भौंगर्या हाट: पेटलावद में सोमवार लगेगा खुशियों का मेला, बिखरेगा आदिवासी लोक संस्कृति का रंग

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पेटलावद। मेले का जिक्र होते ही बचपन की यादे ताजा हो जाती है। बच्चे से लेकर बूढ़े तक सभी मेले का आनन्द लेने जाते है। सभी जगह मेले का हर्षोल्लास होता है जिसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से अपने परिवार के साथ मोज मस्ती करने के लिए आते है। आदिवासियों के जिस सांस्कृतिक हाट का हर कोई बेसब्री से इंतजार करता है। यही मस्ती सोमवार को पेटलावद में भी मचेगी, रंग-गुलाल उड़ेगा, ढोल-मांदल की थाप पर आदिवासी युवक-युवतियां थिरकेंगे।
भौंगर्या का ऐसा ही एक आयोजन आदिवासी समाज (अजाक्स, जयस, आकास, भील प्रदेश युवा मोर्चा, जयस नारी शक्ति एवं आदिवासी छात्र संगठन) के समस्त आदिवासी समाज के संगठनो द्वारा होगा। वैसे पेटलावद क्षेत्र में भौंगर्या (भगोरिया) पर्व का उत्साह कम दिखाई देता है, लेकिन लगातार पिछले कुछ वर्षो से जयस ने इस पर्व को अपनी परंपरानुरूप मनाने का फैसला लिया है। इस वर्ष भी संगठन ने इसकी संपूर्ण तैयारियां पूर्ण कर ली है। इस हाट को सफलता पूर्वक संपन्न करवाने के लिए प्रशासन भी कमर कसता नजर आ रहा है। इन सबके बीच नगरवासियों का उत्साह भी चरम पर नजर आ रहा है। इसी के साथ सभी समाजजनों की एक बैठक भी हुई जिसमें आगामी कार्यक्रम के लिए रुपरेखा तैयार की गई।
जयस एवं भिलप्रदेश के कार्यकर्ताओ ने बताया सोमवार के दिन आदिवासी परंपरानुसार वे इस वर्ष सुबह 10 बजे से एक विशाल गैर शंकर मन्दिर से पुराना बस स्टैंड, गांधी चौक होते हुए पुनः पुराना बस स्टैंड, सिटी केमिस्ट मार्ग, श्रद्धांजलि चौक होते हुए मन्दिर परिसर में आकर समाप्त होगी।
भगौरिया पर्व के दौरान पारंपरिक नृत्य दलो के कई कलाकारो द्वारा भगोरिया हाट में नृत्यो की प्रस्तुति दी जाएगी। जो आकर्षण का केंद्र बनेगी।
समाजजनो ने हमसे चर्चा में बताया कि हमारी लोक संस्कृति को जीवित रखने के लिए भगोरिया जैसे आयोजन होना नितांत आवश्यक है जिसके लिए हमारे द्वारा प्रयास किए जा रहे है। उनका कहना है कि क्षेत्र के हर गांव में जाकर प्रचार-प्रसार किया गया है। जयस एवं भिलप्रदेश के कार्यकर्ताओ ने समाजजनो से अपील की है कि सभी लोग अपनी क्षेत्रीय वेशभूषा में आए। संगठन का हर कार्यगर्ता भगोरिया को सफल बनाने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रहे है।