श्री विधि पद्धति अपनाकर किसान कर रहे गेहूं की बोवनी

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श्रीविधि का घोल तैयार करते हुए
श्रीविधि का घोल तैयार करते हुए

झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़ की रिपोर्ट-
गेहूं की बुवाई में नवाचार का प्रयोग करते हुए इस बार गेहूं की खेती की नई विधि श्री विधि यानी सघनीकरण पद्वति का प्रयोग किया जा रहा है। गेहूं की खेती को अधिक लाभ का धंधा बनाने के लिए कृषि विभाग द्वारा किसानों को श्री विधि से खेती करने की सलाह दी जा रही है। इस पद्धति में गेहूं के बीज का पहले से ही उपचार किया जाता है और खेत में मजदूरों द्वारा निश्चित दूरी पर एक एक बीच को बोया जाता है, जिससे बीज भी कम लगता है और पैदावार भी अधिक होती है जिसका लाभ किसानों को मिलता है। इसका प्रयोग पेटलावद क्षेत्र में प्रथम बार कृषक बद्रीलाल मुलेवा के खेत पर किया जा रहा है, जिसमें एक एकड में श्री विधि से और एक एकड़ में सामान्य पद्धति से गेहूं की बुवाई की गई है जिसमें श्री विधि से बुवाई करने पर मात्र 10 किलो गेहूं के बीज में बुवाई हो गई। वहीं सामान्य पद्धति से बुवाई करने में 40 किलो गेहूं एक एकड में लगा, जिससे बुआई के समय ही किसान को 30 किलो गेहूं का लाभ हुआ। इसके साथ ही दोनों ही पद्धति की पैदावार का भी आंकलन किया जाएगा।
ऐसे होता है बीज तैयार-
10 किलो गेहूं के बीज को उपचारित करने के लिए 20 लीटर पानी एक बर्तन में गुनगुना गर्म कर ले 10 किलो बीजों कोइस पानी में डाल दे, जिससे जो हल्के बीज है वह ऊपर आ जाएंगे जिन्हे अलग हटा दे। इस पानी में 5 किलो केंचूआ खाद, 4 किलो गुड, 4 लीटर गोमूत्र मिलाकर 8 घंटे के लिए छोड़ दे। 8 घंटे बाद इस मिश्रण को एक कपड़े से छान लें जिससे बीज और अन्य मिश्रण घोल से अलग हो जाए। अब बीज में बाविस्टिन 20 ग्राम मिलाकर 12 घंटे के लिए अंकुरित होने हेतु गीले थेलेे में बांधकर छोड़ दें। इसके पश्चात बुवाई की जाती है। कृषि विभाग के टेक्निकल अस्सिटेंट गोपाल मुलेवा ने बताया कि इस विधि से गेहूं की बुआई छोटे किसानों के लिए लाभप्रद होती है, उन्हे किसी प्रकार का कोई बड़ा खर्च नहीं होता है, यदि घर में 5 सदस्य है तो वह मात्र दो दिन में बुआई कर सकते है, जिससे मजदूर और ट्रैक्टर आदि का खर्च तो बचता ही है। साथ ही जब उत्पादन होता है तो अधिक लाभ मिलता है क्योंकि हर बीज उपचारित होता है तथा निश्चित दूरी पर बोवनी के कारण उसे बढऩे के लिए पूरा पूरा मौका मिलता है। यह पद्धति दूसरे क्षेत्रों में पूर्व से लागू है किन्तु झाबुआ जिले जैसे आदिवासी क्षेत्र में इस विधि का अधिक लाभ मिलेगा, क्योंकि यहां छोटे किसानों की संख्या अधिक जिसके चलते यह विधि इस जिले के लिए अधिक लाभप्रद है। इसके लिए विभाग द्वारा प्रचार-प्रसार कर लोगों को श्री विधि से गेहूं बोवनी के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इस संबंध में ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी मेहताबसिंह मुवेल ने बताया की प्रयोग के तौर पर इसे एक एकड़ में बोया गया है, जो कि लाभप्रद रहेगा। इसे किसानों को दिखाया जाएगा और अधिक से अधिक बुआई के लिए प्रेरित किया जाएगा।