क्या..? इस बार नहीं होंगे छात्रसंघ चुनाव…सिर्फ महीना हैं प्रस्तावित, तारीख पता ही नहीं..?

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सलमान शैख़@ पेटलावद
कॉलेज में इस बार भी छात्रसंघ चुनावों को लेकर असमंजस है। छात्र संघ गठन चुनाव के जरिए होंगे या प्राप्तांकों की मेरिट के आधार पर, इस बारे में उच्च शिक्षा विभाग ने अब तक स्पष्ट नहीं किया है, जबकि शिक्षण सत्र शुरू हुए तीन माह पूरे होने को है।
हाल ही में झाबुआ विधानसभा उपचुनाव के चलते आदर्श आचरण संहिता पूरे जिले में लागू हो चुकी है। अक्टूबर में उपचुनाव होने है। इसके बाद सम्भावना है कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की घोषणा हो सकती है। ऐसे में कॉलेजों से छात्रसंघ चुनाव टलता ही दिख रहा है। चुनाव को लेकर जो हालात बन रहे हैं, उसे देखकर यही सवाल उठ रहे हैं कि राजनीतिक जीवन की शुरुआत के लिए पहला प्लेटफार्म कहे जाने वाले कॉलेज छात्रसंघ चुनाव की प्रक्रिया क्या अब दोबारा शुरू ही नहीं होगी ? क्या छात्रों को प्रतिनिधित्व सीखने का गुर शायद अब कॉलेजों में कभी नहीं मिलेगा ? इसका जवाब सिर्फ जिम्मेदार ही जानते हैं। शासकीय महावीर महाविद्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक इस बार शासन स्तर से कॉलेजों में छात्रसंघ चुनाव कराने के लिए किसी भी तरह के निर्देश नहीं मिले हैं। जिसके आधार पर चुनाव या मनोनयन कराया जाए।
सिर्फ महीना हैं प्रस्तावित, तारीख पता ही नहीं-
उच्च शिक्षा विभाग द्वारा मप्र के सरकारी-निजी कॉलेजों के लिए शिक्षण सत्र 2019-20 का जो अकादमिक कैलेंडर 12 जून को जारी किया गया था। उसके मुताबिक कॉलेजों में छात्रसंघ गठन प्रक्रिया के लिए अगस्त-सितंबर माह प्रस्तावित है। अक्टूबर को ही खेलकूद, युवा-उत्सव तथा अन्य गतिविधियों के लिए प्रस्तावित किया है। चुनाव की तारीख का पता पहले भी नहीं था, और अब भी नहीं हैं।
इधर…उठ रहे नाराजगी भरे स्वर-
लगातार टल रहे कॉलेज छात्रसंघ चुनाव को लेकर नगर के प्रमुख छात्र संगठन एनएसयुआर्र्ई, एससीएस व अभाविप से भी नाराजगी के स्वर उठे हैं। एक पक्ष का मानना है कि राज्य सरकार शिक्षित और साफ-सुथरी छवि के प्रतिनिधित्व को आगे नहीं आने देना चाह रही है, जबकि दूसरे पक्ष का कहना है कि चुनाव पहले भी हुए हैं। स्थितियां ही ऐसी बन रही है। तीसरे पक्ष का कहना है कि मप्र में अब सरकार कांग्रेस की है, जब विपक्ष में कांग्रेस थी तो छात्रसंघ चुनाव का समर्थन करती थी, लेकिन अब छात्रसंघ चुनाव को लेकर दिलचस्पी नेताओ में नही दिख रही है।
इनका कहना है-
प्रभारी प्राचार्य डॉ. रमेश भिंडे का कहना है कि कॉलेज में इस वर्ष छात्रसंघ गठन प्रक्रिया कराने के संबंध में अभी तक शासन स्तर से कोई निर्देश नहीं मिले हैं। ऐसी स्थिति में छात्रसंघ चुनाव होना संभव प्रतीत नहीं।
एसीएस के ब्लाक अध्यक्ष दीपक ताड़ का कहना है कि राज्य शासन लगातार छात्रसंघ चुनावी प्रक्रिया टाल रही है। वह छात्र राजनीति में साफ-सुथरी छवि के प्रतिनिधित्व को प्रोत्साहित नहीं करना चाहती। कॉलेज चुनाव बंद कर शिक्षित युवाओं को राजनीति से जोडऩे वाले बेहतर प्लेटफार्म से दूर किया जा रहा है। प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव कराने की मांग करते हैं।
पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष पलक भंडारी का कहना है कि गत वर्ष शिक्षण सत्र की अस्थिरता आदि कारणों से चुनाव को लेकर असमंजस की स्थिति रही, लेकिन फिर भी कॉलेज में छात्रसंघ चुनाव हुए थे, लेकिन इस वर्ष कैलेंडर में जो समयावधि दी गई थी वह अब पूरी होने वाली है। आखिर क्यो शासन-प्रशासन छात्रसंघ चुनाव में अपनी सक्रियता नही दिखा रही है।