सरकारी दावों का जमीनी हकीकत में दिखा अंतर

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झाबुआ लाइव के लिए झकनावदा से जितेंद्र राठौड़ की रिपोर्ट-
लालकिले के प्राचीर से देश के प्रधानमंत्री खुले मे शौच नहीं करने और स्वछता अभियान के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं और जिला प्रशासन और सरकार खुले में शौच मुक्त होने के कितने भी दावे करे, पंरतु इन सरकारी दावो और जमीनी हकीकत में कोसों अंतर नजर आता है। जी हां, हम बात कर रहे पेटलावद तहसील के झकनावदा समेत आसपास की करीब एक दर्जन पंचायतों का है, जहां नाम मात्र के शौचालय बनाकर प्रशासन ने इतिश्री कर ली और शौच मुक्त होने का दावा किया जा रहा है।
औसत 500 पर 30 शौचालय-
प्रशासन हर घर शौचालय और हर गांव शौचमुक्त होने की बात करता है पर जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है क्षेत्र की ग्राम पंचायत बखतपुरा में 300 मकान है और शौचालय मात्र 30 बने हैं। इसी तरह भेरूपाड़ा में 500 से अधिक मकान पर शौचालय 40 शौचालय बने है। ऐसा हाल लगभग क्षेत्र की हर पंचायतों का है।
जो शौचालय बने उनका उपयोग नहाने में-
क्षेत्र में खुले मे शौच का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि नाम मात्र के शौचालय बनाकर जो इतिश्री कर ली गई, उनमे भी ग्रामीण शौच करने की बजाय उनका उपयोग नहाने में किया जा रहा है। इस पर ग्रामीणों का कहना है छोटे शौचालय के गड्ढे छोटे से खोदे गए हैं और दरवाजे भी अभी से टूट चुके हैं।                                                         जिम्मेदार बोल-
खुले में शौच मुक्त करने के लिए बड़ी संख्या में शौचालय का निर्माण करवाया जा रहा है, जल्द ही लोगों को जागरूक करेंगे इसमें मीडिया को भी सहयोग करना होगा ।
                   -अनुराग चौधरी, सीईओ जिला पंचायत सीईओ