संसार का चक्र मिटाना है तो धर्म चक्र जरूरी है -पूज्य संयतमुनिजी

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मेघनगर@लोहित झामर

व्यक्ति मोह में फंसकर बाधक बनता है बिना तपे सिद्धि नही मिलती दीपक एक कमरे में जले तो उस कमरे को प्रकाशित करेगा अगर वो ही दीपक को कमरे के बाहर रखेंगे तो वो पुरी जगह को प्रकाशमान करेगा उसी प्रकार परिवार की शौभा बढ़ाने वाला कुल दीपक एवं पूरे लोक की शौभा बढ़ाने वाला लोक दीपक कहलायेगा हमे क्या बनना है भगवान महावीर लोक दीपक थे ऐसे ही सभी तीर्थंकर भगवान को लोक दीपक कहा है वृद्धा अवस्था में धर्म करेंगे ऐसा कहने वालों के लिये मुनीजी ने बताया वंश वृद्धि की चिंता करने वाले को कितनी पीढ़ी याद रखती है हम गृहस्थी के कार्यो को कब छोड़ेंगे सरकार भी 62 वर्ष की आयु के बाद रिटायरमेंट दे देती है संसार का चक्र मिटाना हो तो धर्म करना जरूरी है बुढ़ापे में शारीरिक कुशलता ना हो तो धर्म कैसे होगा सम्यक दृष्टि जीव संसार में रहते हुए जो कार्य करता है उसे गलत मानता है युवा अवस्था में ही धर्म करना अच्छा है जो इच्छा का निरोध करे उसे तप कहते है तप करने से परिवार के यश में वृद्धि होती है

शुक्रवार को पूर्ण तपस्याओं के क्रम में लगभग चार बड़ी तपस्वियों का पारणा हुआ जिसमें सुमित दिनेश जी ब्रिजवानी 33 उपवास, सीमा सुरेश चंद्र जी जैन 16 उपवास , आशा नगीनलाल जी नाहटा एवं दीप्ती रवि छाजेड़ के धर्म चक्र का बहुमान श्रीसंघ द्वारा संघ भेंट एवं तप की बोली से किया गया सीमा जैन का बहुमान पूजा जैन,16 उपवास, शशि जी नांदेचा सिद्धितप,जूही जैन 8 उपवास की बोली लेकर तपस्वी सीमाजी जैन का बहुमान किया। दोनो धर्म चक्र के तपस्वियों का बहुमान निताजी वोहरा ने वर्षीतप की बोली लेकर किया।प्रभावना सुरेशचंद्रजी पूरणमल जी जैन एवं दिनेश जी ब्रिजवानी द्वारा वितरित की गई।

तपश्या पर सुरेशचंद्रजी जैन द्वारा दान की राशि अणु राम रोटी एवं सकल जैन श्री संघ में दी गई। आत्मोत्थान वर्षावास के दौरान गुरु कृपा से मेघनगर संघ में तपस्या का ठाठ लगा हुआ है।संचालन विपुल धोका ने किया।