श्रीमद भागवत कथा श्रवण से जन्म जन्मांतर के विकार नष्ट होकर लौकिक व आध्यात्मिक विकास होता है : पंडित दवे

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झाबुआ लाइव के लिए जामली से राहुल राठौड़ की रिपोर्ट-
जहां अन्य युगों में धर्म लाभ एवं मोक्ष प्राप्ति के लिए कड़े प्रयास करने पड़ते हैं। वही कलयुग में कथा सुनने मात्र से व्यक्ति भवसागर से पार हो जाता है। कथा कल्पवृक्ष के समान है, जिससे सभी इच्छाओं की पूर्ति की जा सकती है। भगवान की विभिन्न कथाओं का सार श्रीमद भागवत मोक्ष दायिनी है। इसके श्रवण से परीक्षित को मोक्ष की प्राप्ति हुई और कलियुग में आज भी इसका प्रत्यक्ष प्रमाण देखने को मिलते हैं। खासकर श्राद्ध पक्ष में कथा का महत्व और भी बढ़ जाता है क्यों की श्रीमद भागवत कथा सुनने से प्राणी को व पितरों मुक्ति प्राप्त होती है। ये बात ग्राम जामली में श्रीमद भागवत कथा का वाचन कर रहे पंडित पंकज दवे ने कही। आगे उन्होंने बताया कि किस प्रकार मनुष्य ने भगवान से अपनी उम्र बढ़ाई वो कथा को आगे बढ़ाते हुए कहते है कि भगवान ने सभी को बराबर उम्र दी मगर मनुष्य को भगवान का यह निर्णय पसंद नहीं आया। उसे बुरा लगा। उसने सोचा मैं सब प्राणियों में श्रेष्ठ माना जाता हूं फिर भी मेरी उम्र गधे,कुत्ते और उल्लू जैसे तुच्छ प्राणियों के बराबर ही क्यों? लेकिन उस समय वह कुछ बोला नहीं। कुछ दिनों के बाद मनुष्य भगवान के पास पहुंचा और कहने लगाए ष्भगवान मुझे आपके सामने अपनी एक शिकायत रखनी है। उस दिन आपने मेरी, गधे की और उल्लू की आयु एक-सी निश्चित करके मनुष्य-प्राणी के साथ भारी अन्याय किया है। क्या हमारे और इन तुच्छ प्राणियों के बीच कोई अंतर ही नहीं है। मेरी आपसे नम्र विनती है कि आप इस विषय में शांतिपूर्वक विचार करें।
भगवान ने कहा- अच्छी बात है
भगवान ने गधे-कुत्ते और उल्लू से पूछ कर उनके जीवन में से बीस-बीस वर्ष कम करके मनुष्य की आयु में साठ वर्ष बढ़ा दिए और उसकी आयु सौ वर्ष की कर दी। लेकिन नतीजा क्या हुआ? मनुष्य अपनी जिंदगी शुरू के चालीस साल आदमी की तरह पूरे जोश और उत्साह के साथ बिताता है। सभी ग्रामीण जन कथा का भक्तिपूर्वक श्रवण कर रहे है।