गहने, जमीन, बेच ब्याज से पैसे जुटाकर 2 हजार किलोमीटर का बस से सफर

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 भूपेंद्र बरमण्डलिया@मेघनगर

झाबुआ में फंसे पश्चिम बंगाल से शीतल पेय आम के रस का व्यापार करने मेघनगर मदरानी काकनवानी थांदल में पश्चिम बंगाल के 28 मजदूर को घर वापसी के लिए अपने जेवर,जमीन या ब्याज से पैसा लेकर घर वापसी करना पड़ी। 7 मई को यात्रियों ने मोबाइल के माध्यम से अपने ग्रह गांव की जमीन बेच दी व अपने खाते में पैसे ट्रांसफर करवाए।तो किसने मेघनगर स्थानीय व्यपारियो से व्यवहार में ब्याज से पैसा लिया.. फिर अनुमति मिलने के बाद 28 रुपिये प्रति कीलोमिटर के हिसाब से सोशल डिस्टनसिंग का पालन करते हुए दो ट्रेवल बस अपने ही खर्च से बसों को बुक कराया जिसमे टोल सहित आने जाने का 1 लाख 20 हजार रुपये का खर्च आया। 19 मई देर रात सभी यात्री मेघनगर दशहरा मैदान से यात्री नम आंखों से झाबुआ अंचल से मायूसी ओर कर्ज के तले अपने परिवार के साथ जिन्दगी जीने पश्चिम बंगाल रवाना हो गए है।

*क्या कहते है हुए गए पश्चिम बंगाल के यात्री*

नदिया पश्चिम बंगाल निवासी नटवर बिजवास ने बताते है कि हम मार्च माह में आए थे मात्र 12 दिन का व्यापार करने के बाद लुक डाउन लग गए हमें यहां आने के बाद सारा पैसा खर्च हो गया हमने पैसा ब्याज से लेकर घर विपसी कर रहे है।एक ओर महिला यात्री ने कहा कि उन्होंने कान के सोने के कुंडल बेच दिए तब जाकर वह परिवार का किराया दे सकें। वहीं दूसरी ओर बताते है कि पश्चिम बंगाल जाने के लिए एक व्यक्ति से फोन पर गांव की जमीन का सौदा कर रुपये किराया अपने खाते में बुलवाया। यह पीड़ा बताते कई मुसाफिरों की आंखें नम हो गई

*रोटरी क्लब अपना ने की अपने स्तर से यात्रियों की मदद*

रोटरी क्लब अपना द्वारा 2 माह का राशन प्रत्येक पश्चिम बंगाल के रहने वाले प्रवासी मजदूरों को घर पर उपलब्ध कराया निशुल्क मास सैनिटाइजर की बोतले हाथ धोने के साबुन भी रोटरी क्लब अपना द्वारा उपलब्ध कराए गए उक्त यात्री द्वारा बार-बार ईपास के लिए जानकारी चाहि।मजदूरो की घर विपसी की बार-बार जिद ओर चिंता में भी रोटरी क्लब के असिस्टेंट गवर्नर भरत मिस्त्री, अध्यक्ष महेश प्रजापति यात्रियों का हौसला बनाए रखा। जिसके बाद रोटरी क्लब अपना द्वारा प्रशासन की मदद से ई-पास जारी करवाएं।19 मई देर रात दशहरा मैदान पर बस आने के बाद रोटरी क्लब अपना द्वारा मजदूरों की स्क्रीनिंग और बसों को सेनेटाइज करने के बाद यात्रियों को भेजा गया। कोविड-19 की महामारी का यह समय मुश्किलों व कांटों भरा है.. लेकिन हम सभी को असहाय की सेवा का पर्याय बनना चाहिए। क्योंकि यह वक्त निकल जाएगा और बात याद रह जाएगी।