झाबुआ जिले की प्रशासनिक हलचल

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चंद्रभानसिंह भदोरिया

बाबू का जलवा
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झाबुआ कलेक्टरोरेट मे एक बाबू इन दिनो बेहद शक्तिशाली बताये जाते है जनचर्चाओ को अगर सही माने तो नीतिगत निर्णयों से लेकर सप्लाई तक के नीतिगत फैसलों मे भी इनका खासा दखल है .. गोधूलि बेला के बाद जब स्याह अंधेरा छाने लगता है उसके बाद इस बाबू का आफिस गुलजार होने लगता है अगर यह कहे कि कलेक्टरोरेट मे यह बाबू सैंकड कलेक्टर है तो अतिशयोक्ति नही होगी .. अरे साहब अब आप सोच रहे होंगे कि कलेक्टरोरेट तो बाबूओ से भरा हुआ है फिर यह बाबू कोन है तो चलिए आपको इशारे से बता देता हूं इस बाबू का पदनाम उर्दू से बना है अब तो समझ गये ना ? अरे नही समझे ? समझने वाले समझ गये है ना समझे वह अनाड़ी है ।।

मै ना सुनूंगा – मै ना मानूंगा
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झाबुआ सब डिविजन मे एक अफसर एक साल से खूब धूम मचाऐ हुऐ है खूब खोफ भी पैदा किया ओर खूब पावर का हर तरह का आनंद लिया ; लोगो से मारपीट करने के दज॔नो उदाहरण है इस अफसर को देखकर आम लोगो ; छोटे व्यापारियों को अंग्रेजो ओर मुगलों की याद आ जाती है कांग्रेस की सरकार मे मंच के हर नेता को माला पहनाने वाला यह अफसर अब बीजेपी के राज मे भी वही पावर मे है बताते है कलेक्टर साहब इस अफसर पर खूब फिदा है ओर लगता है इस अफसर को बोल दिया है कि जाओ तुम्हारे सब गुनाह माफ .. आप इस अफसर को पहचान पाये कि नहीं ? अगर नहीं तो एक छोटा सा संकेत दिये चलता हूं इस अफसर को चुने की लाइन बिछाकर कारवाई ना करने वाले अफसर के रुप मे भी जाना जाता है अब चुने की लाइन या मार्किंग करके कारवाई क्यो नही की होगी इतना बताना भी जरुरी नहीं है ।

आपदा को अवसर मे बदलने वाले कम नही है
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पीएम मोदी ने देश के नाम अपने संबोधन मे कहा था कि हमे इस आपदा ( कोरोना ) को अवसर मे बदलना है लेकिन शायद मोदीजी को नही मालूम की उनसे पहले ही झाबुआ के अफसर ओर एक जनप्रतिनिधि उनके इस मंत्र को अपना चुके थे ओर जमकर मोटी कीमतों मे खरीदी हुई .. उधर पिटोल बाड॔र पर भी 45 रुपये प्रति किलोमीटर की दर पर चलाई जा रही बसो को लेकर भी अवसर भुनाने के आरोप सामने आये है हालांकि अभी पुष्टि होना बाकी है