बीएसएनएल की फिसड्डी सेवाओं से त्रस्त हुए उपभोक्ता

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झाबुआ लाइव के लिए थांदला से रितेश गुप्ता की रिपोर्ट-
“बीएसएनएल” का यही पूरा नाम एवं इसी तरह के कुछ भावर्थ थांदला एवं अंचल के लोगों द्वारा निकाले जा रहे कि “भूल से भी नहीं लगेगा”भगवान भरोसे नेटवर्क ले लो” आदि तरह-तरह के नए जुमले बीएसएनएल के निकाले जा रहे हैं। भारत संचार निगम का यह नेटवर्क बीते कुछ दिनों से बुरी तरह से उपभोक्ताओं को परेशान कर रहा है। लैंडलाइन, मोबाइल सेवा, ब्रांडबैंड व इंटरनेट सभी सेवाएं पूरी तरह से ठप है। पूरा एक माह होने के को आया है उपभोक्ता पूरा पैसा भरने बावजूद भी 25 प्रतिशत भी उसका उपभोग नहीं कर पाये है। बीएसएनएल के अधिकारियों का भी कहना है कि सिस्टम पुराने हो चुके है वह बदलने मे अभी और समय लगेगा। इतना समय बीत जाने के बाद भी भारत संचार निगम के अधिकारी कर्मचारी समस्या का समाधान नही कर पाये है। जिला अधिकारी एनके श्रीवास्तव से बात गई तो वे सिस्टम की और समस्याए बताने लगे कि थांदला मे सबसे बड़ी समस्या यह की झाबुआ, पेटलावद, रतलाम कही भी अगर लाइन कट जाती है तो यहा का नेटवर्क चला जाता है। बैट्रियां जिनकी 6 वर्ष की सर्विस होती है 4 वर्ष मे ही खराब हो चुकी है और अभी 15-20 दिन नई बैट्रियां आने में लगेंगे। चर्चा के दौरान मजेदार बात यह रही कि बीएसएनएल का नेटवर्क कुछ समय के लिए आया था तब श्रीवास्तव से बात हो सकी उसमें भी लगभग 4 बार कॉल ड्रॉप हो गई इसके बाद अन्य नेटवर्क से बात पूरी की गई।बीएसएनएल नेटवर्क की वजह से कर्मचारी वर्ग बंैक लिंक बंद होने से अपनी मासिक वेतन नही उठा पा रहा है तो व्यापारी वर्ग अपने व्यापारियों को समय पर पैंमेट पहुचा पाने से खासी दिक्कतों का सामना कर रहे हैं। एक तरफ जहां सरकार डिजिटल इंडिया बनाने मे जुटी है तो दूसरी ओर उसी की कम्पनी इस मार्ग में रोडे अटकाएं खडी है। काफी मशक्कत के बाद शनिवार देर शाम नेटवर्क तो दिखाई देने लगा मोबाईल पर मगर सिर्फ कॉल आ रहे लग नही पाए।
परेशान उपभोक्ताओं की जुबानी-
प्रदीप सोनी- पिछले कई दिनों से नेटवर्क नहीं आ रहा है लेकिन विभाग के लोग समस्याओं से अनजान है। बीएसएनएल का नया स्लोगन भाई साहब नही लगेगा।
नितेश शाहजी-बीते एक माह से लैंडलाइन एवं मोबाइल फोन का उपयोग नही कर पा रहे है। पूरे माह का बिल भरने वाले उपभाक्ताओं को सिर्फ 5 या 10 की भी टूटी-फूटी सर्विस द्वारादी जा रही है। उपभोक्ता से बिना सर्विस दिए पूरे पैसे वसूले जा रहे है या तो पूरी सर्विस दी जाना चाहिए या अपनी सर्विस के अनुसार बिल जारी किए जाना चाहिए।
चिराग घोड़ावत- एक ओर जहा सरकार डिजिटल इंडिया का सपना देख रही है वही दूसरी ओर भारत सरकार की ही भारत संचार निगम उसके इस सपने पर पानी फेर रही। बैंकिंग ऑनलाइन वर्क, पोस्ट ऑफिस आदि सभी के कार्य विगत कई दिनों से ठप पड़े है। डिजिटल करने के पहले अपने सिस्टम को अपडेट करना जरुरी है। डिजिटल नहीं टिपिकल हो रहा है इंडीया।
जयेन्द्र आचार्य-बीते 35 सालों से बीएसएनएल घटिया सेवा दे रहा है। हर माह 10 दिन बंद रहता है। बीएसएनएल के जिला अधिकारियों का भी कहना है कि सिस्टम पुराने हो चुके है वह बदलने मे अभी ओर समय लगेगा। इतना समय बित जाने के बाद भी भारत संचार निगम के अधिकारी कर्मचारी समस्या का समाधान नही कर पाये है।
बीएसएनएल की ऐसे ही सर्विसों की वजह से युवा प्रायवेट कम्पनियों की ओर अधिक आकर्षित हो रहे है ओर कई पुराने उपभोक्ताओं द्वारा नंबर पोर्टिंग करवा कर प्राइवेट कंपनियों की तरफ रुख भी कर लिया है। जल्द ही भारत संचार निगम द्वारा इस ओर ध्यान नही दिया तो वो दिन दूर नही दूरसंचार निगम भी प्राइवेट हाथों में चला जाए।