दशा माता व्रत रखकर सुहागन महिलाओं ने शुभ मुहूर्त में की पूजा-अर्चना, कच्चा सूत लपेटकर मांगा सुख-सौभाग्य का आशीर्वाद

- Advertisement -

जीवनलाल राठौड़, सारंगी
चेत्र कृष्ण की दशमी के दिन अधिकांश महिलाओं द्वारा दशा माता का व्रत रख पीपल के पेड़ की पूजा अर्चना विधि विधान से की दशा माता व्रत मुख्य रूप से सुहागन महिलाएं घर की दशा ठीक होने के लिए करती है माना जाता है कि जब मनुष्य की दशा ठीक होती है ।तब उसके सभी कार्य अनुकूल होते हैं परंतु जब यह प्रतिकूल होते हैं सब मनुष्य को बहुत परेशानी होती है इसी परेशानियों से निजात पाने के लिए इस व्रत को करने की मान्यता है नियम अनुसार दशा माता की पूजा अर्चना करने से दशा माता की कृपा प्राप्त होती है घर में सुख शांति समृद्धि आती हे।
नगर में मंगलवार को दशामाता पर्व उत्साह व हर्षोल्लास से मनाया गया महिलाओं ने सोलह श्रृंगार व परंपरागत परिधानों से सजधज कर शुभ मुहुर्त में पीपल की पूजा-अर्चना की माता से परिवार में सुख समृद्धि की कामना की ।महिलाओं ने पीपल के पेड़ का पूजन कर उस पर कच्चा सूत लपेटकर परिक्रमा की दशा माता की कथा भी सुनी महिलाओं ने पूजन के लिए व्रत रखा पीपल का पूजन करने से इसे पीपल दशा भी कहा जाता है। पंडित मयूर जोशी के अनुसार नौ ग्रह और नौ देवियों को प्रसन्न करने के लिए यह पूजन-व्रत किया जाता है। खेड़ापति हनुमान मन्दिर के सामने पूजा स्थल पर शुभ मुहूर्त में पीपल की पूजा-अर्चना की सुहागन महिलाएं इस डोरे की पूजा के बाद पूजा स्थल पर ही नल दमयंती की कथा सुनते हैं उसके बाद महिलाएं अपने घर पर हल्दी और कुमकुम की छाप लगाती है इस दिन महिलाएं एक ही बार अन्य ग्रहण करती है इस दिन घर की साफ सफाई के लिए झाड़ू खरीदने का विधान है दशा माता का व्रत जीवन भर किया जाता है।