पुरषोत्तम राम और भगवान महावीर के देश में आज मर्यादा तार तार हो रही है

- Advertisement -

झाबुआ लाइव के लिए राणापुर से एमके गोयल की रिपोर्ट 

DSC05669 DSC05493मर्यादा पुरषोत्तम राम और भगवान महावीर के देश में आज मर्यादा तार तार हो रही है ,महिलाओं का शील सुरक्षीत नहीं है जिसके लिए जिम्मेदार भी हमारा समाज है हमारे देश में जितने भी महापुरुष हुए उन्होंने मर्यादा और ब्रह्मचर्य का पालन किया लेकिन आज स्तिथी एसी हो गयी है की बुढापे में भी आदमी वासना की कामना करता  है ये विचार आज सन्मति समवशरण में दसलक्षण पर्व के समापन पर आचार्य सुनील सागरजी महाराज ने अपने प्रवचनों में कही |     सन्मति समवशरण में चल रहे दस दिवसीय पर्व के समापन पर आज दस उपवास की तपस्या करने वाले आराधको का बहुमान किया गया इस मौके पर दिगम्बर जैन आचार्य सुनील सागरजी महाराज ने श्रावक श्राविकाओं को संबोधित करते हुए कहा की साधना और वासना की कोई उम्र नहीं होती है हमारे देश में महावीर जैसे तीर्थंकर हुए है जिन्होंने कम उम्र में ही ब्रह्मचर्य व्रत का पालन कर तप और साधना की लेकिन आज लोगो को पता नहीं क्या हो गया है की अस्सी साल की उम्र में भी शादी करने को आतुर है लोगो के सामने ब्रह्मचर्य की बात की जाए तो बेवकूफ समझते है,इसकी पालना करने वालो का मजाक उडाया जाता है  .ब्रह्मचर्य की महत्ता समझाते हुए आचार्य ने कहा की ये तो वह साधना है जिसके द्वारा आत्मा का कल्याण कर मोक्ष की प्राप्ति की जा सकती है ,उत्तम ब्रह्मचर्य सिर्फ स्त्री का त्याग करने से नहीं होता है वह तो केवल बाहरी त्याग है ,पर पदार्थो का त्याग मात्र करने से भी ब्रहमचर्य नहीं होता ,खुद के स्वरूप में लीन हो जाना उत्तम ब्रह्मचर्य है इसमे बाहरी साधनों का त्याग तो आवश्यक है ही साथ ही स्व का स्वरूप में रमण परम आवश्यक है |

उन्होंने कहा की आज बहुत सी महिलाएं जो अपने आपको प्रगितिशील मानती है नारी की स्वतंत्रता की बातें करती है लेकिन मर्यादा की कोई बात नहीं करती है ,महिलाओं का शील भी तभी तक सुरक्षीत है जब उनमे मर्यादा रहेगी ,नारी तो समाज और देश की नाड़ी है अपने शील व्रत की रक्षा करना उनके स्वयं के हाथ में है .नारी की रक्षा का दायित्व हमेशा पुरुष के हाथ रहा है बाल्यावस्था होती है तब उसकी सुरक्षा का जिम्मा पिता के हाथ में होता है कुछ बड़ी हो जाती है तो भाई पर भी ये जिम्मेदारी आ जाती है ,शादी हो जाती है तो पति पर सुरक्षा की जिम्मेदारी आती है ये ही नारी जव वृद्ध हो जाती है तो बेटो को उनकी देखभाल करनी होती है यदी अकिंचन ब्रह्मचर्य व्रत का पालन किया जाए तो समाज सही दिशा में आगे बढता रहेगा युवाओं को इंगित करते हुए आचार्य ने कहा की हम बगीचे में बीज डालते है यदि उसको समय पर खाद पानी देते है तो बगीचा हरा भरा रहता है लेकिन उसकी सुरक्षा नहीं की तो कोई प्राणी घुस कर उसको तहस्  नहस कर सकता है इसी प्रकार आपका जीवन भी एक सुन्दर बगीचा है इसको हम सींचते रहते  है लेकिन इस जीवन में यदी मर्यादा  रूपी सुरक्षा नहीं है तो कोई भी आपके जीवन में घुसकर नुक्सान पहुंचा सकता है इसके लिए व्रतो की पालना जरूरी है ब्रह्मचर्य के वीर्य से आत्मा में परमात्मा पैदा होता है .व्रतो में कोई कपट नहीं चलता है पशु अगर व्रतो की आराधना करें तो परमात्मा बन् जाता है और मुनि अगर विराधना करें तो पशु बन् जाता है इसलिए जीवन में मर्यादाओं का पालन कर उसे महान बनाए |

इसके पहले सन्मति समवशरण में दस उपवास की तपस्या करने वाले करीब 43 तपस्वियों का बहुमान किया गया ,समाज के प्रवक्ता पारस मिंडा ने बताया की दिगम्बर जैन सोशल ग्रुप ,नया मंदिर ट्रस्ट की और से सभी तपस्वियों को आचार्य श्री का स्मृती चिन्ह भेंट कर और जिनेन्द्र दुपट्टा  ओढा कर सम्मानित  किया गया |