यदि आपका बच्चा 9 माह से 15 वर्ष के बीच की उम्र का है तो यह खबर आपके लिए बेहद खास

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लवनेश गिरी गोस्वामी @ थांदलारोड़
शासन द्वारा विभिन्न प्रकार की बीमारियों से बचने के लिए खसरा(मीजल्स)ओर रूबेला टीकाकरण अभियान 15 जनवरी से चलाया जावेगा जिसके तहत लोगो को जागरूक करने के लिए शासकीय कन्या आश्रम नोगांवा में यूनिसेफ की टीम ने छात्राओं को इसकी जानकारी दी ओर फिर छात्राओं के साथ खसरा-रूबेला टीकाकरण के बेनर तले रैली निकाली ओर नारो के माध्यम से ग्रामीणों से अपने बच्चों को यह टिका लगवाने के लिए कहा। कार्यक्रम व रैली में यूनिसेफ भोपाल से श्रावणी, स्वास्थ्य विभाग सुपरवाईजर धापू मंसारे, महिला एवं बाल विकास सुपरवाइजर(नोगांवा) अस्मिता गरवाल, एएनऐम अनिता भूरिया, नोगांवा प्राचार्य एस. एस. पालावत, प्रधान अध्यापक हुकुमसिंह कटारा, आश्रम अधीक्षिका किरण जोशी व अध्यापक बाबू डामोर, मारिया रावत साथ ही आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं में ज्योत्सना दिक्षित, कमला परमार सुभद्रा परमार, ललिता सिंगाड़, मणि परमार, नंदू बामनिया, ममता खपेड़, रंजू चोपड़ा एवं आशा कार्यकर्ता आदि उपस्थित थे।

यदि आपके बच्चे 9 माह से 15 साल के बीच के आयु वर्ग के हैं तो आपके शहर, नगर, गांव में खसरा रूबेला (एमआर) टीकाकरण अभियान के दौरान कृपया उनको अपने नजदीकी टीकाकरण सत्र पर ले जाए, अपने बच्चे के स्कूल शिक्षण संस्थान से मिलने वाले किसी भी परामर्श निर्देश पर ध्यान दें और आवश्यक कार्रवाई करें अपने स्कूल जाने वाले बच्चों को खसरा रूबेला टीकाकरण अभियान के दौरान स्कूल में टीका लगवाने के लिए अपनी सहमति प्रदान करें, टीका लगने के बाद किसी तरह का विपरीत लक्षण दिखाई देने पर तुरंत ही इलाज के लिए ले जाए या स्वास्थ्य कार्यकर्ता द्वारा दिए गए सुझाव के अनुसार कार्रवाई करें जब भी दूरदराज के टीकाकरण सत्र या स्वास्थ्य केंद्र पर जाना हो तब बच्चे का टीकाकरण कार्ड जरूर साथ ले जाए, अपने बच्चे को खसरा रूबेला टीके की नियमित खुराक अवश्य दिलाएं, चाहे अभियान के दौरान एमआर का टीका लगा हो या नहीं।

खसरा रोग :- खसरा एक जानलेवा बीमारी है और बच्चों में अपंगता और मृत्यु के बड़े कारणों में से एक है। खसरा बहुत संक्रामक रोग है और यह एक प्रभावित व्यक्ति द्वारा खासने और छिकने से फैलता है, आपके बच्चों को निमोनिया, दस्त और दिमागी संक्रमण जैसी जीवन के लिए घातक जटिलताओं के प्रति संवेदनशील बना सकता है।

खसरा के आम लक्षण इस प्रकार है :-
तेज बुखार के साथ त्वचा पर दिखाई पड़ने वाला लाल चकत्ते खांसी, बहती नाक और लाल आंखें।

रूबेला रोग :- स्त्री को गर्भावस्था के आरंभ में रूबेला संक्रमण होता होता है तो सीआरएस (जन्मजात रूबेला सिंड्रोम) विकसित हो सकता है जो भ्रूण और नवजात शिशुओं के लिए गंभीर और घातक साबित हो सकता है प्रारंभिक गर्भावस्था के दौरान रूबेला से संक्रमित माता से जन्मे बच्चे में दीर्घकालीन जन्मजात विसंगतियों से पीड़ित होने की संभावनाएं बढ़ जाती है जिससे आंख (ग्लूकोमा, मोतियाबिंद) कान (बहरापन) मस्तिष्क (माइक्रोसीफैली, मानसिक मंदता) प्रभावित होते हैं तथा दिल की बीमारियों खतरा बढ़ जाता है, रूबेला से गर्भवती स्त्री में गर्भपात अकाल प्रसव, और मृत प्रसव की संभावनाएं बढ़ जाती।

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