श्रीमद् भागवत महापुराण शेरे आर्य भूमि नागरजी के श्रीमुख से सुनने के लिए अंतिम दिन उमड़ा भक्तों का सैलाब

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गोपाल राठौड़, कट्ठीवाड़ा
श्रीमद भागवत महापुराणों की व्याख्या पंडित कमल किशोर जी नागर के मुखारबिंद से श्रवण कर उपस्थित भक्त भाव विभोर हो गए। सात दिनों तक भगवान श्री कृष्णके वात्सल्य प्रेम, असीम प्रेम के अलावा उनके द्वारा किए गए विभिन्न लीलाओं का वर्णन कर सात दिवसीय इस धार्मिक अनुष्ठान के सातवें एवं अंतिम दिन पंडित कमल किशोरजी नागर ने भगवान श्रीकृष्ण के सर्वोपरि लीला श्रीरास लीला, मथुरा आगमन, रुकमणी विवाह, शिशुपाल वध एवं सुदामा चरित्र का वर्णन कर लोगों को भक्तिरस में डुबो दिया। इस अवसर पर पंडित कमल किशोरजी नागर द्वारा प्रस्तुत की गई एक से एक भजन से भक्त उनके ताल एवं धुन पर नृत्य करने के लिए विवश कर दिया। गुरुदेव ने सुंदर समाज निर्माण के लिए गीता से कई उपदेश के माध्यम अपने को उस अनुरूप आचरण करने को कहा। इसी तरह धर्मावलंबियों ने रातभर इस संगीतमयी भागवत कथा का आनंद उठाया। इस सात दिवसीय भागवत कथा में आस पास गांव के अलावा दूर दराज से हजारों की तादाद में महिला-पुरूष भक्तों ने इस कथा को श्रवण करने पहुंचे। सात दिनों तक इस कथा में वातावरण भक्तिमय रहा। मुख्य यजमान धुलचन्द पूनमचद राठौड़ द्वारा सुबह पूर्णाहुति दी गई व दोपहर कथा पश्चात आरती कर भागवत सप्ताह का समापन किया गया।
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