…धर्म: आई शब-ए-बारात की पाक रात, मिलेगी गुनाहों से बख्शीश

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सलमान शेख@ झाबुआ Live
मुस्लिम समाज की इबादत की रात शबे बरात आज 20 अप्रेल मई को शहरभर में अकीदत के साथ मनाई जाएगी। आज शब-ए-बरात के त्योहार पर कब्रिस्तानों में भीड़ का आलम रहेगा। अकीदतमंद रातभर इबादत करेंगे और अपने पूर्वजों और रिश्तेदारों की कब्रो पर पहुंचकर फातिहा पढ़ेंगे। इसके साथ ही महिलाएं घरों में इबादत करेगी। इस्लामी मान्यता के मुताबिक शब-ए-बरात की सारी रात इबादत और तिलावत का दौर चलता है। साथ ही इस रात मुस्लिम धर्मावलंबी अपने उन परिजनों, जो दुनिया से रूखसत हो चुके हैं, की मगफिरत मोक्ष की दुआएँ करने के लिए कब्रिस्तान भी जाते हैं। इस रात दान का भी खास महत्व बताया गया है।
*अगले दिन रखेंगे रोजा:*
अगले दिन मुस्लिम समाज के पुरूष, महिलाएं, बुजुर्ग, बच्चे रोजा रखेंगे। इस पर्व पर सभी मुस्लिम धर्मावलंबी रातभर अल्लाह ताला की इबादत करेंगे। मुसलमानो का रमजान से 15 दिन पूर्व मनाया जाने वाला यह अत्यंत महत्वपूर्ण त्योहार है। विशेषकर मुस्लिम महिलाएं एवं बच्चे इसमें काफी दिलचस्पी लेते है।

*समाजजन रातभर करेंगे इबादत:*
शहर के ईमाम अब्दुल खालिक साहब ने बताया उर्दू हिजरी वर्ष के मुताबिक शावान माह की 14 तारीख यानि आज 20 अप्रेल की रात शब-ए-बरात का त्योहार मनाया जा रहा है।। इबादत, तिलावत और सखावत (दान-पुण्य) के इस त्योहार के लिए मस्जिदों और कब्रिस्तानों में खास सजावट की जाएगी। मस्जिदों में रातभर इबादत का दौर चलेगा। सूर्यास्त के बाद लोग मस्जिदों का रुख करेंगे। नमाज के बाद इबादत का दौर शुरू होगा। जो सुबह फजर की नमाज तक चलेगा। कब्रिस्तानों में जाकर कब्रों पर दुआ मांगेंगे। साथ ही मुस्लिम समाज विशेष इबादत कर देश और दुनिया की सलामती की दुआएं भी करेंगे। शहर की दोनो मस्जिदों में रातभर विशेष नमाजें अदा की जाएंगी। पिछले साल किए गए कर्मों का लेखा-जोखा तैयार करने और आने वाले साल की तकदीर तय करने वाली इस रात को शब-ए-बरात कहा जाता है। इस रात को पूरी तरह इबादत में गुजारने की परंपरा है। नमाज, तिलावत-ए-कुरआन, कब्रिस्तान की जियारत और हैसियत के मुताबिक खैरात करना इस रात के अहम काम है। मालवा-निमाड़ में इस त्योहार पर तरह-तरह के स्वादिष्ट मिष्ठानों पर दिलाई जाने वाली फातेहा के साथ मनाया जाता है।
*इसलिए मनाई जाती है शब-ए-बारात:*
ईमाम अब्दुल खालिक साहब ने बताया पिछले साल किए गए कर्मों का लेखा-जोखा तैयार करने और आने वाले साल की तकदीर तय करने वाली इस रात को शब-ए-बरात कहा जाता है। इस रात को पूरी तरह इबादत में गुजारने की परंपरा है। नमाज, तिलावत-ए-कुरआन, कब्रिस्तान की जियारत और हैसियत के मुताबिक खैरात करना इस रात के अहम काम है। मालवा-निमाड़ में इस त्योहार पर तरह-तरह के स्वादिष्ट मिष्ठानों पर दिलाई जाने वाली फातेहा के साथ मनाया जाता है। शबे बारात की रात हिसाब किताब की व बजट पेश करने की रात है। इस रात में परवरदिगार बेहिसाब गुनाहगारों की मगफिरत फरमाता है। इस रात में इबादत का खास महत्व है। वहीं कब्रस्तान जाकर इस दुनिया से जा चुके लोगो की मगफिरत की दुआ करने का भी बेहद सवाब है। रात में जागकर इबादत करना और दूसरे दिन रोजा रखना बेहतर है। पूरी रात परवरदिगार फरिश्तों के जरिए मुनादी करवाता है। और लोगो के जरिए मांगी गई दुआओं को अल्लाह के समक्ष रखते है। शब-ए-बारात को लेकर एक दिन पहले लोगो में खासा उत्साह देखने को मिला।
*यह हैं 4 मुकद्दस रातें:*
शब ए बारात इस्लाम की 4 मुकद्दस रातों में से एक है। जिसमें पहली आशूरा की रात दूसरी शब-ए-मेराज, तीसरी शब-ए-बारात और चौथी शब-ए-कद्र होती है।