अभिभाषक नैशनल मेगा लोक अदालत में अधिक प्रकरणों का करे निराकरण : अपर सत्र न्यायाधीश अलावा

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झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़ की रिपोर्ट-
बुधवार 8 नवंबर को इंदौर संभाग के आयुक्त संजय दुबे का झाबुआ जिला सहित पेटलावद क्षेत्र का दौरा प्रस्तावित है। इस दौरे में आयुक्त के द्वारा विशेष रूप से राजस्व प्रकरणों और आरसीएमएस में दर्ज प्रकरणों की समीक्षा की जाएगी। गौरतलब है कि अलीराजपुर जिला बनने के बाद झाबुआ जिले की सबसे बड़ी राजस्व तहसील के रूप में पेटलावद अनुभाग आता है। इस अनुभाग के तहत पेटलावद में एक तहसील और दो टप्पा तहसील क्रमश: सारंगी और झकनावदा आती है। इन राजस्व तहसीलों के अंतर्गत 77 ग्राम पंचायतों के तहत 243 राजस्व गांव आते है जिनमें लगभग 41 से अधिक हल्का पटवारियों में विभक्त किया गया होकर जिनके कामकाज 29 पटवारियों के माध्यम से किए जा रहे है। कई पटवारियों के पास एक से अधिक हल्के है जिससे पटवारियों के ऊपर भी काम का बोझ अधिक है। वहीं सभी पटवारी हल्के दो राजस्व निरीक्षक वृत्त के अंतर्गत आते है। इस तरह से पेटलावद तहसील सबसे बड़ी तहसील होकर इस तहसील में प्रतिदिन सैकड़ों ग्रामीण अपनी समस्याओं को लेकर आते है किंतु पिछले कुछ वर्षों से शासन के द्वारा इस अनुभाग क्षेत्र की अनदेखी सी कर दी गई है। पूर्व में पेटलावद क्षेत्र में 1 तहसीलदार सहित 2 नायब तहसीलदार कामकाज संभालते थे। वर्तमान में स्थिति यह है कि पेटलावद में एक भी स्थाई तहसीलदार पदस्थ नहीं है. तहसीलदार स्तर के कामकाज राजस्व निरीक्षक के प्रभार वाले अधिकारियों के माध्यम से करवाया जा रहा है। कई बार पेटलावद के नागरिकों के द्वारा क्षेत्र में स्थाई तहसीलदार की मांग की जा रही है किंतु लगभग 2 वर्ष से अधिक समय से पेटलावद में एक भी स्थाई तहसीलदार पदस्थ नहीं है। वहीं न्यायालयीन कामकाज हेतु भी तहसील में कर्मचारियों की काफी कमी है। कई बाबूओं के पास एक से अधिक टेबलों का कामकाज होकर कार्य की अधिकता के चलते कई बार महत्वपूर्ण कार्य भी अधूरे रह जाते है जिनके कारण ग्रामीणों को बार बार तहसील के चक्कर लगाने पड़ते है।
आरसीएमएस की प्रक्रिया पंचायतों की समझ के बाहर
शासन के द्वारा अविवादित नामांतरण और बटवारा की कार्रवाई का अधिकारी ग्राम पंचायतों को दिया गया है किंतु प्रमुख रूप से यह देखने में आता है कि ग्राम पंचायत में जब आवेदक अपना आवेदन ले कर पहुंचता है तो पंचायत के सचिव और सरपंच के द्वारा राजस्व कामकाज की जानकारी नहीं होने से काफी समय तक पबकार कङ्क्ष दउड़ाया जाता है। वहीं जब प्रकरण विवादित होने से तहसीलदार की ओर भेजा जाता है तब तहसीलदार द्वारा भी ग्राम पंचायत के द्वारा प्रक्रिया का पालन नहीं करने की बात कहते हुए प्रकरण को पेंडिग़ कर दिया जाता है। ऐसी स्थिति में ग्राम पंचायतों को राजस्व विभाग के कामकाज के अधिकार सौंपे गए है तो इस संबंध में पर्याप्त ट्रेनिंग के अभाव में प्रकरण व पक्षकार तहसील व पंचायत के बीच में लटका रहता है और पक्षकार पर आर्थिक बोझ भी पड़ता है। इस पूरी प्रक्रिया से जहां शासन की मंशा प्रकरणों को जल्द निपटाने की थी। उस उद्देश्य की ओर तहसील की कार्य प्रणाली के चलते सफल होती नजर नहीं आ रही है। ऐसी स्थिति में जब की आने वाला समय चुनावी वर्ष है और चुनाव का सारा कामकाज भी तहसील और अनुभाग स्तर से संपादित किया जाता है। ऐसी स्थिति में झाबुआ जिले की सबसे बड़ी तहसील में पर्याप्त और स्थाई अधिकारियों और कर्मचारियों के माध्यम से पदों को भरा जाना आवश्यक है।