। इससे अरुण यादव के मन में क्या है इसको लेकर शंकाऐ कांग्रेस के भीतर बढ रही है।

चुंकि पंचायत चुनाव नाम के गैर राजनीतिक है लेकिन हकीकत मे यह राजनीतिक चुनाव ही है। जिसमें दोनों पार्टियों का आंतरिक लोकतंत्र खत्म होता दिख रहा है। शायद कांतिलाल भुरिया को पहली बार चुनौती पार्टी के भीतर से मिल रही है। कलावती भूरिया को चौथी जिला पंचायत अध्यक्ष बनने से रोकना भूरिया विरोधियो की रणनीति है। भूरिया कलावती को फिर से जिला पंचायत अध्यक्ष इसलिए बनवाना चाहेंगे कि इससे तीन संदेश जायेगे।

  1. पहला यह कि उनकी पकड अभी भी जनता मे गहरी है मोदी लहर से वे हारे है ना कि खुद की कमी से।
  2. दूसरा यह कि कांग्रेस का चेहरा वही है कांग्रेसियों के विरोध के बावजूद लोगों ने उनको चुना।
  3. तीसरा भाजपाईयों को यह संदेश देंगे कि अब उनके अच्छे दिन आने वाले है। अभी भले ही कहा जा रहा हो कि पेटलावद क्षेत्र के तीन जिला पंचायत वार्ड में से दो वार्ड कलावती गेहलोत ओर अकमाल (मालु) कांतिलाल भूरिया विरोधी और जेवियर-वालसिंह समर्थक है लेकिन इस बात में संदेह है।

क्योंकि दो प्रसंग इसकी पुष्टि करते है पहले कहा गया कि झाबुआ में होने वाली जेवियर-वालसिंह की प्रेस कांफ्रेंस मे कलावती गेहलोत-अकमाल शामिल होंगे। इसमें वह खुद को जेवियर-वालसिंह द्वारा जिताये जाने की बात कहेंगे लेकिन दोनों नहीं आए, फिर कहा गया कि अलीराजपुर में महेश पटेल के फार्म हाऊस पर आयोजित सम्मेलन मे दोनों  का सम्मान किया जायेगा लेकिन दोनो वहाँ भी नही पहुँचे।मतलब साफ है कि दोनों अभी पत्ते खोलना ही नहीं चाहते यानी दोनों ने सारे विकल्प खुले रखे है।

अलीराजपुर जिले की बात करे तो कांग्रेस यहाँ जिला पंचायत बनाने के लिए नहीं लड़ रही है बल्कि कौन बेहतर कांग्रेसी है यह साबित करने के लिए ताकत दिखा रही है। कांतिलाल भूरिया ओर महेश पटेल समर्थक आमने-सामने है। यहां भले भाजपा जीत जाये लेकिन कांग्रेस के भीतर अपने विरोधी ना जीत पाये इस इगो पर यहाँ चुनाव लड रहे है।