SDM व SDOP के आश्वासन का नगरवासियों को ठेंगा !

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शांति समिति की बैठक केवल औपचारिकता मात्र

जोबट@आकाश उपाध्याय/सुनिल खेडे

नगर में लगातार बाधित हो रही यातायात व्यवस्था को लेकर गत 26 अप्रेल 2022 को शांति समिति की बैठक में अहम मुद्दा सामने आया था । बैठक में उपस्थित नागरीको व पत्रकारों ने एक सुर में नगर में भारी वाहनो के प्रतिबंध की बात रखी थी इस पर ASP एसआर सेंगर, SDM देवकीनंदन, SDOP नीरज नामदेव, CMO आरती खेडेकर, RTO अधिकारी विरेन्द्र सिंह की मौजुदगी में सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे तक नगर में भारी वाहनों पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लेते हुए तत्काल इसे लागु करने की बात हुई थी । लेकिन हर बार की तरह शांति समिति की बैठक मे लिया गया उक्त निर्णय नाम मात्र ओपचारिकता साबित हुई । बैठक में निर्णय के बाद भी आये दिन भारी वाहन नगर में लगातार प्रवेश कर रहे है जिससे घण्टो यातायात बाधित हो रहा है व आमजनता को परेशानीयां उठाना पड रही है । इसकी अति तो तब देखने को मिलती है जब भर गुरूवार हाट बाजार के दिन भी यह भारी वाहन नगर में प्रवेश कर व्यापारीयों की दुकान पर माल खाली करते नजर आते है वही जिम्मेदार प्रशासन कई बार देखकर भी इसे अनदेखा कर देता है । कई दुपहियो वाहन चला रही महिलाओं को भी इस बढते यातायात से पेरशानी के साथ शर्मिदां होना पडता है । नगर में पहले ही अतिक्रमण के चलते सडके सकडी हो चुकी है ऐसे में भारी वाहनो के नगर में प्रवेश व व्यापारीयो के यहा माल खाली करने के चक्कर में भारी अव्यवस्थाए होती आये दिन दिखाई देती है ।

आपको बता दे की हर शांति समिति बैठक में कई अहम मुद्दो पर चर्चा होती आई है जिस पर मौजुदा अधिकारी तत्काल प्रभाव से अमल में लाने की बात करते आये है लेकिन कभी भी उक्त बैठक मे लिये गये निर्णय जमीन पर नजर नही आये । बैठक मे चर्चा पर कार्यवाही न होने की बात की भी चर्चा कई बार इस बैठक में की जा चुकी है की शांति समिति की बैठक मात्र आपचारिक होती है लेकिन आला अधिकारी के बडे आश्वासन के बाद सभी आश्वस्त हो जाते है जो बाद में औपचारिका को दोहराते है । भारी वाहनो के प्रतिबंध का मामला भी कुछ इसी प्रकार दिखाई दे रहा है । कुछ माह पुर्व बैठक में भारी वाहनो पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया गया था साथ ही बायपास पर इस हेतु सुचना पटल लगाने की बात भी हुई थी लेकिन हमेशा की तरह शांति समिति की बैठक जाओ, चर्चा करो, चाय पीयो और चलते बनो यह वाक्या लगातार दोहराया जा रहा है ।

एक समय था जब शांति समिति की बैठक मे सेकडो की संख्या हुआ करती थी नगर के सभी समाजजन के प्रमुख, पत्रकारगण, जनप्रतिनिधीयो व पार्षद के साथ नगर के अन्य जिम्मेदार नागरीक हुआ करते थे । बकायदा समिति का एक अध्यक्ष हुआ करता था, सदस्यो की व्यवस्थित सुची हुआ करती थी, घर-घर जाकर बैठक की सुचना दी जाती थी, लेकिन प्रशासन का शांति समिति की बैठक औपचारिक मात्र वाले रवैये से धीरे-धीरे सभी सदस्य इस बैठक का अप्रत्यक्ष रूप से बहिस्कार करने लेगे । आलम यह है की अब शांति समिति की बैठको में नाम मात्र गीने चुने 10 से 12 लोग ही आते है । प्रशासन की नगर को लेकर लगातर उदासीनता जनता में आक्रोश पैदा करती जा रही है । आला अधिकारीयो ने शांति समिति की बैठक को एक मजाक बनाकर रख दिया है । समाचारो के माध्यम से इनकी जिम्मेदारी का एहसास भी इन्हे लगातार करवाया जा चुका है लेकिन इनके सीर पर जु तक नही रेंगती ।