प्राण प्रतिष्ठा व धर्मसभा में जुटे धर्मावलंबी

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थांदला से रितेश गुप्ता की रिपोर्ट-
मुख्यालय से 15 किमी दूर दूरस्थ ग्राम वनवासी बाहुल्य ग्राम इटावा में नवनिर्मित भव्य शिखर बंद मंदिर में सावन माता, बाबा हलुणा देव, घोडादादेव की प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा पं. व्दारका प्रसाद शर्मा के आचार्यत्व में प. जितेन्द्र पाठक, महेन्द्र, पंडित राजेन्द्र भट्ट,पं. रमेशचन्द्र जोशी के सानिध्य में पंच कुण्डिय महायज्ञ के साथ सम्पन्न हुई। कार्यक्रम में अचंल के वनवासी संत भक्ति मार्गीय समाज सुधारक मगन महाराज, देवदास, चुन्नीलाल भगत, भरतदास महाराज,संतदास, मांगू महाराज,रमण भगत, सोनिया भगत, सरपंच रूसमल डामोर, दलसिंग वसुनिया,मोहन अमलियार समेत बडी संख्या में वनवासी श्रद्धालु भक्त उपस्थित हुए। इस अवसर पर मंदिर निर्माता एंव प्राण प्रतिष्ठा के मुख्य यजमान मानसिंह वसुनिया दम्पत्ति का वनवासी समाजजनों ने अपने निजी व्यय से मन्दिर निर्माण करवाने के लिए वस्त्र भेंट सम्मान किया। प्राण प्रतिष्ठा पूर्णाहुति पश्चात धर्म सभा को पं. व्दारका प्रसाद शर्मा ,समाज सेवी अशोक अरोरा ने कहा कि आदिवासी समाज आदिकाल से हिन्दू धर्म का अभिन्न अंग है देवालय बन जाने से समाजजन समाज में व्याप्त कुरीतियों, मांसाहार का त्याग करते हुए धर्ममय जीवन अपनाए। धर्म की क्रियाएं हमारे आस पास है। गाय में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास है ऐसा हमारे प्राचीन धर्म ग्रंथों में लिखा है। गाय की परिक्रमा पालन, पीपल पेड़ की पूजा,जल अर्पण जैसे छोटे धर्म कर्म कर भक्तिमार्ग पर चलकर पुण्य लाभ प्राप्त करे। साथ ही अपने निज धर्म पर अडिग रहकर विधर्मियों के धर्म परिवर्तन कुचक्र से समाज को बचाये।