भव्य दीक्षा समारोह में जैन समाजजन बने साक्षी, अब मुमुक्षु मयंक पावेचा कहलाएंगे पूज्य मयंकमुनिजी मसा

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रितेश गुप्ता, थांदला
आचार्य श्री उमेशमुनिजी के शिष्य प्रर्वतकदेव श्रीजिनेन्द्रमुनिजी के पावन सानिध्य में अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर थांदला के अणु पब्लिक स्कूल पर वर्षीतप पारणा व दीक्षा महोत्सव का विराट आयोजन हुआ। इस प्रसंग पर नगर के मुमुक्षु मंयक पावेचा ने प्रवर्तक पूज्य जिनेंद्रमुनिजी के मुखारविंद से जैन भगवती दीक्षा अंगीकार की वे अब पूज्य मयंकमुनि मसा कहलाएंगे। यहां बने विशाल डोम में 181 वर्षीतप आराधको ने पारणा किया। इस वृहद महोत्सव में मध्यप्रदेश,राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब आदि कई दूरस्थ प्रांतों के हजारों श्रद्धालु साक्षी बने और वर्षीतप आराधको और मुमुक्षु की खूब-खूब अनुमोदना की। श्रीसंघ के अध्यक्ष जितेंद्र घोड़ावत और सचिव प्रदीप गादिया ने बताया कि मंगलवार को प्रात: 8 बजे मुमुक्षु मयंक पावेचा की उनके निवास स्थान से महाभिनिषक्रमण यात्रा निकली। यात्रा के पूर्व उन्होने उपस्थित जनसमुदाय को मांगलिक श्रवण करवाई। यात्रा मठवाला कुंआ, जवाहर मार्ग, पुलिस थाना, पुरानी नगर परिषद कार्यालय होती हुई दीक्षा स्थल अणु पब्लिक स्कूल पर पहुंची। यहां समारोह का प्रारंभ प्रवर्तक जिनेन्द्रमुनिजी द्वारा मंगलाचरण से किया गया। वीर पिता प्रमोद पावेचा ने अपने उद्बोधन में थांदला के सकल जैन समाज सहित समस्त श्रीसंघों का आभार माना। वीरमाता किरण प्रमोद पावेचा ने मार्मिक स्तवन प्रस्तुत किया जिससे पूरा जनसमुदाय भावुक हो उठा। श्रीसंघ के अध्यक्ष जितेन्द्र घोड़ावत ने स्वागत भाषण दिया और सभी का आभार माना। मुमुक्षु मयंक पावेचा ने अपने संासारिक जीवन के अंतिम उद्बोधन में कहा कि-जिस दिन का कभी से इंतजार कर रहा था वो दिन आज आ गया। संसार असार है संयम में ही सार है। मयंकजी ने सभी से क्षमायाचना की व स्तवन भी प्रस्तुत किया। मयंकजी, प्रवर्तक जिनेन्द्रमुनिजी, मुनिमण्डल व साध्वीमण्डल को वंदना और मांगलिक श्रवण कर 9.30 बजे वेष परिवर्तन हेतु गए। इस बीच प्रवर्तक जिनेन्द्रमुनिजी ने वर्षीतप आराधकों को आलोचना विधी करवाई। उन्होने वर्षीतप आराधकों को खूब-खूब धन्यवाद दिया और कहा कि आज भी कई आराधक इसमें बढ़ोतरी कर रहे है। कई आराधकों ने अपनी आराधना को निरन्तर रखा। सभा को तत्वज्ञ अणुवत्स संयतमुनिजी, धर्मेन्द्रमुनिजी, संदीपमुनिजी ने भी संबोधित किया। साध्वी चतुर्गुणाजी ने स्तवन प्रस्तुत किया। दीक्षार्थी मयंक पावेचा वेष परिवर्तन करके 10.30 बजे जैसे ही दीक्षा स्थल पहुँचे वैसे ही पूरा पाण्डाल जय-जयकार से गुंजायमान हो गया। वे सभी का अभिवादन करते हुए पहुंचे। इसके पश्चात प्रवर्तक जिनेन्द्रमुनिजी ने मुमुक्षु के निकटतम परिवारजनो से धर्मदास गण परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष शांतिलाल भंडारी, श्रीसंघ के अध्यक्ष जितेन्द्र घोड़ावत से औपचारिक आज्ञा ली। इसके पश्चात अणुवत्स संयतमुनिजी, धर्मेन्द्रमुनिजी, साध्वी धैर्यप्रभाजी और मुक्तिप्रभाजी ने मांगलिक श्रवण करवाई। करेमि भन्ते का पाठ पढऩे के पूर्व मयंकजी ने सभी से जय जिनेन्द्र कर क्षमायाचना की। वीर पिता प्रमोद पावेचा और जियाजी प्रांजल लोढ़ा ने प्रवर्तकश्रीजी को रजोहरण व पात्र वहराए। इसके पश्चात प्रवर्तकश्रीजी ने नवदीक्षित को नया नाम प्रदान किया। प्रवर्तकश्रीजी ने नवदीक्षित को मयंकमुनि मसा नाम प्रदान किया। वे तत्वज्ञ पूज्य धर्मन्द्रमुनिजी के शिष्य बने। नवदीक्षित की सभी ने जय-जय कार की। प्रवर्तकश्रीजी और मुनिमंडल ने नवदीक्षित मयंक मुनिजी का प्रतीकात्मक केष लोच किया। मयंक मुनिजी ने सभी को मांगलिक श्रवण करवाई। वर्षीतप आराधकों को थांदला श्रीसंघ एवं अन्य कई श्रीसंघों व परिवारों द्वारा प्रभावना दी गई। समारोह में धर्मदास गण परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष शांतिलाल भंडारी, अभा धर्मदास स्थानकवासी जैन युवा संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रवीण विनायक्या, राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष मनीष कांठेड़, अखिल भारतीय श्री चन्दना श्राविका संगठन की राष्ट्रीय अध्यक्ष दिव्या डोषी, लोकसभा के कांग्रेस प्रत्याशी कांतिलाल भूरिया, भाजपा प्रत्याशी जीएस डामोर, विधायक वीरसिंह भूरिया, पूर्व विधायक कलसिंह भाभर, नगर परिषद अध्यक्ष बंटी डामोर, भाजपा जिलाध्यक्ष ओम शर्मा, विश्वास सोनी, प्रफुल्ल गादिया, प्रवीण सुराणा, कांग्रेस नेता सुरेशचंद्र जैन पप्पू भैय्या, गुरुप्रसाद अरोड़ा, नगीन शाहजी, राजेश डामोर, जनपद अध्यक्ष गेन्दालाल डामोर आदि जनप्रतिनिधि उपस्थित थे। संचालन भरत भंसाली व प्रदीप गादिया ने किया। समारोह स्थल पर नेचरल गोल्ड परिवार, वसंत मसाला उद्योग झालोद, अणु नवयुवक मंडल मेघनगर, अणु कृपा नवयुवक मंडल बदनावर, नाहर परिवार लीमखेड़ा और जय गुरु जिनेन्द्र मंडल लिमड़ी आदि द्वारा मठ्ठा, पानी, नींबू पानी, कुल्फी शरबत आदि के स्टॉल लगाए गए थे।
दो दिन तक लगा स्टॉल
पूज्य श्री नन्दाचार्य साहित्य समिति मेघनगर द्वारा आचार्य उमेशमुनि मसा द्वारा रचित साहित्य का स्टॉल समारोह स्थल पर दो दिन तक लगाया गया था। स्टॉल पर लम्बे समय तक श्रद्धालुओं की भीड़ लग रही है।

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