भव का रोग मिटाने के लिए तपस्या आवश्यक – चन्द्रेशमुनिजी

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थांदला। तप प्रधान जैन धर्म में जिन शासन गौरव जैनाचार्य पूज्य श्री उमेशमुनिजी म.सा. “अणु” की दिव्य कृपा दृष्टि व झाबुआ विराजित प्रवर्तक देव पूज्य श्री जिनेन्द्रमुनिजी म. सा. के शुभाशीष से यहाँ विराजित सरलमना पूज्य श्री चन्द्रेशमुनिजी एवं थांदला गौरव पूज्य श्री सुयशमुनिजी म.सा. तथा पूज्या श्री निखिलशीलाजी म. सा. की मंगल प्रेरणा से श्रीमती दीपा बहन गौरव शाहजी व श्रीमती वंदना (पिंकी) इंदर रुनवाल ने दीर्घ मासक्षमण तप की आराधना पूर्ण कर जिन शासन का गौरव बढ़ाया है। 

इस अवसर पर दोनों ही तपस्वियों की जयकार यात्रा निकाली गई जिसमें सकल जैन समाज के लोगों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। यात्रा नगर के मुख्य मार्गों से होकर स्थानीय पौषध भवन पर तपस्वियों की गुणानुवाद सभा में परिवर्तित हो गई। धर्म सभा को संबोधित करते हुए पूज्य श्री चन्द्रेशमुनिजी ने कहा कि जैसे योद्धा रण भूमि में पराक्रम दिखाता है वैसे ही आराधक धर्म क्रिया में पराक्रम दिखाता है, दीर्घ तपस्या करना शूरवीरों का ही काम है। उन्होनें कहा कि जैसे पर्वत से निकल कर नदी अनेक संकट को पार कर सागर में मिल जाती है वैसे ही सिद्धालय के शाश्वत सुखों को पाने के लिए तप मार्ग अपना ही पड़ेगा। गुरुदेव ने तप के लिए मनुष्य भव की सार्थकता बताते हुए कहा कि सभी गतियों में मनुष्य गति में ही जीव स्वेच्छा से तप कर सकता है तभी इस गति से मोक्ष सम्भव है। पूज्य श्री सुयशमुनिजी ने कहा कि जीव को तप करना दुर्लभ है ऐसे में दीर्घ तपस्या तो विरले ही करते है इनके तप की खूब खूब अनुमोदना। पूज्या श्री निखिलशीलाजी म.सा. ने कहा चातुर्मास प्रारम्भ से ही हर घर में अनेक व्रत पच्चक्खाण से मासक्षमण चल रहे है लेकिन अनशन युक्त तपस्या करना विशिष्ट तप की श्रेणी में आता है। दोनों ही तपस्वियों के परिजनों को भी बहुत धन्यवाद देते हुए पूज्याश्री ने दोनों के यशस्वी जीवन की कामना की। धर्म सभा में संघ अध्यक्ष जितेंद्र घोड़ावत ने दोनों ही तपस्वियों के साथ अन्य तपस्यारत साधकों के तप की अनुमोदना करते हुए संघ के गौरव बढाने के लिए धन्यवाद दिया गया। सलोनी शाहजी, गरिमा बाफना, नव्या शाहजी, आँचल मेहता आदि की तप अनुमोदना में भावाभिव्यक्ति के बाद त्रिशा रुनवाल ने राजस्थान के छापर (चुरू) से तेरापंथ साध्वी प्रमुखा पूज्या श्री विश्रुतविभाजी के द्वारा तप अनुमोदना में भेजे गए पत्र का वाचन किया।

तप की लगी बोली तपस्वियों का हुआ बहुमान

जानकारी देते हुए संघ प्रवक्ता पवन नाहर ने बताया कि श्रीसंघ कि ओर से पारंपरिक बहुमान के लिए दोनों ही तपस्वियों के लिए उपस्थित परिषद ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया जिसमें राखी नितेश व्होरा 28 व सूरजमलमल श्रीमाल ने 27 उपवास, तनीषा कमलेश छाजेड़ ने 11 उपवास, सैलाना के श्रेणिकजी ने 9 उपवास, बाबुलालजी छाजेड़ ने 8 उपवास व रजनीकांत शाहजी ने 5 उपवास के भाव व्यक्त कर तपस्वियों का अभिनन्दन किया। संघ के वर्तमान व पूर्वाध्यक्ष ने संघ कि ओर से बहुमान पत्र भेंट किया। धर्मलता महिला मंडल पदाधिकारियों, चंद्रकांता रुनवाल परिवार, भंसाली परिवार, गादिया परिवार, घोड़ावत परिवार, शाहजी परिवार द्वारा भी दोनों तपस्वियों का बहुमान किया गया। सभा का संचालन प्रदीप गादिया ने किया। धर्म प्रभावना का लाभ हिम्मत बावरिया परिवार द्वारा लिया गया वही सुजानमल शाहजी परिवार ने स्वामीवत्सल्य का लाभ लिया।