जिला विधिक सेवा प्राधिकरण का साक्षरता शिविर जेल में हुआ

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शिविर में जानकारी देते डाॅ. रविकांत सोलंकी।
शिविर में जानकारी देते डाॅ. रविकांत सोलंकी।

झाबुआ – मप्र राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जबलपुर के निर्देशानुसार एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकर के अध्यक्ष बीसी मलैया के मार्गदर्शन में जिला जेल झाबुआ में विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन हुआ। जिसमें बंदियों के कर्तव्य एवं अधिकार, लोक अदालत, प्री बार्गलिंग एवं विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा दी जाने वाली सुविधाआ, साक्षरता के संबंध में उपस्थित कैदियों को जानकारी दी।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि न्यायाधीश डाॅ. रविकांत सोलंकी उपस्थित थे। वहीं विशेष अतिथि अर्चना राठौर, जयेन्द्र बैरागी एवं विधिक प्राधिकरण के अधिकारी सिमोन सुलिया थे। अध्यक्षता जेल अधीक्षक एनएस विंचुलकर ने की। साक्षरता शिविर मे अर्चना राठोर ने कहा कि दोनो पक्षकारो की सहमति से लोक अदालत के माध्यम से कई प्रकरणों का निपटारा निरंतर हो रहा है। इस लोक अदालत के प्रकरणों में दोनो पक्षकार के मध्य सम्मानपूर्वक समझोते होते है तथा वर्षों से चले आ रहे लंबित मामलों का निराकरण हो जाता है। जिसमें दोनो पक्षकारो के पैसे एवं समय की बहुत बचत होती है। मुख्य अतिथि डाॅ. सोलंकी प्री बार्गलिंग योजना के संबंध में बताते हुए कहा कि इस योजना के माध्यम से कई छोटे-मोटे प्रकरणों का निराकरण हो जाता है तथा दोषी व्यक्ति को बहुत कम सजा देकर उसे दोषमुक्त कर दिया जाता है तथा उसे भविष्य में इस तरह के अपराध न करने की सलाह दी जाती है। इस योजना का लाभ लेने वाले व्यक्ति को पूर्व में अपराधी नहीं होना चाहिए तथा साथ ही महिला एवं बच्चंे तथा एनडीबीएस के अपराधियांे को इस योजना का लाभ प्राप्त नहीं होता है। शिविर मे यशवंत भंडारी ने बंदियो के अधिकारों एवं कर्तव्यों की विवेचना करते हुए कहा कि कैदियों को माननीय न्यायालय एवं शासन-प्रशासन द्वारा जो अधिकार दिए गए है, उसके अंतर्गत उन्हंदोनो समय भोजन के साथ अच्छे कपड़े आदि मुहैया करने की जवाबदारी जेल प्रशासन की है। वहीं पर जेल में बंद बंदियांे को अपने स्वजनों, मित्रांे एवं वकीलो से निष्चित समय में मुलाकात भी समय दिया जाता है। जिसमें वह अपने परिजनों से मुलाकात कर सकते है, आपने बताया कि जेल में बंदी अपने धर्म के हिसाब से अपने ईष्ट देव की आराधना करने के लिए भी स्वतंत्र है। वहीं पर यदि कोई  बीमारी हो जाती है, तो जेल प्रशासन को यह दायित्व है कि उन्हें चिकित्सा सुविधाएं तत्काल उपलब्ध करवाए। साथ ही आपने बताया कि सजायाफता कैदियों को दो वर्ष पश्चात अब शासन द्वारा 45 दिनों की पैरोल सुविधा भी उपलब्ध करवाई जा रहीं है। जिसके अंतर्गत कैदियों का जेल में व्यवहार अच्छा होना अति आवष्यकत है। साथ ही बंदियां के कर्तव्य के संबंध में कहा कि जेल मेन्युअल एवं नियम का पालन करना प्रत्येक कैदी का प्रथम कर्तव्य है, जो कैदी अनुशासन एवं अपने व्यवहार को अच्छा रखता है, उसकी सजा में भी छुट दी जाती है। आयोजन की अध् अध्यक्षता कर रहे जेल अधीक्षक एनएस विंचुलकर ने कहा कि पिछले डेढ़ माह से हम जेल में सुधार के कई कार्य कर रहे है तथा कैदियों को हर तरह की सुविधा उपलब्ध करने में कोई कमी नहीं रख रहे है।