कुण्डली में शनि, दिगाम में मनी और जीवन में दुश्मनी दुखदायक होते है

- Advertisement -

झाबुआ । एक बार दही को मथकर माखन निकाल लिया जाए फिर चाहे उसे दूध या छाछ में डाल भी दो तो उपर तेैरता रहेगा। इसी तरह आत्मा परमात्मा की एकता और देह संसार की नष्वरता का अच्छी तरह अनुभव हो जाए फिर चाहे संसार में रहे चाहे वन में। समाज में जीयो पवित्र प्रतिष्ठा के साथ और आध्यात्म में जियो ब्रह्नानिष्ठा के साथ। संसार से अलग नही रहना है, संसार मे अलग रहना है, जिस गांठ को एक दिन खुलना है, उसे बहुत कस कर मत बांधों। ’था’ की स्मृति ’है’ का आश्रय ’हूं’ का अभियान दन तीनों को बोध में बाधा जानों। अगर कुए में मीठे पानी का स्त्रोत नहीं है तो उपर से कितनी भी शकर डालने पर वह मीठा नहीं हो सकता। स्वभाव का परिवर्तन ही आध्यात्म का उद्देश्य है। उक्त प्रेरणादायी प्रवचन तीर्थेन्द्रधाम में आयोजित हो रही सप्त दिवसीय श्री मदभागवत कथा के चोथं दिन पूज्य स्वामी श्रीकृष्ण शारणम देवजी महाराज उज्जैन ने व्यक्त किए। भागवत कथा सुनने के लिए दिन ब दिन श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ती जा रही है। आज खचाखच भरे पंडाल में धर्मसभा में श्रीकृष्ण प्राकट्य एवं नंद महोत्सव पर पूरा कथा परिसर ब्रजधाम में तब्दील हो गया था। सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं ने भगवान के जन्मोत्सव की खुशियां मनाई। भागवत कथा कहते हुए पूज्य स्वामी ने कहा कि कपड़े को सफेद नहीं करना पडता, सफेद तो वह है ही बस मैल हटाते जाओ। बुरा मार्ग छोड़ दो स्वतः अच्छे मार्ग पर आ जाओंगे। व्यक्ति का संस्कार ही उसका संसार होता है। जैसे संस्कार होते हैं वैसे ही आकार में संसार आकारित होता है। संत तो कडछी की तरह होते है जो प्रेरणा देकर सम्पन्नों का धन विपन्नों की सेवा में लगवा देते हैं। खुशी के लिए काम करोगें तो खुशी नहीं मिलेगी लेकिन खुश होकर काम करोगें तो खुशी और सफलता दोनों ही मिलेगी। पूज्य स्वामीजी ने आगे कहा कि अगर आप गुलाब की तरह दुनिया को बागीचें में खिलना और महकना चाहते हैं तो कांटांे के साथ सामंजस्य बैठाना सीखना पडे़गा । कुंडली में शनि, दिगाम में मनी और जीवन में दुश्मनी दुखःदायक होते है।
उन्हांेने आगे कहा कि शिष्य दुर्लभ है, गुरू नहीं। सेवक दुर्लभ है, सेव्य नहीं, जिज्ञासु दुर्लभ है, ज्ञान नहीं। भक्त दुर्लभ है भगवान नहीं। ईश्वर जब देना शुरु करता है तो छप्पर फाड़ के देता है और जब लेना शुरू करता है तो थप्पड मारके लेता है। संशय करके बर्बाद होने की अपनेक्षा विश्वास रख करी लूट जाना अधिक श्रेयस्कर है।स्थानीय तीर्थेन्द्रधाम पर पूज्य स्वामी की कथा केदौरान श्रीकृष्ण का प्राकट्य महोत्सव बड़े आनंद एवं धूमधाम से मनाया गया। नंद घर आनंद भयो की ध्वति से पंडाल गूंज उठा। गुरूवार को कथा में भगवान की बाल लीलाओं के वर्णन के साथ गोवर्धन पूजा महोत्सव तथा छप्पनभोग की झांकी का दर्शन होगा ।
प्रभारी मंत्री भी कथा श्रवण हेतु हुए शरीक
झाबुआ भ्रमण पर आये जिला प्रभारी मंत्री अंतरसिंह आर्य ने मंगलवार को भागवत कथा में शामिल होकर कथा का श्रवण किया। पूज्य स्वामी ने व्यासपीठ से मंत्री आर्य, जिलाध्यक्ष शैलेष दुबे, विधायक कलसिंह भाबर, शांतिलाल बिलवाल, कल्याणसिंह डामोर आदि का सम्मान कर आषीर्वाद प्रदान किए। मंत्रीजी आरती में शामिल हुए तथा व्यासपीठ को नमन किया।2 3