बदहाल प्रशासनिक व्यवस्था से कर्मचारियों व प्रवासी मजदूरों की मुसीबते बढ़ी

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भूपेंद्रसिंह नायक, पिटोल

कोविड-19 वैश्विक महामारी से आज देश में 90 हजार से अधिक संक्रमित केस है हो गए हैं। वहीं अखिल विश्व इस महामारी से परेशान हैं संपूर्ण विश्व अपने घरों में कैद होकर जीवन बचाने के लिए इस महामारी के आगे नतमस्तक हो गया। वही रोजाना सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर या प्राइवेट वाहनों से मध्य प्रदेश की पिटोल बॉर्डर पर पहुंचकर अपने घर पहुंचने की जद्दोजहद कर रहे हैं। वही गुजरात या अन्य प्रदेशों से आने वाले एवं जाने वाले मजदूरों का प्रवासी मजदूरों का सतत आना जारी है , आने वाले प्रवासी मजदूरों को उनके गंतव्य तक मध्य प्रदेश सरकार एवं झाबुआ प्रशासन द्वारा पहुंचाया जा रहा है परंतु विगत कुछ दिनों से पिटोल बॉर्डर की व्यवस्थाओं का दुरुपयोग शुरू हो गया है जिसके चलते रोजाना प्रवासी मजदूर एवं वहां अलग.अलग शिफ्ट में काम कर रहे थे। पैरामेडिकल विभाग एवं अन्य कर्मचारी परेशान हो रहे हैं। वही शासकीय कर्मचारी अपनी व्यथा दबी जबान में बताने को मजबूर हैं। वहीं झाबुआ जिले के ड्राइवर एंड बस आपरेटर अपनी समस्याओं से जूझ रहे हैं जहां कलेक्टर प्रबल सिपाहा द्वारा पूरा प्रशासनिक अमला लगा रखा है। वही पुलिस कप्तान विनीत जैन द्वारा इन प्रवासी मजदूर कर्मचारी की सुरक्षा में अपने पुलिस जवान मुस्तैदी से लगा रखे। वहीं जिले के पुलिस कप्तान विजय द्वारा हमेशा बॉर्डर पर उपस्थित होते हैं परंतु इतने प्रवासी मजदूरों के आने से वहां चेक पोस्ट पर चारों और गंदगी का साम्राज्य हो गया है। चारों ओर से बदबू ही बदबू आती है पानी की समुचित व्यवस्था भी नहीं है। वहीं उच्च अधिकारियों को है, मास्क लगाकर आते हैं परंतु वहां ड्यूटी कर रहा है कर्मचारी सिंपल मास्क लगाकर मजदूरों के स्वास्थ्य की जांच कर रहे हैं जहां जहां पर कर्मचारी के जांच के लिए बैठते हैं। वहां पक्षियों की बीट की गंदगी से मक्खियां बहुत हो गई है।अगर समय रहते पूरे परिसर में साफ.सफाई नहीं कराया पूरे परिसर को सेनीटाइज करने की जरूरत है। प्रशासन प्रशासन की यह लापरवाही कर्मचारियों के स्वास्थ्य पर भारी ना पड़ जाए। क्योंकि यहां पर कोई भी प्रवासी मजदूर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं करता कर रहा है। मजदूरों को भोजन के लिए बिना सोशल डिस्टेंस से दिनभर लाइन में लगना पड़ता है। भीड़भाड़ रहती है वहां जो फल फ्रूट की दुकानें लगी है जिनमें कोई भी संक्रमित व्यक्ति फल फ्रुट वाले को संक्रमण कर गया तो झाबुआ जिले के लिए कोरोना महामारी भारी पड़ेगी। क्योंकि देश दूसरे देश के दूसरे नंबर पर गुजरात ही इस महामारी की चपेट में है।

रेड जोन की बसों को लेकर बस ऑपरेटर एवं प्रशासन के बीच आरोप.प्रत्यारोप
जब से प्रवासी मजदूरों का पिटोल बॉर्डर पर आना चालू हुआ तब से झाबुआ जिले के समस्त बस मालिकों की बस को झाबुआ परिवहन विभाग के अधिकारियों द्वारा अधिग्रहण किया गया परंतु झाबुआ जिले में बसे होने के बावजूद भी बस के एजेंट रेड जोन से बस मंगा कर प्रवासी मजदूरों को अन्यत्र जिलों में परिवहन करवा रहे हैं। परंतु झाबुआ जिले की बसों का परिवहन अधिकारी द्वारा परमिशन लेटर है परंतु रेड जोन से आने वाली बसों के झाबुआ के परिवहन अधिकारी का कोई परमिशन लेटर नहीं है फिर भी परिवहन में लगी है। झाबुआ की बसों को प्राथमिकता न देते हुए बाहर से आई बसों में प्राथमिकता से प्रवासी मजदूरों को बिठाया जाता है यह भी एक बड़ा प्रश्न चिन्ह है। झाबुआ जिले की बसें मैं सवारी को उतारकर बाहर की बसों में बिठाया जाता है। कहीं ना कहीं प्रशासनिक अमला एवं बस के एजेंटों की मिलीभगत से पूरा खेल चल रहा है वहीं झाबुआ जिले के बस आपरेटर विजय डामोर एंड दिलीप परमार का कहना है चुनाव हो तो हमारी बसों को रैलियों में गाडिय़ां हमारी बसों को शासकीय कार्य में लगाया जाता है। झाबुआ जिले के गाड़ी मालिकों को को प्राथमिकता मिलना चाहिए। वही हम इतने प्रवासी मजदूरों को ले जा रहे हैं हम भी संक्रमित हो सकते हैं इसलिए हमारी सुरक्षा के लिए मास्क पीपी किट एवं हमारा भी बीमा सुनिश्चित करना चाहिए ताकि हमारे बाल बच्चे भी सुरक्षित रहे। वहीं बैरियर पर स्वास्थ्य विभाग पुलिस विभाग राजस्व विभाग शिक्षा विभाग निजी चिकित्सक संगठन के सभी वरिष्ठ एवं कनिष्ठ अधिकारियों परिसर में गंदगी से परेशान हैं
जिम्मेदार बोले
हमारी प्राथमिकता तो झाबुआ जिले की बसों को पहले है परंतु एजेंट एवं अन्य माध्यम से रेड जोन से ब से आई है समय.समय पर हम इन बसों को भगाते हैं परंतु हमारी अनुपस्थिति में एजेंट एवं बस आपरेटर इनमें सवारियां भरवा देते हैं। एसडीएम अभय खराड़ी
इनकी भी सुनो-
हम स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी हैं और हम प्रवासी मजदूरों के स्वास्थ्य की जांच कर रहे हैं पर जहां पर बैठते हैं वहां बहुत गंदगी है मक्खियां हो गई है। हमारे स्वास्थ्य पर खतरा है परिसर की साफ.सफाई कराई जाए। गोविंद राणावत कंपाउंडर