किसान विरोधी कानूनों को रद्द करने की मांग कोलेकर किसान संघर्ष समिति ने एसडीएम को सौंपा ज्ञापन

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रितेश गुप्ता, थांदला
कार्पोरेट विरोध व किसान संघर्ष समिति के प्रदेश सचिव राजेश वैरागी एवं जिलाध्यक्ष गोपाल डामोर के नेतृत्व में किसान विरोधी कानूनों को रद्द कराने की मांग को लेकर प्रधानमंत्री के नाम अनुविभागीय अधिकारी थांदला को चेतनी ज्ञापन सौंपा गया। ज्ञापन में कहा गया है कि देश के किसानों द्वारा दिल्ली में 26-27 नवंबर से तीन किसान विरोधी कानूनों को रद्द कराने और बिजली बिल वापस लेने की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन आंदोलन किया जा रहा है। पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश के लाखों किसान दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। दस दिन होने के बावजूद अब तक सरकार द्वारा तीनों कानूनों को रद्द करने एवं बिजली बिल वापस लिए जाने की घोषणा नहीं की है। आपकी सरकार एक तरफ बातचीत कर रही है दूसरी तरफ आपके द्वारा कानूनों के पक्ष में लगातार बयान देकर किसानों को विपक्षियों द्वारा भ्रमित बतलाया जा रहा है। आपके गोदी मीडिया द्वारा किसानों के आंदोलन को खालिस्तानी ए विपक्षी दलों की कठपुतली, विदेशी पैसों से आंदोलन चलाने वाला बतलाकर अपमानित किया जा रहा है ।
जबरजस्ती बनाये गए तीन कृषि कानूनों का मकसद खेती का कार्पोरेटिकरण करना है। हम चाहते हैं कि किसान खेती करें, कारपोरेट को खेती सौंपना चाहते हैं। हमारी समझ है कि कानून किसानों की जमीन छीनने के उद्देश्य से लाए गए हैं ताकि किसान, किसानी और गांव खत्म कर कारपोरेट के लिए सस्ते मजदूर उपलब्ध कराया जा सकें। एक तरफ आप आत्मनिर्भर भारत और किसानों की आय दोगुनी करने की बात कर रहे हैं। दूसरी तरफ कानूनों के माध्यम से आपने कारपोरेट को खेती में असीमित निवेश करने,कृषि उत्पादों की खरीद करने,भंडारण करने, खाद्य प्रसंस्करण करने तथा कृषि उत्पादों की जमाखोरी करने की खुली छूट दे दी है जिससे मंडी व्यवस्थाए एमएसपी व्यवस्थाए जन वितरण प्रणाली खाद्य सुरक्षा खत्म होना तय है।

सरकार द्वारा कोरोना काल में 68 हजार करोड़ की छूट कारपोरेट को दी गई। आजादी के बाद अब तक कुल 48 लाख करोड की छूट दी जा चुकी है, दूसरी तरफ किसान गत 4 वर्षों से अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के बैनर तले देश के किसानों की संपूर्ण कर्जा मुक्ति के लिए आंदोलन चला रहे हैं। लेकिन सरकार द्वारा अब तक संपूर्ण कर्जा मुक्ति नहीं की गई है। जिसमें 14 लाख करोड़ खर्च होंगे।
हम खेती के कारपोरेटीकरण के खिलाफ आंदोलनरत किसानों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करने और आपको चेतावनी देने के लिए यह ज्ञापन पत्र सौंप रहे हैं। किसान सभी कृषि उत्पादों की लागत से डेढ़ गुना मूल्य पर खरीद सुनिश्चित करने की मांग कर रहे हैं। आप जानते ही हैं कि अखिल भारतीय किसान संघर्ष समिति की ओर से हमारे प्रतिनिधियों द्वारा लोकसभा और राज्यसभा में इस आशय का बिल पेश किया जा चुका है। संसद का विशेष सत्र बुलाकर आप तत्काल किसान विरोधी कानून रद्द करें और किसानों की ओर से प्रस्तावित बिलो को पारित कर कानून बनाएं। यदि तत्काल किसान विरोधी कानून और बिजली बिल 2020 रद्द नहीं किए गए तो देश भर के किसान भी दिल्ली में डेरा डाले किसानों की तरह हम भी अनिश्चितकालीन आंदोलनात्मक कार्यवाही करने के लिए बाध्य होंगे।
ज्ञापन सौंपने वालों में नरेंद्र मुनिया, दिलीप सिंह खराड़ी, कल सिंह खराड़ी, बाबू खडिय़ा, अनूप सिंह कटारा, प्रेम सिंह खडिय़ा,बाबू हटीला, रत्ना हिहोर, गणपत पाटीदार, वालजी डामोर, अमर सिंह कटारा आदि शामिल हुए।