श्रद्धालुओं ने जमीन पर लेटे और शरीर से गुजर गई गायें

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झाबुआ लाइव के लिए राणापुर से मंयक गोयल की रिपोर्ट-
रानापुर तहसील मुख्यालय से 13 किलोमीटर दूर रूपाखेड़ा व कंजवानी कुशलपुरा समोई आसपास क्रमांक दो में दीपावली के दूसरे दिन पड़वा सोमवार को आस्था का पर्व गाय और गोहरी परम्परागत रूप से मनाया गया। सैकड़ों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में मन्नत लिए हुए लोगों पर से गायों का काफिला गुजरी। जमीन पर लेटे श्रद्धालुओं पर से गायों के गुजरने का यह परंपरागत त्योहार रूपाखेड़ा ग्राम में कई बरस से ज्यादा समय से मनाया जा रहा हैं। इस पर्व पर अंधविश्वास पर आस्था भारी पड़ी और ढाई सौ गायों के गुजरने के बाद भी किसी को चोंट तक नहीं आई। कम पर सुबह गाय और गोहरी कार्यक्रम पूर्ण श्रद्धा और आस्था के साथ ग्राम के भवानी मंदिर पर पूजन अर्चन से प्रारंभ हुआ। आस्था के इस त्योहार की शुरूआत एकादशी से हुई। मन्नत वाले श्रद्धालुओं ने इसी दिन से व्रत उपवास प्रारंभ कर दिया। इसी दिन से ग्राम के मंदिर में सोना प्रारंभ कर दिया था। पांच दिनो तक ये श्रद्धालु रोज रात में दीपक लेकर घूमते रहे और हीड़ तथा भजन गाए। गाय औैर गोहरी कार्यक्रम में इस बार तेरह श्रद्धालुओं के ऊपर से गाये गुजरी। ये श्रद्धालु अपने ऊपर गायों के गुजरने से पहले मुंह पर कंबल ओढ़ लेते हैं तथा औंधे गांव की सकरी गली में लेट जाते हैं। गाये उनके ऊपर से गुजरी और उनको कुछ भी नहीं हुआ। कार्यक्रम के बाद ग्रामीण हर्षोल्लास से नाचते-गाते चल समारोह निकले। इस मौके पर आसपास के गॉंवों के सैंकड़ों ग्रामीण इकठ्ठा हुए। ग्राम के सरपंच ने बताया कि गाय गोहरी पर्व के अवसर पर मन्न्त वाले लोग आसपास के ग्रामों में जाकर कांकड़ जगाया। ग्राम की युवा सरपंच सतु परमार ने सभी द्धालुओं का साफा बांधकर और तिलक लगाकर पंचायत की ओर से अभिनंदन किया। सरपंच ने इस अवसर पर कहा कि हर घर में गोमाता होना चाहिए। आपने पंचायत की ओर से हर घर में गाय दिलाने के प्रयास का भी जिक्र किया। इस अवसर पर मांगीलाल डामोर सोमला तडवी राजेश भटेवरा मांजुसिंह परमार विमलेश जैन, रतनसिंह परमार आदि मौजूद थे। आभार सरदारसिंह परमार ने माना। मन्नत पूरी होने पर शुरू हुआ यह आस्था का पर्व ग्रामीण बताते हैं कि ग्राम के शंकर मामा ने अपने यहां पुत्र होने की मन्नत के साथ ही यह गाय और गोहरी कार्यक्रम प्रारंभ हुआ था तब से आस्था का यह पर्व ग्रामीण प्रति वर्ष मनाते हैं । इस पर्व की खासियत यह हैं कि गायो के ऊपर से गुजरने के बाद भी श्रृद्धालुओं को खरोंच तक नहीं आती हैं और यदि मामूली चोंट आती हैं तो गव्य मूत्र एवं गोबर से प्राथमिक उपचार करते हैं ।