दीदार शाह वली उर्स पर कव्वालों ने बांधा समां

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कव्वाल ललित हेरां बज्म पेश करते हुए। -: उपस्थित सभी धर्मो के श्रोता।
कव्वाल ललित हेरां बज्म पेश करते हुए।
-: उपस्थित सभी धर्मो के श्रोता।

अलसुबह 4 बजे तक चला कार्यक्रम
झाबुआ। शहर के सज्जन रोड पर छोटे तालाब के सामने स्थित हजरत दीदार शाह वली की दरगाह पर वर्र्षों के बाद एलाने उर्स के अंतर्गत कव्वाली का शानदार कार्यक्रम का आयोजन शुक्रवार रात 11 बजे से शुुरू हुआ, जो अलसुबह 4 बजे तक चलता रहा। जिसमें महाराष्ट्र के जलगांव से अंर्तराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कव्वाल ललित हेरां एवं इंदौर से पधारे प्रसिद्ध कव्वाल आफताब कादरी ने ख्वाजा दीदार ळाह वली की खिदमत में कई कशीदे पेश करते हुए देशप्रेम और राष्टभक्ति से ओतप्रोत कई नज्म पेश की। मनमोहक संगीत एवं खूबसूरत गायिकी की तरन्नुम में श्रोताओं ने दोनो कव्वालों द्वारा शायराना अंदाज में पेश की गई कव्वालियों का जमकर लुत्फ उठाया तथा हर खूबसूरत कलाम पर नजारने के रूप में जमकर नोटो की बरसात की।
ऐ चांद तू मेरे रसूल के कदमों की धूल है
कव्वाली जलगांव के ललित हेरां ने अल्लाह के करम की दुआ लेते हुए कव्वाली प्रारंभ की और देखते ही देखते अपनी मधुर आवाज से शायराना अंदाज में श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया एवं हर गायिकी पर जमकर दाद बटोरी। उन्होंने ‘हे चांद तू चमकता है, यह तेरी भूल है, तू मेरे रसूल की कदमों की धूल है।
मैं मरू तो तिरंगे का कफन हो
राष्ट्रभक्ति की नजम पेश करते हुए आपने कहा कि ‘बस अली वचन देना,अगर मैं मरू तो तिरंगे का कफन देना ने माहौल को देशभक्तिमय कर दिया। राष्ट्र के प्रति अपना जज्बा दिखाते हुए आपने कहा कि ‘मैं झूठ नहीं कहता, मेरा ये उपदेश नहीं, सच कहता हूूं, यारो भारत जैसा कोई देश नहीं, ने जमकर वाहवाही लूटी। कव्वाल आफताब कादरी ने जिसमें अरे दीवाने, तू क्यो जाने, मेरी नजर से देख, मेरा ख्वाजा तो है लाखों में एक, पर सारा माहौल रुहानियत से भर गया। हिन्दू-मुस्लिम एकता को मजबूत बनाने के लिए आपने मंच के माध्यम से कहा कि एक केंची की धार है हिन्दू-मस्लिम जो बीच में आएगा वो कट जाएगा, हिन्दुस्तान की सरजमीं को सलाम करते हुए आपने कहा कि ‘मेरी नबी को भी हिंदुस्तान से प्यार है।
इन्होंने की शिरकत
महफिल-ए-सिमां में उर्स कमेटी के आमंत्रण पर नगर पालिकाअध्यक्ष धनसिंह बारिया, पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष शैलेष दुबे, डॉ. केके त्रिवेदी, यशवंत भंडारी, उमंग सक्सेना, सदर अब्दुल गफूर, जयेन्द्र बैरागी, अंर्तराष्ट्रीय शायर असर इंदौरी, डॉ. वाहिद फराज, संजय कांठी, अजय रामावत, बबलू सकलेचा, आशीष भूरिया, पार्षद सईदुल्ला खान अतिथि के रूप में उपस्थित थे।