मामाजी आपकी भांजियो के लिए लाखो की लागत से बना छात्रावास 8 वर्ष से वीरान पड़ा है

- Advertisement -

सलमान शेख@ झाबुआ Live
बेटी पढ़ाओ, बेटी बढ़ाओ, बेटी बचाओ पर बेटी का हाल क्या है किसी से छिपा नही है। प्रदेश की बेटियो के मामा सीएम शिवराजसिंह चैहान की मंशा पर सिस्टम किस तरह पानी फेर रहा है, यह पश्चिमी मप्र के आदिवासी अंचल झाबुआ जिले के पेटलावद इसका जीता जागता उदाहरण है।
दरअसल, यहां शासकीय महाविद्यालय में बना कन्या छात्रावास 8 सालो से वीरान पड़ा है, इस ओर सिस्टम में बैठे अधिकारियो ने ध्यान देना मुनासीब नही समझा और अब स्थिति यह हो गई है कि लबें समय से भवन का उपयोग नही करने के कारण दीवारों में दराने पड़ रही है। इन 8 सालो में कितने ही प्राचार्य यहां आए, लेकिन किसी ने इसे शुरू कराने के लिए रूचि नही दिखाई। इसका खामियाजा अनूसूचित जाति व जनजाति वर्ग की छात्राएं को भुगतना पड़ रहा है। वे अब भी पढ़ाई के लिए अप-डाउन करने को मजबूर है।
आपको बता दे कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सहयोग से 11 वीं योजना के तहत 60 लाख की लागत से वर्ष 2008 में 48 बिस्तरीय इस छात्रावास का भूमिपूजन हुआ था, फिर इसे लोक निर्माण विभाग द्वारा बनाया गया था। वर्ष 2012 में यह छात्रावास बनकर तैयार भी हो गया था इसके बाद पूर्णरूप से 2015 में सुविधायुक्त बना दिया गया। छात्रावास शुरू नही होने के कारण खण्डहर हो रहा है।
पूर्व में नही की गई ईमानदार पहल-
इस छात्रावास को आदिम जाति कल्याण विभाग को सौंप दिया गया था, लेकिन उसके बाद भी यह शुरू नही हो पाया। अब फिर से इसे उच्च शिक्षा विभाग के दायरे में लेकर शुरू कराने की पहल काॅलेज प्रशासन द्वारा की जा रही है। अगर यही रूचि बीते इन 8 सालो में की जाती तो शायद यह होस्टल आज इस दशा में रहता और ग्रामीण अंचल की गरीब आदिवासी छात्राओ को इसका लाभ मिल पाता। हालांकि अभी भी कुछ बिगड़ा नही है, अगर जल्द यह छात्रावास शुरू हो जाता है तो इससे छात्राओ को भी सुविधा मिलेगी और छात्रावास का रखरखाव भी अच्छा रहेगा।
छात्राओ का कहना है-
छात्राओ को मिलेगी समुचित सुविधाएं-
बीएससी तृतीय सेमेस्टर की छात्रा मनीषा निनामा जो कुण्डाल से काॅलेज पढ़ने के लिए आती है, उसका कहना है कि 8 वर्ष पहले बना यह छात्रावास शुरू नही होने के कारण हमें ग्राम से आने में काफी परेशानियो का सामना करना पड़ता है। यह जल्द शुरू होना चाहिए ताकि छात्राओ को समुचित सुविधाएं मिलेगी।
आने-जाने में होती है काफी परेशानी-
बीए तृतीय वर्ष की छात्रा रेखा डामोर जो पश्चिम छायन से 15 किमी का सफर तय करकर पेटलावद काॅलेज आती है, उसका कहना है कि कॉलेज में छात्रावास तो बन गया लेकिन इसका उपयोग नही हो पा रहा है, जिसके कारण हमें काफी परेशानी उठानी पड़ रही  है। जिनकी आर्थिक स्थिति ठीक नही वे छात्राए भी प्रतिदिन ग्राम से बस या टेंपो का किराया देकर काफी परेशनी उठाकर यहां पढने के लिए आती है।
पदो की स्वीकृति के लिए भेजा है प्रस्ताव-
इस संबंध में हमने काॅलेज के प्राचार्य डाॅक्टर कांतु डामोर से चर्चा की तो उन्होनें बताया कि छात्रावास में हमने प्रोफेसर डाॅ. रीना मुजाल्दा को होस्टल अधिक्षिका के पद पर नियुक्त किया है। वहीं अय पदो जिसमें होस्टल वार्डन, मेस व्यवस्था, चैकीदार और भृत्य की स्वीकृति के लिए उच्च शिक्षा विभाग ने जो प्रस्ताव मांगा था, उसे भेजा है। हमें उम्मीद है कि जल्द ही इन पदो पर नियुक्ति होगी और फिर से यह छात्रावास शुरू हो सकेगा।