एक्सप्रेस हाइवे में भूमि अधिग्रहण को लेकर पनपा असंतोष, जनसुनवाई में ग्रामीणों ने भूमि अधिग्रहण में कम राशि देने के लगाए आरोप

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रितेश गुप्ता, थांदला
एक्सप्रेस हाईवे को लेकर भू-स्वामी किसानों में असंतोष खुलकर सामने आया। दिल्ली मुबंई 8 लेन जो कि थांदला के कुल 18 गांवों से होकर गुजर रहा है को लेकर भूस्वामी किसानों मे अंसतोष मार्ग को लेकर कि गई जनसुनावई में नजर आया। किसानों ने उक्त जनसुनवाई जो कि पर्यावरण संरक्षण विषय पर रखी होकर उस विषय में अपेक्षाकृत कम चर्चा कर भूमि अधिग्रहण का मुद्दा अधिक गरमाया रहा। किसानों ने मुआवजा कम होना, जमीन के बदले जमीन की मांग रखना, फॉरेस्ट (वन विभाग) की जमीनों एवं किसानों की जमीनों में भेदभाव किया जाना व इस नेशनल हाईवे से उन्हें किसी प्रकार का लाभ न मिल पाना। उक्त बातों को उपस्थित अधिकारियों से कही व एक्सप्रेस वे में मोड़ डालकर कुछ भू स्वामियों की भूमि बचाने के प्रयास किए जाने के आरोप भी ग्रामीणों द्वारा लगाए गए, तो वही पर्यावरण प्रदूषण से बचाने लिए 1 लाख से अधिक पौधे उक्त मार्ग पर लगाने की बात उपस्थित जनों के बीच रखी।
एक्सप्रेस हाइवे से होने वाले पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने के लिए आयोजित इस जनसुनवाई में 1 लाख पौधे लगाकर पर्यावरण संरक्षण की बात शासन की ओर से उपस्थित प्रोजेक्ट मैनेजर नेशनल हाईवे कृष्णपालसिंह चौहान, एडीएम एसपीएस चौहान एवं एसडीएम अनिल भाणा द्वारा ग्रामीणों के समक्ष रखी गई। एसडीएम अनिल भाणा द्वारा जब मुआवजे को लेकर जब जन संवाद किया और बताया कि फॉरेस्ट को जमीन के बदले जमीन दी जा रही है व किसानों को गाइड लाइन या बाजार मूल्य से जो अधिक होगा का 3 गुना मुआवजा दिया जाएगा तो असंतुष्ट किसानों ने कहा कि हमें भी जमीन के बदले जमीन ही चाहिए, पैसा तो हम जमीन मे खेती करके कमा ही रहे है। परन्तु शासन के नियम समझाते हुए एसडीएम व प्रोजेक्ट मैनेजर ने अपनी बात कह कर जनसुनवाई की इतिश्री कर दी। तब मौजूद ग्रामीणों ने जनसुनवाई में हमारी बात नही सुनी जबकि अधिकारी अपनी बात ही कह कर चले गये ऐसे आरोप भी मढ़ दिए, जबकि एसडीएम ने पूरी जनसुनवाई में यही कहते नजर आए कि आप सभी एक ही बात घूमा फिरा कर बोल रहे है जिसे हम सुन चुके है। जनसुनवाई में एसडीओपी एमएस गवली, तहसीदार जेएल डावर, थांदला थाना प्रभारी एमएल मीणा समेत कर्मचारी-अधिकारी मौजूद थे।

जिम्मेदार बोल-
एसडीएम अनिल भाणा ने कहा कि एक्सप्रेस हाइवे पर पर्यावरण संबंध में जनसुनवाई ग्राम टिमरवानी में रखी गई थी जिसमें ग्रामीणों से संवाद किया गया। साथ जमीन अधिग्रहण को लेकर भी भूस्वामी कृषकों से जनसवांद किए गए व लिखित में शिकायती दस्तावेज लिए गए हैं।
प्रोजेक्ट मैनेजर नेशनल हाईवे कृष्णपालसिंह चौहान कहते हैं कि नेशनल हाईवे के निर्माण पूर्व पर्यावरण संरक्षण उपायों को लेकर ग्रामीणों से चर्चा करने के उद्देश्य से जनसुनवाई रखी गई व उन्हें सुना गया है।

ग्रामीणों के बोल-
दिनु कटारा निवासी ग्राम हेड़ावा ने कहा कि हम कृषको को जो मुआवजा दिया जा रहा है वो कम है अन्य राज्यों में जितना मुआवजा दिया जा रहा है उसके अनुरुप औसत निकाल कर हमें भी मुआवजा दिया जाए।
कालुसिंह कटारा- फोरेस्ट वालों को जमीन के बदले जमीन दी जा रही है ओर हमें मुआवजा, हमें भी जमीन के बदले जमीन चाहिए।
ग्रामीण मकन नारसिंग निवासी चोखवाड़ा- हम हमारी जमीन इस हाईवे के लिये नही देना चाहते हमारी पुस्तेनी जमीन की कोई किमत नही लगा सकता।ग्रामीण कमलेश मुणिया कहते हैं कि इन अधिकारियों ने जो बात रखी है उसमे ये कही नहीं बताया कि इस हाईवे से हम ग्रामीणों को क्या फायदा है। हमें नही लगता कि इस हाईवे से हमें कोई फायदा होगा सिर्फ नुकसान ही नजर आ रहा है। ग्रामीण जुझार सिंह हरोड़ ने कहा कि हम एक बीघा में खेती करके 5 से 6 लाख रुपये सालाना कमा लेते है ओर मुआवजा इससे भी बहुत कम है।

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