आज 15 नवम्बर है; पेटलावद के लिये बना था काला दिन, आज भी जख्म हरा है; हमेशा याद रहोगे बन्ना…

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न्यूज़ डेस्क Jhabua Live
तिनका-तिनका धन जोडक़र, ईंट दर ईंट खड़ा किया था एक आशियाना। निकले थे खुशी के साथ जिस सपने को संजोने वो सपना बिच राह में हो गया चकनाचूर,,,,,, पथरीली सडक़ लगातार उसके रिसते खून से लाल हो रही थी, हर गुजरता लम्हा उसकी सांसो की डोर काट रहा था और फिर हारकर उसने सडक़ पर ही दम तोड़ दिया। घर में ख़ुशी आने वाली थी, लेकिन इस ख़ुशी के पल जब चंद घंटो में गम में बदल गए और वो ही ख़ुशी आसुओं में बदल गई…परिवार में नई खुशी आने के सपनो के साथ विदा हो गया एक नेकदील और संघर्षशील सेवाभावी नौजवान। लोग कहते है किसी एक के जाने से जिंदगी खत्म नही होती, पर ये कोई नही जानता के लाखो के मिल जाने से भी उस एक नेकदील की कमी पूरी नही होती।
जी हां, आज 15 नवंबर है। यह दिन सभी को याद ही होगा, क्योंकि पेटलावदवासियो के लिए यह दिन एक काले दिन के रूप में उभरकर सामने आया था। जिसमें भाजयुमो नगर अध्यक्ष नितिराजसिंह देवड़ा (बन्ना) की सडक़ दुर्घटना में दर्दनाक मृत्यु हो गयी थी। यह खबर जैसे ही नगर में फैली तो मानो हर किसी के पैरो तले जमीन ही खिसक गई हो। मौत की खबर सुन पूरे नगर में शोक की लहर दौड़ पड़ी थी। जब परिजनो को इस बात का पता चला तो वे बदहवास हो उठे थे। सभी बिलख गए और उनका रो-रोकर बुरा हाल हो गया। नगर के सभी गणमान्य नागरिक और जनप्रतिनिधि उनके घर पहुंचकर इस दु:खद घड़ी में शामिल हुये। नितीराज बड़े ही नेकदिल और मिलनसार व्यक्तियों में शामिल थे। जिससे वे नगरवासियो के चहेते थे। उनके मित्र उन्हें प्यार से बन्ना पुकारते थे।
आईये जानिए उस रात आखिर क्या हुआ था:
13 नवंबर रविवार को नितीराज बन्ना अपने मित्र राजू निनामा के साथ पेटलावद से बेहपूर में मान के कार्यक्रम मकें शामिल होने के लिए निकले थे। यहां से निकलने के बाद वे रतलाम काका के यहां रूके। अगले दिन सोमवार की सुबह रतलाम से बेहपूर के लिए दोनो कार से निकले और दोपहर में बेहपूर कार्यक्रम में शामिल हुए। कार्यक्रम समाप्ति के बाद बन्ना सीतामाऊ उनके साड़ू के यहां मिलने चले गए। यहां से वे रात में ही पेटलावद के लिए निकले थे। घड़ी में करीब 1 बज रहे थे। वे सीतामाऊ से निकलकर प्रधानमंत्री ग्रामीण सडक़ पर चल ही रहे थे तभी अचानक मौत ने दस्तक दी और रास्ते में अचानक सामने से ट्रक आ गया और वह डीपर मारने लगा। डीपर पर डीपर मारने के कारण सामने कुछ नही दिख पा रहा था। नितीराज और राजू कुछ समझ पाते इतने में ट्रक से जाकर कार की भयंकर टक्कर हो गई। कार ट्रक ड्रायवर साइड से टकराते हुए पलटी खा गई। जैसे ही हादसा हुआ वैसे ही राजू बेहोश हो गया और बन्ना की हालत का काफी गंभीर हो गई थी और आखिर में बन्ना ने जिंदगी की अपनी अंतिम सांसे ली और उनकी कार में ही मृत्यु हो गई।
आज भी जख्म हरा है:
पिता गजराजसिंह देवड़ा बताते है कि जब उनके पास फोन आया कि आपके लिए एक बुरी खबर है। एक दुर्घटना हुई है और आपको बेटा… आपका बेटा उसमें मारा गया। यह सुनते ही मैने कहा, नहीं, यह नही हो सकता, उस घड़ी मानो मेरा कलेजा मेरे सीने में ही फट गया। आज तीन साल बीत गया मगर हमारे दिलो में यह जख्म हरा है। बन्ना की पत्नि भावना कुंवर आज भी यह कहती है कि मैं हर दिन उनके बारे में सोचती हूं। अपने पति को याद करते अकसर उसकी आंखे भर आती है। बन्ना की एक 7 साल की पुत्री जिसका नाम लक्षराज कुंवर वह अपनी मां से हरपल यही कहती रहती है कि मम्मी पापा कहां गए है और कब आएंगे। ढाई साल की पुत्री मोक्षदाराज कुंवर, जिसके आने की खुशी बन्ना को सबसे ज्यादा थी, लेकिन बन्ना देख नही पाए। अब मोक्षदाराज कुंवर परिवार में सबकी चहेती है।
हमेशा याद आओगे बन्ना:
बन्ना अपने व्यवहार से हर युवा के चहेते थे। उनके दोस्तो ने बताया बन्ना हमेशा हमें याद आएंगे। उनकी कमी आज भी हमें हर जगह खलती है। वह एक ऐसे व्यक्ति थे, जो हर समाज हर तबके के युवा को साथ लेकर चलते थे। उन्होने कभी किसी का बुरा नही चाहा, लेकिन शायद ईश्वर को कुछ और ही मंजूर था, लेकिन बन्ना आप हमेशा हमें याद आओगे।