झाबुआ नगर पालिका अध्यक्ष पद के लिए दोनों दलों मे खींचतान तेज

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झाबुआ Live के लिए ” विपुल पांचाल ” की EXCLUSIVE पड़ताल 

आने वाले 5 सालों मे करीब 400 करोड़ से अधिक के बजट वाली नगर पालिका झाबुआ का अगला अध्यक्ष कोन होगा ? यह जनमानस के जेहन मे कोंध रहा है गलियों ओर चोराहो से लेकर वाट्सएप ग्रुपो मे खिचडी पकनी शुरु हो गयी है । लेकिन कांग्रेस हो या बीजेपी दोनों ही दलों मे टिकट को लेकर मारा-मारी है इस विश्लेषण मे हम पेश कर रहे है दावेदारों के नाम ओर उनके बीच मे आने वाले रोडे ।

बीजेपी मे ज्यादा दिक्कत
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यह बात क्रिस्टल की तरह सच है कि बीजेपी झाबुआ शहर मे दो धडो मे बंटी हुईं है एक राजगढ़ नाका बीजेपी ओर एक दोलत भावसार की प्रदेश संगठन से अधिकृत बीजेपी …यहाँ राजवाडा चोक बीजेपी लिखने की जरुरत अब इसलिए नहीं है क्योकि यह राजवाडा चोक बीजेपी अब खत्म होने के कगार पर है क्योकि इसके मुखिया ब्रजेंद्र शर्मा सार्वजनिक जगहों पर देखें नहीं जाते ओर उनसे मिलना ये बात करना उनके अपनों के लिए ही बेहद ठेढी खीर है तो आम आदमी की तो बात दूर की कोढी है । मोजूदा नगर पालिका अध्यक्ष धनसिंह बारिया की पत्नी बसंती बारिया को राजगढ़ नाका लाबी यानी शैलेष दुबे ओर विधायक शांतिलाल बिलवाल अपना उम्मीदवार घोषित कर चुके है ओर इस जोडी को यह विश्वास है कि दोलत भावसार से कुछ हटकर सद्भावना बनाकर बीजेपी जिला इकाई से समथ॔न ले लेंगे ओर बसंती का टिकट कमल के निशान पर फाइनल हो जायेगा । लेकिन इस जोडी ने ऐसा ना होने पर प्लान B तैयार कर रखा है कि अगर दोलत भावसार ना मानें तो प्रदेश इकाई से टिकट लेकर चुनाव लडा जायेगा उसके लिए उनके सोस॔ क्या है यह हम अगले लेख मे बतायेंगे । अब बीजेपी की एक अन्य दावेदार है सावित्री मैडा जो कि करीब 1 साल से टीम दोलत के साथ मिशन मे जुटी है टिकट पाने की ओर दोलत भावसार सार्वजनिक रुप से सावित्री को बीजेपी का नगर पालिका अध्यक्ष का उम्मीदवार बताकर लांच भी कर रहे है सोशल मीडिया पर भी सावित्री को बीजेपी का उम्मीदवार की तरह प्रचारित किया जा रहा है । अब देखना यह होगा कि नगर पालिका चुनाव मे दोलत भावसार की चलती है या शैलेष दुबे की ? ओर क्या बसंती बारिया को टिकट नहीं मिला तो क्या राजगढ़ नाका उन्हे निर्दलीय खड़ा करेगा ? अगर करेगा तो क्या बीजेपी इकाई राजगढ़ नाके को कलसिंह भाबर की तरह माफ करेगी ? यह भविष्य की बात है लेकिन कांग्रेस मन से चाहती है कि सावित्री मैडा बीजेपी उम्मीदवार बने ताकी राजगढ़ नाका बीजेपी साइलेंट सबोटेज करे ओर कांग्रेस को सीधा फायदा हो ।

कांग्रेस मे भी भारी उलझन
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इस बार कांग्रेस दो दशकों बाद नगर पालिका झाबुआ मे अपनी वापसी की उम्मीद जता रही है कांग्रेस को लगता है कि बीजेपी के धनसिंह बारिया के खिलाफ पब्लिक मे अंडर करंट है इसे भुनाया जाना चाहिए लेकिन कांग्रेस के पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि अगर धनसिंह बारिया उनके अनुसार डाका डाल रहे थे तब वह इस डकैती को पांच साल चुपचाप क्यो देखते रहे ? एक बार भी नगर बंद क्यो नहीं किया ? धरना – प्रदश॔न क्यो नहीं किया ? कोट॔ या लोकायुक्त मे क्यो नहीं गयी कांग्रेस ? कांग्रेस यह भूल गयी कि डकैती या लुट मे चुप रहना भी डकैतो या लुटेरो को मदद करना है । खैर फैसला तो जनता को करना है लेकिन कांग्रेस के सामने दिक्कत यह है कि उसके पास आशीष भूरिया की मम्मी शीला भूरिया ; रिषी डोडियार की मम्मी मनु डोडियार ओर हेमचंद्र डामोर की पत्नी नीता टिकट की दावेदारी कर रहे है हमारी जानकारी के मुताबिक शीला भूरिया ओर मनु डोडियार के बीच टिकट को लेकर कांटे का मुकाबला चल रहा है अंतिम फैसला चुनाव पय॔वेक्षक के जरिऐ सांसद कांतिलाल भूरिया को लेना है । कलावती भूरिया को कांग्रेस ने अपना चुनाव प्रभारी बना दिया है जिन्हे पहले तो जिसे टिकट नहीं मिला उसे पार्टी के पक्ष मे बैठाने का भागीरथी प्रयत्न करना होगा । संभव है कि कोई नाराज दावेदार कांग्रेस से बागी होकर भी चुनाव लडे ओर बीजेपी को फायदा पहुंचा जाये ।

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नोट – नगरपालिका या नगर परिषद् के चुनाव मे ” झाबुआ Live ” के रोज उठने वाले पांच सवालों के लिए जिम्मेदार तैयार रहे ।

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