पोषण आहार नहीं पहुंच रहा कई महीनों से आंगनवाड़ी केंद्र तक, अधिकारी नहीं करते कार्रवाई

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भूपेंद्र बरमंडलिया, मेघनगर
आदिवासी बाहुल्य झाबुआ जिले में कमीशनखोरी चरम सीमा पर है जिसके चलते खुद आगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को बच्चों को दिया जाने वाला पोषण खुद को वाहन का किराया देकर अपने केंद्र तक ले जाना पड़ रहा है ताकि वह अपना कर्तव्य सही ढंग से निभा सके तथा पोषण आहार का वितरण सुचारू रूप से कर सके। ऐसा नही है कि इस बारे में परियोजना अधिकारी और जिला अधिकारी को खबर नही उन सबको इस बात की जानकारी है उसके बावज़ूद न जाने क्यों इस मामले में चुप्पी साधे है यह तो वही जाने विगत कई माह से इस मामले में इन अधिकारियों को हमारे द्वारा खबर दी गई। मगर न तो उन्होंने सम्बन्धित ठेकेदार के खिलाफ कोई कार्रवाई की न ही उसका ठेकेदार का ठेका निरस्त किया जबकि टेंडर की शर्तों का यहां साफ उल्लंघन हो रहा है। मगर न जाने क्यों अधिकारी किस वजह से कार्रवाई नहीं कर रहे है बल्कि उल्टा ठेकेदार को केंद्र तक पोषण आहार डालने का पैसा दे रहे है किन्तु पोषण आहार केंद्र तक ठेकेदार नही डाल अपनी मनमानी कर रहा है। ऐसे में आगनवाड़ी कार्यकर्ता कुछ भी करे कैसे भी अपना पोषण आहार अपने केंद्र तक ले जाये उन्हें कोई फर्क नही पड़ता इस मामले में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ओ का कहना है कि वह कई महीनों से पोषण आहार इसी तरह टेम्पो या अन्य वाहनों में भरकर ले जाती है जिसका भाड़ा 150 से 200 रूपये लगता है जो हम को देना पड़ता है कई बार ठेकेदार को इस मामले में कहा मगर वह हर बार एक केंद्र पर 5 से 6 आगनवाड़ी केंद्रों का पोषण आहार खाली करता है और वहा से हम ले जाते है ए इस मामले में जब सम्बन्धित अधिकारियों से चर्चा की गई तो वह इस मामले में कुछ बोलने की बजाय एक दूसरे पर मामले को ढोलते नजर आए। इतना ही नही इस मामले में जब सम्भागीय सहायक आयुक्त को इस मामले में जानकारी दी तो साहब उल्टा लिखित में आवेदन देने की बात कहने लगे ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि अधिकारी इस मामले में क्यो खामोश है जबकि सहायक आयुक्त को इस मामले में तुरन्त कार्रवाई करनी थी।
जिम्मेदार बोल-
मैं अभी मीटिंग में हूं,बाद में बात करती हूं। – वर्षा चौहान परियोजना अधिकारी मेघनगर
आपने मुझे अवगत करवाया मैं परियोजना अधिकारी से बात करता हूं। – रणजीत सिंह जमरा, जिला कार्यक्रम अधिकारी
इस मामले में जिला कार्यक्रम अधिकारी से बात कीजिये और अगले माह से कुछ ऐसा होता है तो मुझे लिखित में शिकायत दे। – राजेश मेहरा, सहायक आयुक्त इंदौर