बेटी के कन्यादान में गौदान से अच्छा कोई दान नहीं होता : कपिला दीदी

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चंद्रशेखर आजाद नगर। बेटी के कन्यादान में गौदान से अच्छा कोई दान नहीं होता। होने वाली बहु का व्यवहार जानना हो तो उसकी बिदाई देखी जाती हैं। पुरूष का चरित्र देखना हो तो उसकी अंतिम बिदाई देखी जाती| बेटी की बिदाई पर मोहल्ले की माता बहने भावुक हो जाये तो समझ लेना की होने वाली बहु सरल,सहज व मिलनसार हैं। जबकि पुरूष की अंतिम बिदाई पर यदि नगर में सन्नाटा छा जाये तो समझ लेना जाने वाला पुरूष उदार चरित्र व मिलनसार था।

कर्ज का कोई मर्ज नहीं होता

जीवन में आवश्यकता से अधिक दिखावा किया जाये तो कर्ज बढ़ता हैं। कर्ज का कोई मर्ज नहीं हैं। दिखावे के बजाय अपनी आय के अनुसार ही खर्च करना चाहिए। पैसा जादू से नहीं कमाया जाता,ना ही पैसा बुद्धि से कमाया जाता। यदि ऐसा होता तो बीरबल अकबर से ज्यादा धनवान होता। पैसा कमाने के लिये बुद्धि व मेहनत के साथ-साथ ईश्वर की कृपा भी होना जरूरी हैं। ईश्वर की भक्ति करना इतना आसान नहीं| चाहे कितना भी ध्यान,जप,माला कर लो। भक्ति का मार्ग सरल नहीं हैं। ईश्वर को पाने के लिये मीरा सा त्याग व तपस्या करना पड़ती हैं।

आज के वर्तमान समय में गुरू कृपा आसान नहीं क्योंकि आज के समय में 98 प्रतिशत शिष्य गुरु की आज्ञा का पालन नहीं करते। इसलिए गुरू कृपा इतनी आसान नहीं हैं। जबकि गौ कृपा सबसे सरल हैं क्यों कि गौ हमारी माता हैं और माता कभी अपने बच्चों को अहित नहीं कर सकती हैं। इसलिए गौ सेवा कर गौ कृपा आसानी से प्राप्त की जा सकती हैं। सभी को चाहिये कि वह इस आसान सेवा को कर गौकृपा प्राप्त करे। कथा के दौरान श्रीराम गौशाला, आलीराजपूर की ओर से सदस्यों द्वारा पूज्या कपिला दीदी को स्मृति चिन्ह भेंट कर उनका अभिनंदन किया। कथा के अंत में यजमान द्वारा आरती की गई प्रसादी वितरण के साथ पांचवे दिन की कथा का समापन हुआ।

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