पवित्र पर्व रमजान : रोजे का असल मकसद भूखे-प्यासे रहना नहीं बल्कि हर गुनाह से बचना है

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विजय मालवी, बड़ी खट्टाली
मुस्लिम समाज का रहमतो और बरकतो वाला पवित्र मुकद्दस पर्व रमजान माह का आगाज शुक्रवार के पहले रोजे से हो गया। रमजान माह की आमद को लेकर समाजजनो मे व्यापक उत्साह नजर आ रहा है। जिसको लेकर समाजजनों द्वारा व्यापक स्तर से तैयारियां की जा रही है। समाजजनो ने रमजान पर्व का इस्तकबाल कर एक दूसरे को दिली मुबारकबाद पेश कर किया।
अलसुबह से देर रात्री तक रहंगी चहल.पहल
रमजान माह की शुरूआत होते ही मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में रोजदार और नमाजियों की चहल-पहल बढ़ जाएंगी। पूरे रमजान के दौरान अलसुबह से देर रात्री तक चहल-पहल बनी रहती है। समाजजन प्रतिदिन अलसुबह 3 बजे से उठकर रौजे के लिए सेहरी कर रहे हैं, तो शाम सात बजे 12 मिनट पर इफ्तार करेंगे। वही दूसरी ओर मस्जिदो में तराबीह की विशेष नमाज देर रात्री तक अदा की जा रही है। मस्जिदों में तरावीह नमाज के दौरान ईमाम द्वारा एक माह तक कुरान पाक की तिलावत का सिलसिला चलेगा। इसके लिए नगर की मस्जिदों में प्रतिदिन तराबीह पढ़ी जा रही है।
रोजा रखना हर मुस्लिम पुरुष-महिलाए और बालिंग बच्चो पर फर्ज
रमजान का महीना बहुत ही पवित्र महिना है। अल्लाह के रसूल ने फरमाया कि शाबान मेरा महीना है और रमजान अल्लाह का महीना है। इस्लाम धर्म मे रोजा रखना हर मुस्लिम पुरुषए महिलाए और बालिंग बच्चो पर फर्ज है। इस मुकदस माह मे जो लोग रोजा नही रखते है वह अल्लाह की रहमत से महरुम रहते है और रोजा नही रखना सबसे बड़ा गुनाह माना गया है। इस पाक महीने मे अल्लाह अपने बंदो के लिए जन्नत के दरवाजे खोल देता है और जहन्नम के दरवाजे बद कर देता है। इस माह में एक नेकी का बदला सत्तर गुना बढ़ाकर बंदे के खाते में लिखा जाता है। उन्होने बताया कि रमजान के तीस रोजे बुराई से दूर रहने के संदेश के साथ-साथ गरीबों की भूख व प्यास का भी एहसास कराते हैं। इस महीने में रोजेदार नफ्स पर नियंत्रण करता है। रोजे में सिर्फ रोजेदार भूखाए प्यासा ही नहीं रहता है बल्कि हर बुराई से वह महफूज रहता है। रमजान माह को तीन हिस्सो मे विभाजित किया गया है। पहले रोजे से दसवे रोजे तक का पहला असरा रहमत का है। दूसरा असरा मगफिरत का है और तीसरा असरा जहन्नम की आग से निजात पाने का है। पवित्र रमजान माह मे शबे कद्र 26 वे रोजे की एक रात ऐसी है जो हजारों रातों से महत्वपूर्ण रात है। धार्मिक मान्यताओ के अनुसार रमजान मे उस रात का विशेष महत्व है।