नाबालिग से दुष्कर्म मामले में महज 10 महीनों में ही आ गया कोर्ट का फैसला; नाबालिग आरोपी को मिली यह सजा…

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सलमान शैख़@ झाबुआ Live

एक मासूम को अपनी हैवानियत का शिकार बनाने वाले हैवान युवक को न्यायालय ने 10-10 साल की अलग-अलग सजा सुनाई है। सबसे बड़ी बात यह है कि इस पूरे घटनाक्रम के बाद प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए न्यायालय ने महज 10 महीनों में ही फैसला सुना दिया। यह फैसला बालक न्यायालय/विशेष न्यायाधीश (लैंगिंग अपराधो से लेकर बालको का सरंक्षण अधिनियम) जैसी राठौर ने सुनाया है।
यह है पूरा मामला-
दरअसल, विगत 12 फरवरी 2021 को फरियादीया  बेडाखो निवासी ने पेटलावद पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उसके परिवार की 2 साल की मासूम बच्ची की घर से रोने की आवाज आई, तो बच्ची को ढुंढने गई इसी बीच एक गांव का ही नाबालिग युवक उसे भागते दिखा। इसके बाद उसे शंका हुई कि नाबालिग ने मासूम बच्ची के साथ गलत हरकत या हेवानियत की है। इसके बाद नाबालिग के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध कराया गया था। मामला बहुत ही संवेदनशील होने से तत्काल वरिष्ठ अधिकारियों को घटना की सूचना देकर अपराध की गम्भीरता से प्रत्येक साक्ष्य जुटाकर तत्परता से कार्यवाही की गई थी। तथा नाबालिग युवक को घटना के दो दिन बाद 14 फरवरी 2021 को गिरफ्तार कर लिया गया था।
न्यायाधीश ने सुनाया फैसला-
अपराध की सम्पूर्ण विवेचना पूर्ण कर न्यायालय में चालान पेश किया गया व अभियोजन अधिकारी पेटलावद द्वारा पैरवी की गई। न्यायालय में न्यायाधीश जे.सी. राठौर ने पेटलावद के द्वारा अपराध धारा 376(ए)(बी), 376(2)(च), 377 भादवि एवं लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 5(एम)/6, 5-एन/6 में पृथक-पृथक धाराओं में सजा के दंडादेश जारी किये गये। इसमें भादवि धारा 376 (ए) (बी) के तहत 10 वर्ष सश्रम कारावास तथा 200 रूपयें अर्थ दण्ड व भादवि धारा 376(2)(च) के तहत 10 वर्ष सश्रम कारावास तथा 200 रूपयें अर्थ दण्ड व भादवि धारा 377 के तहत 10 वर्ष सश्रम कारावास तथा 200 रूपयें अर्थ दण्ड व लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 5(एम)/6 के तहत 10 वर्ष सश्रम कारावास तथा 200 रूपयें अर्थ दण्ड के साथ लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 5(एन)/6 के तहत 10 वर्ष सश्रम कारावास तथा 200 रूपयें अर्थ दण्ड की सश्रम सजा सुनाई गई है। उक्त सभी कारावास की सजाए साथ-साथ चलेगी।
अभी इंदौर बाल संप्रेक्षण ग्रह में है नाबालिग युवक-
अभी युवक नाबालिग है इसलिए उसे बाल संप्रेक्षण ग्रह इंदौर में रखा गया है। न्यायालय के इस फैसले के बाद जब वह 18 साल पूर्ण कर लेगा तो उसे बड़ी जेल में षिफ्ट किया जाएगा। यानि उसे उसके किए की सजा भुगतनी ही है। चाहे वह अभी नाबालिग है। इस पूरे मामले में पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने में पेटलावद पुलिस की अहम भूमिका रही है। पुलिस ने अपनी सक्रियता से आरोपी नाबालिग युवक को घटना के दो दिन बाद ही धरदबोचा था। इसके बाद विवेचना कर संपूर्ण कार्रवाई के लिए जल्द से जल्द न्यायालय में चालान पेश किया था।
पुलिस पुलिस के नाम एक ओर उपलब्धि-
थाना पेटलावद के अपराध क्रमांक 108/2021 धारा 376 (ए) (बी), 376 (2) (च), 377 भादवि एवं लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 5 (एम)/6, 5-एन/6 को जिला स्तरीय समिति के सदस्यों की सर्वसहमति से जघन्य सनसनीखेज चिन्हित प्रकरण के रूप में चिन्हित कर विवेचना में लिया गया था। सम्पूर्ण विवेचना कार्यवाही एसडीओपी सोनू डावर, थाना प्रभारी संजय रावत, उप निरीक्षक नीलिमा शर्मा, महिला आरक्षक 661 ज्योति निनामा, महिला आरक्षक रेशम, रूनिता, आरक्षक पप्पु बामनिया, रवि कुमार चौहान की भूमिका अहम रही। पुलिस अधीक्षक झाबुआ द्वारा पुरूस्कृत किया जावेगा।