रक्त सड़कों पर बहा तो क्या बहा, रक्त सीमाओं पर बहना चाहिए

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हिंदू नववर्ष उत्सव समिति द्वारा राजवाडा चैक में अखिल भारतीय विराट कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया रात्रि 9 बजे से प्रारंभ हुए कवि सम्मेलन में रात्रि डेढ़ बजे तक नगर के साहित्यप्रेमी श्रोताओं ने रसास्वादन किया। कवियों का नगर के विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय सेवाएं देने वाले नागरिकों ने कवियों का पुष्पामालाओं एवं पुष्पगुच्छो से स्वागत के किया गया। राजवाड़ा श्रोताओं से खचाखच भरा हुआ था। शरतशास्त्री ने अपने अनूठे संचालन के माध्यम से स्वागत की रस्म पूर्ण कराने के साथ ही कवि सम्मेलन का आगाज हुआ। इन्दौर से पधारी कवियित्री अर्चना अंजुम ने मां सरस्वती की से सरस्वती वंदना की। ओरछा से आए वीर रस के सशक्त हस्ताक्षर सुमित मिश्रा ने अपनी रचना बहुत दिनों से सोच रहा था एक कहानी लिखने की…कविता सुना कर श्रोताओं में जोश पैदा करते हुए करवा चैथ पर अपनी कविता यह पावन प्रथा पुरानी है, यह उत्सव का श्रृंगार का प्रस्तुत की। वही चान्द के प्रियमत में भी प्यार छिपा रहता है सुना कर तालिया बटोरी अखिल विश्व में भारत मां की आन ही है मेरी कविता तथा दुजो को छोटा कह कर बडा बनु यह चाह नही सिंधु नदी से हिंदू सिंधु तक सारी भूमि भारत की सुनाई । वही आरक्षण की आड़ में जल रहा दर्द लिखता हूं तथा देशभक्ति यही है कि नीज भाषा का उपयोग करंे, स्वदेशी जीवन शैली हैै स्वदेशी उपभोग करें को काफी पसंद किया गया। भीलवाडा राजस्थान से आए हास्य कवि दीपक पारिख ने अपनी कविता बालक पालक चालक सब खवत है गोली… तथा लिक्विड से खाना खाया एवं एक दिन रावण सीधा स्वर्ग से मंदिर गया को काफी पसंद किया गया। वही पिंकी ने मोबाइल की मदद से खुद के हाथ पीले कर दिये को काफी तालियां मिली। विश्व कविता दिवस के अवसर पर उनकी कविता मंच मंच व्यापारी होंगें किन्तु कला का वास न होगा। उनकी रचना नववधु की तरह श्रृंगार सोलह से सजाया है दिन के गुलदस्ते से मन मधुवन बनाया है को काफी पसंद किया गया। उनकी रचना है कौशाल नरेश राम हर मन का दीप जलाओं भारत गिरवी रखने की तैयारी में है नाथ अब जल्दी पधारों को काफी तालियां मिली वही बेटी बचाओ अभियान पर उनकी रचना कत्ल की गई बेटी मां को लिखती पाती भले कुमाता मां हो जावे बेटी तो बेटी ही रहती को काफी पसंद किया गया। पाश्चात्य की भाग दौड में संस्कृति का नाश हुआ, गर्भस्थ शिशु की हत्या से कोई बडा पाप नही होता अर्चना अंजुम ने अपनी रचना सब देख सब रंग की बोडार हुई होली में,चुनर राधा की तार तार हुई झोली में तथा बुद्धिजीवी रोता यहां कवि गाये छंद बज रही है तालिया शुभ दिन आया संग एवं महुए में यौवन चढा चटक उठी कचनार, पीली चुनर चोढ कर सरसों है तेैयार को काफी पसंद किया गया । वही उनकी नेताजी इक्कीसा- नेताजी आपकी महिमा अपरम्पार, ढीला कुर्ता धवल पाजामा तुम लगते शकुनी के मामा तथा अब तो हर हाल में ईमान को लाना होगा भ्रष्ट नेताओं को इंसान बनाना होगा तथा पहली नजर वो आपकी क्या काम कर गई एक दर्द देके दिल में हमारे वो उतर गई तथा चांदनी जब तेरे आंगन में उतरती होगी तुझको बैचेन मेरी याद तो करती होगी, षाम के ढलते ही कोई याद तो आता होगा, फिर तेरी रात भी रातों मे गुजरती होगी ।वही भ्रुण हत्या पर उनकी कृति ना मै गुनहगार तु ऐसे ना धिक्कार मैया देखन दे संसार मेैया देखन दे संसार ने माहौल को नया मोड दिया। बांरा राजस्थान से पधारे हास्य कवि सुरेन्द्र यादवेंन्द्र की रचना हैप्पी न्यू इयर, मैने उाटा तुने चांटा नया साल है तथा फिल्म राम तेरी गंगा मैली की नायिका मंदाकिनी क्यूं बहुत दिनों से तेरी कोई फिल्म नही आई , वही उनकी आशु कविता अर्चना ने सरस्वती की करी पूजा आरती मां की उतारों बताओं तालिया को पसंद किया गया। मंुबई से आई गीत गजल की मलिका दीप्ति मिश्रा की गजल एवं शेर वो नहीं मेरा मगर उससे मोहब्बत तो है, ये गर रस्मों रिवाजों से बगावत है। वही उनकी रचना दोस्त बन कर दुश्मनों सा वो सताता है मुझे फिर भी उस जालिम पर मरना अपनी फितरत है तो है। मुझे प्यार करते हो करते रहो तो कभी हक जमाने की कोशिश न करना, खुश्बु हूं मैं मुझको महसूस करना, मुझको पाने की कोशिश न करना। वही उनका शेर ये माना बहुत दूर है मेरी मंजिल, घड़ी दो घड़ी साथ चलो तो चलना पर जनम भर साथ चलने की कोशिश न करना। उनकी एक और गजल हम बुरे है अगर बुरे ही भले, अच्छे बनने का कोई इरादा नही साथ लिखा है तो साथ निभ जावे पर साथ निभाने की कोशिश न करना वही उनकी लोक प्रिय रचना रूह का रुख उधर, जिस्म का रुख इधर, अब दोनों मिले तो किस तरह, रूह से जिस्म तक,जिस्म से रूह तक रास्ता सीधा‘साधा नही है, को काफी तालिया मिली।