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उत्साहपूर्वक मनाई जा रही है तेजा दशमी, निकली भव्य शोभायात्रा
रितेश गुप्ता थांदला
। भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को तेजा दशमी है। यह पर्व मुख्य तौर पर मध्यप्रदेश के मालवा, निमाड़, झाबुआ सहित राजस्थान आदि में पूरी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इस दिन तेजाजी महाराज के मंदिरों पर मेला लगता है जहां सर्पदंश से पीडि़त सहित अन्य जहरीले कीड़ों से बचाव के लिए तांती छोड़ा जाता है। श्रद्धालु नारियल, खीर, चूरमा आदि का तेजाजी को भोग लगाते हैं। कई जगह बड़े मेले भरते हैं तो कई जगह पशु मेले भी होते हैं। नवमी को रातीजगा करने के बाद दूसरे दिन दशमी को जिन-जिन स्थानों पर वीर तेजाजी के मंदिर हैं मेला लगता है। नगर में भी तेजा दशमी उत्साहपूर्वक मनाई जा रही है। तेजा दशमी के अवसर पर नगर में सत्यवीर कुंवर तेजाजी महाराज की शोभायात्रा निकाली गई। जिसमें बढ़.चढक़र लोगों ने भाग लिया। बैंडबाजों और ढोल पर भक्त झूमते हुए चल रहे थे। जुलूस ढोल-ढमाकों के साथ नगर के प्रमुख मार्गों से होता हुआ निकला। जिसमें ट्रैक्टर पर भगवान का चित्र और झांकी विराजित की गई थी। तेजाजी मंदिर पर सुबह से ही भक्तों का तांता लगा रहा। इसके बाद मंदिर परिसर में काफी भीड़ जमा हो गई।
यह है मान्यता-
तेजाजी मंदिरों में वर्षभर से पीडि़तए सर्पदंश सहित अन्य जहरीले कीड़ों की तांती (धागा) छोड़ा जाता है। सर्पदंश से पीडि़त मनुष्य, पशु यह धागा सांप के काटने पर, बाबा के नाम सेए पीडि़त स्थान पर बांध लेते हैं। इससे पीडि़त पर सांप के जहर का असर नहीं होता है और वह पूर्ण रूप से स्वस्थ हो जाता है।
खरनाल में जन्म
लोक देवता तेजाजी का जन्म राजस्थान के नागौर जिले के खरनाल में हुआ था। इनकी निर्वाण स्थली अजमेर जिले में रूपनगढ़ के निकट सुरसुरा है। जाट वीर धौलिया वंश गांव खरनाल के मांय।
तेजाजी की कथा-
तेजाजी राजा बाक्साजी के पुत्र थे। बचपन में ही उनके साहसिक कारनामों से लोग आश्चर्यचकित रह जाते थे। एक बार अपने साथी के साथ तेजाजी अपनी बहन पेमल को लेने उसकी ससुराल गए। बहन पेमल की ससुराल जाने पर वीर तेजा को पता चलता है कि मेणा नामक डाकू अपने साथियों के साथ पेमल की ससुराल की सारी गायों को लूट ले गया। वीर तेजाजी अपने साथी के साथ जंगल में मेणा डाकू से गायों को छुड़ाने के लिए गए। रास्ते में एक बांबी के पास भाषक नामक सांप घोड़े के सामने आ जाता है एवं तेजा को डसना चाहता है।तब तेजाजी उसे वचन देते हैं कि अपनी बहन की गाएं छुड़ाने के बाद मैं वापस यहीं आऊंगाए तब मुझे डंस लेना। अपने वचन का पालन करने के लिए डाकू से अपनी बहन की गाएं छुड़ाने के बाद लहुलुहान अवस्था में तेजा नाग के पास आते हैं। तेजा को घायल अवस्था में देखकर नाग कहता है कि तुम्हारा तो पूरा शरीर कटा मैं दंश कहां मारूं। तब वीर तेजाजी उसे अपनी जीभ पर काटने के लिए कहते हैं। वीर तेजाजी की वचनबद्धता को देखकर नाग उन्हें आशीर्वाद देते हुए कहता है कि आज के दिन (भाद्रपद शुक्ल दशमी) से पृथ्वी पर कोई भी प्राणीए जो सर्पदंश से पीडि़त होगा, उसे तुम्हारे नाम की ताँती बांधने पर जहर का कोई असर नहीं होगा। यही कारण है कि भाद्रपद शुक्ल दशमी को तेजाजी के मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है और सर्पदंश से पीडि़त व्यक्ति वहां जाकर तांती खोलते हैं।
तेजाजी महाराज का भव्य जुलूस निकला प्रति वर्षानुसार इस वर्ष भी तेजा दशमी के अवसर पर स्थानीय बस स्टैंड पर स्थित तेजाजी मंदिर से सुबह 11 बजे तेजाजी महाराज की भव्य जुलूस निकाला गया जुलूस सर्वप्रथ माल टोडी होते हुए पुरा ने तेजाजी मंदिर पहुंचा वहां पर मेवाड़ समाज के लोगों ने भगवान को नमन करते हुए ढोल ओर बैंड पर नृत्य किया उसके बाद भव्य जुलूस पिटोल के आजाद चौक होते हुए पूरे गांव में भ्रमण किया एवं पुन: बस स्टैंड स्थित तेजाजी मंदिर पर पहुंचा इस भव्य जुलूस को जगह जगह पर लोगों ने स्वागत किया सभी लोगों ने सम्मान पूर्वक इस जुलूस को शामिल हुए जुलूस भव्य जुलूस मंदिर पर पहुंचने के पश्चात आरती के बाद दिन भर तेजाजी मंदिर पर मन्नत मांगने वालों की तात्ती तोडऩे का काम मंदिर के पंडा श्री गुरुद्वारा गुडला गाड़ी द्वारा किया गया इसके बाद रात भर भजन कीर्तन मंदिर पर होंगे