पेसा कानून लाने वाले दिवंगत सांसद दिलीप भूरिया को किया याद, पुष्पांजिल अर्पित कर दी श्रद्धांजलि

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दिपेश प्रजापति, झाबुआ
पैसा कानून को लाने का उद्देश्य आदिवासी बहुल क्षेत्रों में स्व-शासन को मजबूती देना है। पेसा एक्ट 24 अप्रैल 1996 को बनाया गया था और कई राज्यों में लागू है। देश के 10 राज्यों में यह कानून लागू है लेकिन छत्तीसगढ़ झारखंड मध्य प्रदेश और उड़ीसा में यह पूरी तरह से लागू नहीं है। इसके तहत जनजाति ग्राम सभाओं को भूमि अधिग्रहण पुनर्वास के काम में अनिवार्य परामर्श को शक्ति दी गई ह वहीं खदानों और खनिजों लाइसेंस पट्टा देने के लिए ग्राम सभा को सिफारिशें देने का अधिकार दिया। अब मध्य प्रदेश सरकार ने इस कानून को राज्य में पूरी तरह से लागू करने का ऐलान कर आदिवासियों को बड़ी सौगात दी है ।अलकेश मेडा द्वारा बताया गया कि पेसा एक्ट के तहत स्थानीय संसाधनों पर स्थानीय अनुसूचित जाति जनजाति के लोगों की समिति को अधिकार दिए जाएंगे अनुसूचित जाति और जनजाति वाली ग्राम पंचायतों को सामुदायिक संसाधन जैसे जमीन खनिज संपदा लघु वनोपज की सुरक्षा और संरक्षण का अधिकार मिल जाएगा पेसा एक्ट लागू होने के बाद सामुदायिक प्रबंधन समितियां वर्किंग प्लान के अनुसार हर साल माइक्रो प्लान बनाएंगे और उससे ग्राम सभा को अनुमोदित कराएंगे सामुदायिक भवन प्रबंध समिति का गठन भी ग्राम सभा द्वारा किया जाएगाा। पैसा कानून के तहत ग्राम सभाओं को आदिवासी समाज की परंपरा रीति.रिवाज सांस्कृतिक पहचान समुदाय के संसाधन और विवाद समाधान के लिए परंपरागत तरीकों के इस्तेमाल के लिए सक्षम बनाया जाएगा राज्य में तेंदूपत्ता बेचने का काम भी उन समिति करेगी। पेसा एक्ट के तहत स्थानीय संसाधनों पर स्थानीय अनुसूचित जाति जनजाति के लोगों की समिति को अधिकार दिए जाएंगे अनुसूचित जाति और जनजाति वाली ग्राम पंचायतों को सामुदायिक संसाधन जैसे जमीन खनिज संपदा लघु वनोपज की सुरक्षा और संरक्षण का अधिकार मिल जाएगा पेसा एक्ट लागू होने के बाद सामुदायिक प्रबंधन समितियां वर्किंग प्लान के अनुसार हर साल माइक्रो प्लान बनाएंगे और उससे ग्राम सभा को अनुमोदित कराएंगे सामुदायिक भवन प्रबंध समिति का गठन भी ग्राम सभा द्वारा किया जाएगा पैसा कानून के तहत ग्राम सभाओं को आदिवासी समाज की परंपरा रीति.रिवाज सांस्कृतिक पहचान समुदाय के संसाधन और विवाद समाधान के लिए परंपरागत तरीकों के इस्तेमाल के लिए सक्षम बनाया जाएगा। राज्य में तेंदूपत्ता बेचने का काम भी उन समिति करेगीपेसा एक्ट के तहत स्थानीय संसाधनों पर स्थानीय अनुसूचित जाति जनजाति के लोगों की समिति को अधिकार दिए जाएंगे अनुसूचित जाति और जनजाति वाली ग्राम पंचायतों को सामुदायिक संसाधन जैसे जमीन खनिज संपदा लघु वनोपज की सुरक्षा और संरक्षण का अधिकार मिल जाएगा। पेसा एक्ट लागू होने के बाद सामुदायिक प्रबंधन समितियां वर्किंग प्लान के अनुसार हर साल माइक्रो प्लान बनाएंगे और उससे ग्राम सभा को अनुमोदित कराएंगे। वही सामुदायिक भवन प्रबंध समिति का गठन भी ग्राम सभा द्वारा किया जाएग। पैसा कानून के तहत ग्राम सभाओं को आदिवासी समाज की परंपरा रीति.रिवाज सांस्कृतिक पहचान समुदाय के संसाधन और विवाद समाधान के लिए परंपरागत तरीकों के इस्तेमाल के लिए सक्षम बनाया जाएगा राज्य में तेंदूपत्ता बेचने का काम भी उन समिति करेगी। पेसा एक्ट के तहत स्थानीय संसाधनों पर स्थानीय अनुसूचित जाति जनजाति के लोगों की समिति को अधिकार दिए जाएंगे अनुसूचित जाति और जनजाति वाली ग्राम पंचायतों को सामुदायिक संसाधन जैसे जमीन खनिज संपदा लघु वनोपज की सुरक्षा और संरक्षण का अधिकार मिल जाएगा पेसा एक्ट लागू होने के बाद सामुदायिक प्रबंधन समितियां वर्किंग प्लान के अनुसार हर साल माइक्रो प्लान बनाएंगे और उससे ग्राम सभा को अनुमोदित कराएंगे सामुदायिक भवन प्रबंध समिति का गठन भी ग्राम सभा द्वारा किया जाएगा। पैसा कानून के तहत ग्राम सभाओं को आदिवासी समाज की परंपरा रीति.रिवाज सांस्कृतिक पहचान समुदाय के संसाधन और विवाद समाधान के लिए परंपरागत तरीकों के इस्तेमाल के लिए सक्षम बनाया जाएगा। राज्य में तेंदूपत्ता बेचने का काम भी उन समिति करेगी । साथ ही आज स्वर्गीय दिलीप सिंह भूरिया जो पेसा कानून के जनक है।आज मेघनगर पर वनवासी कल्याण परिषद द्वारा माल्यार्पण कर माननीय कालूसिंह मुजाल्दे ओर डॉ रूपनारायण मंडावे जो कि आदिम जाति कल्याण मंत्रणा परिषद मध्यप्रदेश के सदस्य है उनका आभार जिन्होंने पेसा काननू को लागू करवाने के लिए कड़ी मेहनत की साथ ही माननीय मुख्यमंत्री जी का भी आभार जिन्होंने पेसा कानून को मध्यप्रदेश में चरणबद्ध रूप से लागू करने का निर्णय लिया ।उपस्थित जिला संगठन मंत्री गनपत मुनिया वनवासी कल्याण परिषद झाबुआ युवा सह प्रमुख अलकेश मेडा,रेलेश सिंगार ,सिद्धार्थ भाबोर, राहुल अखड़िया, लक्ष्मण देवड़ा, कबर निंगवाल,अनिल रावत, कांजी भूरिया, पवन परमार जनजाति प्रमुख अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, दिनेश देवड़ा, धन्नू भूरिया जीराहुल अखड़िया, लक्ष्मण देवड़ा, कबर निंगवाल,अनिल रावत, कांजी भूरिया, पवन परमार जनजाति प्रमुख अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, दिनेश देवड़ा, धन्नू भूरिया जी ।